यह ख़बर 07 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

रवीश की रिपोर्ट : बीजेपी के नवरत्न ने ही किया स्वच्छता अभियान को दागदार

नई दिल्ली:

"आओ नौ को लाएं, अपनी दिल्ली साफ बनाएं... यही है सच-सच, बनाएं स्वच्छ-स्वच्छ..." गायिका शिवानी कश्यप ने इस मिशन गीत को दिल्ली बीजेपी के कार्यक्रम में गुनगुनाया था। अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में दिल्ली बीजेपी ने अपने स्वच्छता अभियान के लिए नवरत्नों की घोषणा की थी, नौ ब्रांड एम्बैसेडर। उन्हीं नौ को लेकर यह मिशन गीत तैयार किया गया था। मिशन गीत का मुखड़ा शुरू ही होता है, आओ नौ को लाएं, यानि नवरत्न का हर आदमी नौ-नौ को जोड़ता चले और इस तरह सफाई अभियान जनांदोलन में बदल जाए, क्योंकि 'यह है सच-सच, बनाएं स्वच्छ-स्वच्छ...' उस कार्यक्रम में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने नौ ब्रांड एम्बैसेडरों के नाम ज़ाहिर करते हुए अपना उद्देश्य भी बताया था कि ये सभी नौ लोग अलग से नौ लोगों को ब्रांड एम्बैसेडर बनाएंगे। इस तरह से दिल्ली में स्वच्छता अभियान जन-जन में फैल जाएगा।

सफाई अभियान के नवरत्नों के नाम इस तरह हैं - शाज़िया इल्मी, ओलंपिक विजेता सुशील कुमार, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह, डाक्टर केके अग्रवाल, कत्थक उस्ताद उमा शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष मोहित नागर, प्रवीण खंडेलवाल, डीसीएम ग्रुप के विनय भरत राम और इंडिया इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी। इन नवरत्नों की घोषणा के वक्त केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू भी थे। इस कार्यक्रम में शाज़िया इल्मी ने उचित ही नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी और कहा था कि यह एक महान अभियान है। सफाई को सिर्फ सफाई कर्मचारियों का काम नहीं माना जाना चाहिए। देश को साफ करने की ज़िम्मेदारी हमारी भी है। इस तस्वीर से बीजेपी ने आम आदमी को राजनैतिक चिकोटी भी काट ली थी, लेकिन एक महीने बाद शाज़िया और सिराजुद्दीन की तस्वीर बीजेपी को चिकोटी काट रही है।

इंडिया इस्लामिक सेंटर का कार्यक्रम था तो इसके अध्यक्ष को तो बीजेपी ने ही सफाई के नवरत्नों में शामिल किया था। सिराजुद्दीन कुरैशी एक नामचीन हस्ती हैं, उद्योगपति भी हैं और दुनियाभर में उनकी साख है, लेकिन उनके कार्यक्रम से अगर प्रधानमंत्री के दिल के करीब इस अभियान की जगहंसाई हो रही है तो सतीश उपाध्याय को कुछ तो कार्रवाई करनी ही चाहिए। वह यह कहकर नहीं बच सकते कि अभियान उनका नहीं था। उनके ब्रांड एम्बैसेडर का था तो उनका भी हुआ। क्या वह सिराजुद्दीन कुरैशी को नवरत्न समूह से बाहर करेंगे।

कई बार मुख्य अतिथि ऐसे मौके पर फंस जाते हैं। हम लोग भी फोटो खिंचाकर फंस जाते हैं। लेकिन उपाध्याय से कुछ गलतियां हुई हैं। क्या उन्हें नहीं पता था कि वह किस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि हैं। क्या उन्हें नहीं पता था कि इंडिया इस्लामिक सेंटर जिस लोधी रोड पर है, वह आमतौर पर साफ ही रहता है। पेड़ों से पत्ते-पुत्ते गिरते रहते हैं, जो वहीं गलकर खाद में बदल जाते हैं। इन्हें हटाकर कहीं जलाना तो और भी गुनाह है, जिससे हवा में प्रदूषण फैलता है। पता करना चाहिए कि उन पत्तों को अंतिम संस्कार के लिए कहां ले जाया गया।

इंडिया इस्लामिक सेंटर के इस कार्यक्रम की जो तस्वीर है, वह अगर विवादों में न फंसती तो इस चुनावी मौसम में बीजेपी के लिए एक राजनैतिक छवि भी गढ़ती, जिसका संबंध सफाई से कम, वोट बैंक से ज्यादा है। इस चुनावी मौसम में सफाई के लिए कुरैशी, इल्मी और उपाध्याय वहां ओखला भी जा सकते थे, जहां यमुना का किनारा गंदा है। जैसे राजनाथ सिंह गोमती नदी के किनारे गए और शशि थरूर ने भी नदी का किनारा चुना। ऐसे साफ-सुथरी जगहों पर सफाई अभियान का क्या मतलब है।

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सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक में उपाध्याय, इल्मी और कुरैशी साहब की तस्वीरें वायरल हो गईं हैं। हर तरफ प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का मज़ाक उड़ रहा है। बीजेपी को 'चलता है' टाइप खारिज करने के बयान से ज्यादा ठोस कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि नरेंद्र मोदी के बताए रास्ते पर चलने में उनके समर्थक अगर नौटंकी करेंगे तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इन तस्वीरों से सोशल मीडिया को पाट दिया है। विरोधियों ने इस तस्वीर को होर्डिंग पर उतारकर दिल्ली की गलियों में लगा दिया तो पार्टी को नुकसान हो सकता है। वैसे आम लोग भी इस हरकत से काफी नाराज़ हैं।