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This Article is From Sep 12, 2017

क्या किसानों की बात सुन रही है सरकार? रवीश कुमार के साथ प्राइम टाइम

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 13, 2017 01:06 am IST
    • Published On सितंबर 12, 2017 20:54 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 13, 2017 01:06 am IST
क्या मुंबई में पेट्रोल 80 रुपये प्रति लीटर होने वाला है, मंगलवार को भी मुंबई में पेट्रोल की कीमत में 7 पैसे की बढ़ोत्तरी हुई है. सोमवार को 79 रुपया 41 पैसा जो मंगलवार को 79 रुपया 48 पैसा प्रति लीटर था. 1 अगस्त को मुबंई में पेट्रोल 74 रुपये 56 पैसे प्रति लीटर था. सवा महीने के भीतर 5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो गई है. हर दिन तेल के दाम धीरे धीरे बढ़ रहे हैं. अब किसी अर्थशास्त्री को ध्यान ही नहीं आ रहा है कि पेट्रोल के बढ़ते दाम पर कुछ लिखा जाए. केंद्र सरकार ने ग्रेच्युटी को अधिकतम दस लाख से बढ़ाकर बीस लाख तक कर दिया है. यह प्राइवेट से लेकर सरकारी कंपनियों पर लागू होगा. सरकार इसके लिए संसद में बिल लाएगी. डीए भी 1 प्रतिशत बढ़ा है.

सीकर में अनिश्चितकालीन आंदोलन
1 सितंबर से राजस्थान के सीकर में किसानों का अनिश्चितकालीन आंदोलन चल रहा है. यहां से बीकानेर, चुरू, झुंझुनू, गंगानगर का रास्ता जाता है जो इस आंदोलन के कारण बंद हो चुका है. सीकर से शुरू हुआ यह आंदोलन अब राजस्थान के 14 ज़िलों में फैल गया है. सीकर में रोज़ सभाएं हो रही हैं, रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हो रहा है. दस सितंबर को ज़िले के प्रभारी मंत्री से सीकर सक्रिट हाउट में बातचीत हुई मगर असफल रही. उसके बाद किसानों ने चक्का जाम का फैसला किया. ज़िलाधिकारियों के दफ्तरों को घेरने का एलान हुआ जो 11 सितंबर तक चला. 11 दिन के आंदोलन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई है. समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा था. प्याज़ और मूंगफली में काफी नुकसान हो रहा था. एक किलो प्याज़ की लागत 5 से दस रुपये है और बिक रही है एक से दो रुपये किलो. सीकर का प्याज़ सलाद के लिए मशहूर है क्योंकि मीठा होता है. एक किलो मूंगफली की लागत 40 से 42 रुपये है मगर बिक रही है 30 से 35 रुपये किलो.

कम बारिश से संकट गहराया
सीकर झुंझनू में कम बारिश के कारण संकट गहराया है. फसली बीमा का भी पेमेंट नहीं हुआ क्योंकि इसके लिए तहसील को सूखा ग्रस्त घोषित नही किया गया. ये सब हमें किसानों ने फोन पर बताया है. अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में यह आंदोलन खड़ा हुआ है, सीकर से सीपीएम के दो पूर्व विधायक अमरा राम और प्रेमा राम इसे लीड कर रहे हैं मगर पूरा शहर इसमें शामिल हो गया है. आंदोलन अहिंसक होने के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी देखने को मिल रही है. दिन भर नारे बाज़ी और रात भर सांस्कृतिक कार्यक्रम का दौर चल रहा है. दिल्ली हमेशा की तरह देश से बेख़बर है. बारह दिन से यह आंदोलन चल रहा है और 14 ज़िलों में फैल गया है.

बछड़ों की बिक्री पर लगी रोक हटाई जाए
अगर आप किसानो की मांग की सूची देखेंगे तो पता चलेगा कि गौ हत्या या गौ सुरक्षा के नाम पर पशुओं की खरीद बिक्री के कारण किसान कितने परेशान हो गए हैं. उनकी ग्यारह सूत्री मांग में चार मांग पशुओं से संबंधित हैं. किसानों की मांग है कि बछड़ों की बिक्री पर लगी रोक हटाई जाए. आवारा पशुएं की समस्या का समाधान किया जाए. पशु व्यापारियों की संपूर्ण सुरक्षा की जाए और 2017 में पशुओं की बिक्री पर लगी पाबंदी का कानून वापस लिया जाए.

