विज्ञापन
This Article is From Jun 01, 2017

21 साल पार, वहीं खड़ा है बिहार

Mihir Gautam
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 01, 2017 23:28 pm IST
    • Published On जून 01, 2017 23:28 pm IST
    • Last Updated On जून 01, 2017 23:28 pm IST
21 साल में दुनिया बहुत बदल गई. डेस्कटॉप की जगह लैपटॉप और पामटॉप ने ले ली. राज्यों में विकास को लेकर टक्कर होने लगी. दुनिया सिमट रही है. लेकिन दो चीज़ है कि बदलती ही नहीं. एक दिल्ली टू बिहार या फिर बिहार टू दिल्ली का टिकट कन्फर्म मिलना और दूसरा राज्य से छात्रों का पलायन. ज़ाहिर है जो शिक्षा व्यवस्था है वो छात्रों को रोकने में पूरी तरह विफल ही रही है. दावों पर ना जाएं तो बेहतर है. हक़ीकत सबके सामने है. 21 साल का ज़िक्र इसलिए क्योंकि 1996 में भी इंटरमीडिएट का रिज़ल्ट आया था और ज़्यादातर स्कूल, कॉलेज ऐसे थे, जहां कोई पास नहीं हुआ था. क़रीब 11 फीसदी छात्र सफल हुए थे. अब तक का बिहार का सबसे ख़राब रिज़ल्ट आया था. ऐसा नहीं था सरकार ने सिस्टम सुधारा था, कोर्ट की निगरानी में चोरी बंद हुई और नतीजा ऐसा कि सब हैरान रह गए.

ये बताना ज़रूरी है कि उस वक्त तक सीबीएसई, आईसीएसई स्कूल गिने-चुने थे राज्य में. यानी फेल का मतलब 12वीं में बिहार बुरी तरह फेल हुआ था. लेकिन क्या बिहार ने उससे कुछ सीखा था? बिल्कुल भी नहीं, उसके अगले साल रिज़ल्ट सुधरा. लेकिन कोचिंग संस्थानों की बड़ी भूमिका रही. पटना के बीएम दास रोड, कंकड़बाग जैसे इलाकों में कोचिंग संस्थानों ने फेल बच्चों के लिए अलग बैच शुरू किया, छात्रों ने मेहनत की और अपने फेल को पास में बदल दिया.

चलिए अब बात 21 साल बाद की करते हैं. नीतीश कुमार के सत्ता में आए 12 साल हो गए. शिक्षा को लेकर खूब दावे हुए. लेकिन हक़ीकत ये है कि सरकारी स्कूल, कॉलेज बेहाल होते जा रहे हैं. जिनके पास थोड़ा भी पैसा है उनके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं. पटना में घुसते ही प्राइवेट स्कूल के बोर्ड जगह-जगह आपका स्वागत करेंगे. बाकी शहरों में भी प्राइवेट स्कूल काफी तेज़ी से फले-फूले हैं. अगर ये सरकारी व्यवस्था की कीमत पर हुआ है तो इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता है.

दरअसल बिहार इंटरमीडिएट में छात्र नहीं फेल हुए हैं, नीतीश सरकार फेल हुई है. जो उन्हें वो माहौल ही नहीं दे पाई जहां वो पढ़कर बेहतर नंबर लाते. अब मीटिंग, बैठक खूब होंगे. लेकिन क्या कुछ होगा, उम्मीद ना के बराबर ही है. लेकिन ये भरोसा ज़रूर है जो फेल हुए हैं वो अपनी मेहनत से इसे बदल देंगे. छात्रों को हताश होने की ज़रूरत नहीं है, आप पढ़ेंगे और पास भी होंगे.

मिहिर गौतम एनडीटीवी इंडिया में एसोसिएट न्यूज़ एडिटर हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com