राजनीतिक दलों के लिए खुशखबरी है. अब वे 2000 से अधिक का चंदा चेक और कैशलेस तरीके से ही ले सकेंगे. 2000 से ऊपर चंदा लेंगे तो उन्हें दानकर्ता का नाम बताना होगा. पहले 20,000 से नीचे के चंदे पर सोर्स बताने की बाध्यता नहीं थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट के आखिरी हिस्से में जब ऐलान किया तब मारे ख़ुशी के विपक्ष मेज़ थपथपा नहीं सका. यह एक बड़ा कदम है और साथ ही इलेक्शन बॉन्ड की कल्पना भी पेश की गई है जो पोलिटिकल फंडिंग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. कांग्रेस पार्टी ने फंडिंग के मामले में सरकार के इस कदम का स्वागत किया है. छात्रों के लिए दो ख़बर है. पहली यह कि सभी प्रकार के उच्च संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए एक सेंट्रल एजेंसी बनेगी जिसका नाम होगा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी. दूसरी, मेडिकल पीजी के सीटों की संख्या में 5000 की वृद्धि का ऐलान किया गया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएसन के डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा है कि अच्छा कदम है मगर पीजी की सीट और बढ़ाई जानी चाहिए तभी सभी मेडिकल ग्रेजुएट पीजी करने के बाद प्रैक्टिस करने की योग्यता हासिल कर पाएंगे. बजट पर बहुत बातें हो चुकी हैं. हम गांव, खेती, किसान पर फोकस रखने का प्रयास करेंगे. सरकार मानती है कि मौजूदा वित्त वर्ष में खेती में 4.1 प्रतिशत की दर से विकास होने जा रहा है. सरकार किसानों की आमदनी डबल करना चाहती है. इसके लिए वित्त मंत्री ने 2017-18 के लिए 10 लाख करोड़ के कर्ज़ का प्रावधान किया है. छोटे और सीमांत किसानों को कोपरेटिव बैंक से जोड़ने के लिए कदम उठाए जाएंगे. प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी को कोपरेटिव बैंक से जोड़ा जाएगा. इसके लिए तीन साल में 1900 करोड़ खर्च किये जाएंगे.
फसल बीमा योजना के बारे में बताया गया है कि 2015 में खरीफ फसल के लिए किसानों ने 69,000 करोड़ का बीमा कराया था जो 2016 में बढ़कर 1 लाख 41, 625 करोड़ हो गया. क्या यह समझा जाए कि किसान बड़ी संख्या में फसल बीमा योजना अपना रहे हैं. सरकार ने 2016-17 के दौरान दावों को निपटाने के लिए 13,240 करोड़ का प्रावधान किया है. 2017-18 के लिए 9000 करोड़ का प्रावधान किया गया है. पिछले बजट में सरकार ने दावा किया था कि मार्च 2017 तक 14 करोड़ फार्म होल्डिंग को सॉयल हेल्थ कार्ड के दायरे में लाया जाएगा. नए बजट में सरकार ने नहीं बताया है कि 14 करोड़ का लक्ष्य पूरा हुआ है या नहीं. मगर कृषि विज्ञान केंद्र और उसके बाहर मिट्टी की जांच के लिए कुल दो सौ लैब बनाए जायेंगे.
कृषि मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार 5 करोड़ 5 लाख के करीब सॉयल हेल्थ कार्ड बना है. ढाई करोड़ से अधिक सैंपल जांच हुए हैं. क्या मार्च 2017 तक यह लक्ष्य पूरा हो पाएगा. पिछले साल के बजट में नाबार्ड का दीर्घकालिक सिंचाई कोष 20,000 करोड़ किया गया था, इस साल बढ़ाकर 40,000 करोड़ कर दिया गया है. इसके कारण कितनी भूमि सिंचाई योजना के तहत लाई गई है इस बजट में नहीं बताया गया है, मगर पिछले बजट में कहा गया था कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को मिशन मोड में लागू करते हुए 28.5 लाख हेक्टेयर ज़मीन सिंचाई के तहत लाई जाएगी. सिंचाई की 89 लंबित योजनाओं में से मार्च 2017 तक 23 योजनाओं को पूरा कर लिया जाएगा.
वित्त मंत्री के भाषण में प्रधानमंत्री के इस मिशन की कोई झलकी नहीं मिली. सिर्फ दीर्घकालिक सिंचाई फंड के बीस से चालीस हज़ार करोड़ कर दिये जाने का ऐलान है. किसानों को सही दाम मिले इसके लिए राष्ट्रीय कृषि बाज़ार ई-नैम को सभी 585 एपीएमसी बाज़ारों में लागू किया जाएगा. इसके लिए सरकार प्रत्येक ई-नैम को 75 लाख रुपये का फंड देगी. मंडियों को ई-पोर्टल से जोड़ा गया है. यह योजना पिछले साल अप्रैल में शरू हुई थी. पहले चरण में 10 राज्यों की 250 मंडियों को ई-पोर्टल से जोड़ा गया है. अक्टूबर 2016 में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा था कि सात महीनों में इसके ज़रिये 421 करोड़ का करोबार हुआ था.