VIDEO: प्राइम टाइम: राजस्थान के सीकर से किसान आंदोलन
पशु व्यापारियों ने आना बंद कर दिया
किसानों का कहना है कि पशु व्यापारी जब आते थे तो उनका शहर का काम भी कर देते थे. कुछ पैसा भी देते थे, मगर पीटे जाने से पशु व्यापारियों ने आना बंद कर दिया. गौ रक्षा के नाम पर टीवी चैनलों में बहस जीतने वालों को पता भी नहीं होगा कि सीकर की ज़मीन पर मैच हार रहे हैं. किसने सोचा था कि किसान बछड़ों की बिक्री पर लगी रोग हटाने की मांग लेकर शहर का चक्काजाम कर देंगे. किसानों की मांग सिर्फ संपूर्ण कर्ज़माफी और स्वामिनाथन आयोग के मुताबिक लाभकारी मूल्य तक ही सीमित नहीं है. 
  • सीकर ज़िले के वाहनों को ज़िले में टोल मुक्त किया जाए 
  • साठ साल के किसानों को पांच हज़ार का मासिक पेंशन मिले
  • सहकारी समिति से मिलने वाले कर्ज़ में कटौती बंद हो
  • दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाई जाए
  • खाद्य सुरक्षा व मनरेगा को मज़बूती से लागू किया जाए 
सीकर बंद हुआ तो सब चौंक गए
सोमवार को जब सीकर पूरी तरह से बंद हुआ तो सब चौंक गए कि किसानों के आंदोलन के लिए शहर और कस्बा कैसे बंद हो गया. जीएसटी की जटिल प्रक्रिया से तंग आकर और किसानों की दशा से जुड़ कर शहर के नाना प्रकार के संगठन इस आंदोलन में शामिल हैं. ऑटो चालक यूनियन, प्राइवेट टैक्सी यूनियन, एंबुलेंस वाले, आरा मशीन यूनियन ने भी रैली निकाली है या आंदोलन को समर्थन दिया है. क्या आप सोच सकते हैं कि किसानों के समर्थन में सीकर ज़िले के डीजे म्यूज़िक वाले अपनी कई सौ गाड़ियों के साथ रैली निकालेंगे. डीजे वाले गाना बजा दे ने ऐसा गाना बजा दिया कि किसान आंदोलन का इतिहास ही बदलता नज़र आ रहा है. हमने सीकर के वाटर सप्लायर यूनियन के नेता से बात की. इनका कहना है कि इन्होंने भी पानी सप्लाई के टैंपों के साथ रैली निकाली है और किसानों के समर्थन में मार्केट में पानी की सप्लाई बंद कर दी है. वे पानी सिर्फ किसानों को दे रहे हैं.

सीकर में पानी बेचने के सौ यूनिट
सीकर में कम से कम पानी बेचने के सौ यूनिट हैं. सीकर में शैक्षणिक संस्थान चलाने वालों ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है. खाद्य व्यापार संघ अनाज मंडी सीकर के अध्यक्ष नवरंग खीचड़ और सदस्य रामनिवास मंडीवाल से हमने फोन पर बात की. इनकी बातें सुनकर मैं खुद चौंक गया जब इन्होंने कहा कि किसानों की परेशानी व्यापारियों की परेशानी है.किसान के पास पैसा आएगा तो मार्केट में पैसा आएगा. 25 पैसे के चाकलेट पर एम आर पी लिखी होती है, गेहूं की बोरी पर एम आर पी क्यों नहीं लिखी होती है. हमने किसानों के समर्थन में मंडी बंद कर दी है. किसानों के पास पैसा न होने के कारण हमारा व्यापार भी ठप्प हो गया है. रामनिवास जी ने कहा कि 50 अनाज व्यापारियों में से 11 अनाज व्यापारी ही मौजूद हैं. बाकियों ने अपना काम बंद कर दिया है. रामनिवास जी ने कहा कि नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी ने हमारी कमर तोड़ दी है. रामनिवास ने कहा कि 2007 से 2010 तक सीकर मंडी से जौ की सत्तर से डेढ़ सौ गाड़ियां रोज़ निकलती थीं. मगर इस बार पूरे सीज़न में डेढ़ सौ गाड़िया भी नहीं निकलीं, जो एक दिन में निकलती थीं. ये इसलिए हुआ कि किसान कर्ज में डूब गए. बिजली मिल नहीं रही थी और महंगी भी हो गई. खेती से पलायन करने लगे. सीकर ज़िला के सभी प्रकार के व्यापार के संगठनों ने आंदोलन का समर्थन किया है. 

