अमेरिका फिर इंसानियत के नाम पर इराक पर बम गिरा रहा है। उत्तरी इराक में हज़ारों बेदखल इराकियों का वास्ता देकर उसने आईएसआईएस को खदेड़ने के लिए हवाई हमले शुरू कर दिए हैं।
आईएसआईएस के हमले और अमेरिका की हिफ़ाज़त की कोशिश के बीच घिरा इराक अब एक मुल्क का नहीं एक किरचा−किरचा और लहूलुहान हक़ीक़त का नाम है। ये हक़ीक़त अमेरिका नाम के उस महाबली ने ही बनाई है जो अब उसकी हिफ़ाज़त करने निकला है। पहले उसने एक तानाशाह को हटाने के नाम पर एक पूरे मुल्क को तबाह कर दिया इराक़ को गुटों में बांट दिया और अब जब सब तरफ़ खूनखच्चर का खेल जारी है, तब वह अमन का मसीहा बन रहा है।
जबकि बगदाद से क़रीब एक हजार किलोमीटर दूर गाज़ा पट्टी में जो इंसानी तबाही हो रही है, उससे अमेरिका ने आंखें मूंद रखी हैं। क्योंकि वहां ये कहर ढाने वाला इज़राइल है, जिसकी पीठ पर अमेरिका का हाथ है। गाज़ा में तीन दिन से चल रहा युद्धविराम अब ख़त्म हो चुका है और फिर वहां रॉकेट दागे और बम गिराए जाने लगे हैं। ये ऐसी अंधी लड़ाई है जिसका कोई अंत किसी को नहीं दिख रहा।
इन सब युद्धों से हम क्यों परेशान होते हैं, क्योंकि इनके किरचे छिटक कर हमारी आत्माओं में नहीं हमारे जिस्मों में भी धंसते हैं। इराक पर अमेरिकी हमले का अंदेशा होते ही शेयर बाज़ार गिरने लगे इस भागमभाग में रुपया भी कमज़ोर हो गया। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख रघुराम राजन ने चेतावनी दी कि पूंजी की ये दुनिया फिर अपने अंतर्विरोधों की वजह से आर्थिक मंदी की शिकार हो सकती है।
इन सारी चेतावनियों को अनसुना करते हुए सारी इंसानी जरूरतों की अनदेखी कर ये सारी जंग इसलिए लड़ी जा रही है कि बस कुछ गिने−चुने मुल्कों की चौधराहट चलती रहे दुनिया हमेशा किसी न किसी संकट के मुहाने बैठी रहा। अमेरिका संकट पैदा करता है फिर संकट दूर करने का दिखावा करता है− इराक से इजराइल तक की सच्चाई इसकी गवाह है।
This Article is From Aug 08, 2014
प्रियदर्शन की बात पते की : अमन के नाम पर जंग
Priyadarshan
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Updated:नवंबर 19, 2014 15:44 pm IST
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Published On अगस्त 08, 2014 22:45 pm IST
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Last Updated On नवंबर 19, 2014 15:44 pm IST
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