एक बदलाव यह हुआ कि फल सब्ज़ी जैसे जल्दी नष्ट होने वाले उत्पादों को एपीएमसी से डिनोटिफाई कर दिया जाएगा. इसका क्या लाभ होगा हम बात करेंगे. फल सब्ज़ी वालों को एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट से जोड़ने के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग का एक मॉडल कानून बनेगा जिस पर राज्यों से सुझाव मांगे जाएंगे. सरकार ने कहा है कि ऑपरेशन फ्लड के तहत जितनी भी मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट बनी थी वो अब बेकार हो चुकी हैं. सरकार ने डेयरी प्रोसेसिंग और इंफ्रा डेवलपमेंट फंड का ऐलान किया है. नाबार्ड 2000 करोड़ से शुरुआत करेगा और तीन साल में इस पर 8000 करोड़ खर्च करेगा.
बजट में केंद्र-राज्य की तमाम तरह की योजनाओं को मिलाकर गांवों में हर साल तीन लाख करोड़ खर्च होता है. देश में पांच से छह लाख गांव माने जाते हैं. आप पांच लाख गांव मान लीजिए. इन पर हर साल तीन लाख करोड़ खर्च होता है. तो तमाम प्रति गांव कितना हुआ. एक गांव पर साठ लाख. अगर गांव के लोग इस पैसे का हिसाब मिलजुलकर लें तो अपने स्तर पर गांव का कितना भला कर सकते हैं.
सरकार ने तय किया है कि मिशन अंत्योदय के तहत एक करोड़ परिवारों को ग़रीबी रेखा से ऊपर लेकर आएगी. इसके लिए 2019 तक 50,000 ग्राम पंचायतों को ग़रीबी मुक्त बनाया जाएगा. ग़रीबी मुक्त पंचायत के लिए सरकार एक नया इंडेक्स भी बनाने वाली है जिसके आधार पर मापा जाएगा कि अमुक पंचायत ग़रीबी मुक्त हुई या नहीं. पिछले बजट में वित्त मंत्री ने कहा था कि ग्राम पंचायतों और नगरपालिकाओं को दो लाख 87 हज़ार करोड़ का ग्रांट दिया जाएगा. इस बजट में भाषण से नहीं पता चलता कि ग्रांट दिया गया या नहीं या कितना दिया गया. पिछले बजट में श्यामा प्रसाद मुखर्जी अर्बन मिशन के तहत 300 रूर्बन क्लस्टर बनाने की बात थी. इस बजट में इसका कोई ज़िक्र नहीं है. पहले वाला बना उसका भी नहीं, और इस योजना के तहत आगे बनेगा या नहीं इसका भी ज़िक्र नहीं है.
भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस बात से परेशान हैं कि वे प्रति दिन 40 किलोमीटर सड़क बनाने के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रहे हैं. 11 नवंबर 2016 के फाइनेंशियल एक्सप्रेस में गडकरी का बयान छपा है कि 20.4 किमी प्रति दिन ही हाईवे बना पा रहे हैं. गडकरी ने लक्ष्य रखा था कि प्रति दिन 41 किमी सड़क बनाएंगे. लेकिन अपने लक्ष्य का आधा ही हासिल कर सके. गडकरी ने यह बयान आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में बोला था. कहा जाता है कि वह तेज़ तर्रार मंत्री हैं. प्रति दिन सड़क बनाने में जो लक्ष्य गडकरी हासिल नहीं कर पा रहे हैं, उससे कई गुना प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना ने हासिल किया है.
इस साल के बजट में दावा किया गया है कि 2016-17 में हर दिन इस योजना के तहत 133 किमी सड़क बनी है. 2011-2014 के दौरान प्रतिदिन औसतन 73 किमी सड़क ही बनती थी. सोचिये जिस साल गडकरी प्रति दिन बीस किलोमीटर सड़क ही बनवा पा रहे थे, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 133 किमी प्रति दिन सड़कें बन रही थीं.
सरकार ने पिछले बजट में भी कहा था कि एक मई 2018 तक सभी गांवों को बिजली से जोड़ देंगे. इस बजट में भी कहा कि हम सही दिशा में है. आर्सेनिक प्रभावित 28000 मानव बस्तियों को अगले चार साल में पाइप के ज़रिये पानी की आपूर्ति की जाएगी. यह एक अच्छा कदम है. गांवों में शौचालय का कवरेज 40 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है. बजट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम का बजट तीन गुणा कर दिया गया है. मनरेगा का बजट 38,000 करोड़ से बढ़ाकर 48,000 करोड़ कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने कहा है कि इतना कभी नहीं हुआ था. पिछले वित्त वर्ष में भी मनरेगा के तहत 38000 का प्रावधान था मगर सरकार ने 47,000 करोड़ खर्च किये. क्या इन घोषणाओं से हमारा ग्रामीण ढांचा बेहतर होता है.
This Article is From Feb 01, 2017
प्राइम टाइम इंट्रो : किसानों के लिए आम बजट में क्या है ख़ास?
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:फ़रवरी 01, 2017 21:26 pm IST
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Published On फ़रवरी 01, 2017 21:26 pm IST
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Last Updated On फ़रवरी 01, 2017 21:26 pm IST
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