लगता है कि सीकर में कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं का विस्फोट हो गया है. मध्यप्रदेश के मंदसौर का आंदोलन पुलिस की गोली के कारण सुर्खियों में आ गया मगर मामला शांत होते ही आंदोलन गायब हो गया. क्या सीकर का आंदोलन स्वामिनाथन आयोग के अनुसार लागत का दुगना दाम हासिल कर लेगा, जिसका बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था. दिल्ली तक न आ रही हों मगर क्या पता है कि उड़ीसा में नवनिर्माण किसान संगठन ने जो सफलता हासिल की है उसके बारे में दिल्ली चुप है. अक्षय कुमार ने बताया कि उनका आंदोलन भी अहिंसक था मगर जो हासिल किया वो पहले कभी नहीं हुआ.

दिल्ली में बात नहीं बनी
क्या आपको पता है कि उड़ीसा विधानसभा में इस साल मार्च में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर धान की खरीद मूल्य 2930 रुपये प्रति क्विंटल कर दी है. इस प्रस्ताव को दिल्ली भेजा गया है मगर दिल्ली इसकी बात नहीं करती है. देश की यह पहली विधानसभा है जिसने सर्वसम्मति से धान की खरीद मूल्य को लेकर इतना बड़ा फैसला किया है. इस वक्त धान की खरीद मूल्य 1470 रुपये प्रति क्विंटल है. उड़ीसा विधानसभा ने इसे दुगना कर 2930 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. हैरानी की बात है कि उड़ीसा विधानसभा के भीतर बीजेडी. बीजेपी और कांग्रेस सभी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. फिर इन्हीं दलों के नेता दिल्ली में इसकी मांग क्यों नहीं करते हैं. अखबारों की रिपोर्ट बताती है कि सदन की समिति प्रधानमंत्री से मिलकर इस प्रस्तावा को सौंप देगी. उड़ीसा के कृषि मंत्री प्रदीप महारथी ने प्रस्ताव पेश किया था.

तीन रुपये की कर्ज माफी
यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि ऋण मोचन योजना के तहत एक लाख तक के लोन माफी की बात की थी. इस योजना से 87 लाख किसानों के फायदे का दावा किया था. इसका बजट 36,000 करोड़ बताया गया था. मगर कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्हें इस कर्ज़ माफी में तीन रुपये की माफी हुई है तो किसी को 9 पैसे की भी माफी हुई है. इससे किसान सदमें में हैं. ज़रूर ऐसे 4000 से अधिक किसान हैं जिनकी माफी 0 से 100 के बीच हुई है. किसी को 90 पैसे, डेढ़ और दो रुपये के भी प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं. दो रुपये का सर्टिफिकेट लेने के लिए भी किसानों को गांवों से ज़िला मुख्यालय बुलाया जा रहा है. मगर तस्वीर का दूसरा पहलू भी है.

यूपी सरकार के आंकड़े के अनुसार 
  • 0 से 100 रु माफ़ हुए- 4,814 किसान
  • 100 से 500 रु माफ़ हुए- 6,895 किसान
  • 500 से 1000 रु माफ़- 5,553 किसान
  • 1000 से 10000 रु माफ़- 41,690 किसान
  • 10000 रु - 11,27890 किसान
  • 10000 रु से ज़्यादा- 11, 86842 किसान

58, 952 किसान ऐसे हैं जिनकी कर्ज़ माफी की राशि 0 से 10000 तक है. 23 लाख किसान ऐसे हैं जिनकी कर्ज़ माफी की राशि दस हज़ार या उससे अधिक है. दोनों तरह की तस्वीर है.  

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