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This Article is From Apr 08, 2016

प्राइम टाइम इंट्रो : हंसेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 08, 2016 22:09 pm IST
    • Published On अप्रैल 08, 2016 22:05 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 08, 2016 22:09 pm IST
इतना तो सब कहते हैं कि हमारे देश की जीडीपी ठीक होने वाली है, फिर लोगों का बीपी कम क्यों नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और रेटिंग एजेंसी मूडी के आशावाद को लोग समझ क्यों नहीं पा रहे हैं। ऐसी बहसों में क्यों उलझें जिससे मूडी को भी फर्क नहीं पड़ रहा है। घर वापसी, लव जिहाद, रामज़ादे, असहिष्णुता, गौ मांस से होते हुए बहसों का मल्लयुद्ध देशभक्ति, देशद्रोही, आज़ादी से दाएं बाएं मुड़ते हुए हम अब भारत माता की जय पर आ गए हैं। बीच बीच में ब्रेक लेकर वंदेमातरम पर भी बहस कर लेते हैं मगर लेटेस्ट तो वही है कि कौन बोलेगा और कौन नहीं बोलेगा। अच्छी बात है कि इन सबके बावजूद समरसता बनी हुई है, अच्छी बात ये नहीं है कि बिना हास्य के ये रसता बनी हुई है। ज़रूरी है कि हम हंसें। अपने ऊपर, आपके ऊपर और उनके ऊपर भी जो खुद को बहुत सीरीयसली लेते हैं। हमारा कहनाम है कि हंसेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया।

आप इस मुख्यालय को तो पहचानते ही हैं जहां रोज़ कोई न कोई भाषण होता है मगर हिन्दी में होता है तो वो काफी बड़ा हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर में खुशहाली पर एक रिपोर्ट निकालता है जिनमें उन देशों में भी खुशी खोजी जाती है जो कुपोषण के शिकार हैं। 2012 से संयुक्त राष्ट्र को ख़्याल आया है कि हैप्पिनेस इंडेक्स निकाला जाए। अपने भारत का स्थान 118वां है। 157 देशों में हम 118वें नंबर पर हैं। हम इतने कम खुश क्यों हैं। क्या हम भारतीय 117 देशों के हंसने के बाद हंसते हैं। वेट करते हैं कि पहले डेनमार्क हंस ले फिर स्वीट्ज़रलैंड हंस ले तब जाकर हंसेंगे। बिल्कुल ग़लत बात है। हद हो गई है। इस सूची को देखा तो पाकिस्तान भी हमसे पहले हंसता है। वो 92वें नंबर पर है। चीन तो पाकिस्तान और भारत दोनों से पहले हंसता है यानी 83 नंबर पर है। मैं तो बर्दाश्त नहीं कर पा रहा कि अपना भारत जहां भारत माता को लेकर इतनी जंग हो रही है वो प्रसन्नता के मामले में विपन्नता का शिकार है। लोग कहते हैं कि पड़ोसी की ईर्ष्‍या से भी सुख मिलता है। 118वें नबर पर भारत अगर पीछे मुड़कर देखेगा तो 119वें पर म्यांनमार है। उनके यहां तो लोकतंत्र आजतक आ ही रहा है। हमारे यहां तो कब से है।

प्रसन्नता मंत्रालय आपने सुना ही होगा। दुनिया में कई लोग सऊदी अरब के नाम से रोते हैं मगर हैप्पिनेस इंडेक्स में 34वें नंबर पर मौजूद सऊदी अरब ने इस साल फरवरी में एक प्रसन्नता मंत्रालय बनाया है। फरवरी से अप्रैल आ गया अब जाकर भारत में इसकी नकल हुई है। नकल करने वाले को धन्यवाद। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया कि उनके राज्य में भी प्रसन्नता मंत्रालय होगा जो राज्य के विकास का मूल्यांकन करेगा कि लोग खुश हैं कि नहीं। लेकिन देश के किसी भी हास्य कवि ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, मैं समझ सकता हूं क्योंकि सीएम चौहान ने इसकी घोषणा एक अप्रैल को की थी। प्रसन्नता पर जब मत्रालय बन सकता है तो आप प्रसन्नता प्राइम टाइम क्यों नहीं देख सकते हैं। वैसे प्रसन्नता मंत्रालय में होता क्या होगा। लोग हंसते ही रहते होंगे। दूसरों की हालत पर और अपनी हालत पर भी। मने पूछ रहे हैं। तो शुरू करते हैं। हम अभी से बता देते हैं कि हमारा इरादा बिल्कुल सभी का दिल दुखाने का है। क्योंकि जिनका दुखेगा मतलब उनको दुनिया में कोई नहीं हंसा सकता है।

एयरपोर्ट सजाने की अनुमति नहीं मिली होगी इसलिए ये लोग बैंड बाजा लेकर आ गए। आने वाले के स्वागत में। सरदार वल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट पर कौन आने वाला था जिसकी अगुवाई में इतने लोग आ गए हैं। कार को इस तरह से सजा कर लाए हैं। चलिये गेस कीजिए। किसके इंतज़ार में खूब सारा तिरंगा झंडा लहराया जा रहा है। दूसरा गेस कीजिए, किसके इंतज़ार में ये लोग भारत माता की जय का पोस्टर लिये खड़े हैं। तीसरा गेस कीजिए किसके लिए ये लोग नया नया टी शर्ट पहनकर आए हैं। ठीक से देखिये इस टीशर्ट को। इसमें आने वाले का फोटो भी बना है। ये आधार-टीशर्ट नहीं है मगर फोटो से पता चलता है कि गुजरात के आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा अहमदाबाद आ रहे हैं। कई फर्ज़ी एनकाउंटर में वंजारा साहब जेल में बंद थे। कुछ साल पहले मुंबई की जेल में भेज दिए गए। कुछ दिन पहले ज़मानात पर बाहर आए और जब मुंबई से गुजरात जाने की इजाज़त मिली तो अपनी एंट्री को ग्रैंड बना दिया। वंजारा साहब ने कहा है कि उनका स्वागत सभी देशभक्तों का स्वागत है। सारे देशभक्त ठीक से देख लें कि उनका स्वागत हुआ है। अगर वंजारा की तरह एनकाउंटर के आरोप में जेल जाने का मौका नहीं भी मिला है तो भी इस स्वागत को स्वीकार तो कर ही सकते हैं। सोचिये जब ये बरी होंगे तो कैसा स्वागत होगा।

यही नहीं जेल में रहते रहते वंजारा अपने सर्विस रिवाल्वर को भी काफी मिस करते होंगे। शायद इसीलिए जब अहमदाबाद एयरपोर्ट से बाहर निकले तो एक कार्यक्रम में पहुंचे और मंच पर तलवार डांस का नमूना पेश किया। तलवार लेकर ऐसे नाचते रहे जैसे कोई युद्ध जीत कर आए हों। भारत शांति का पुजारी रहा है लेकिन ऐसा नहीं है कि लोग तलवार चलाना भूल गए हैं। जब दूल्हे तलवार लेकर शादी करने जा सकते हैं तो जेल से आने पर आप किसी को तलवार डांस करने से कैसे रोक सकते हैं। इस तस्वीर पर आप हंस ही सकते हैं क्योंकि रोने से कोई फायदा नहीं। ये भारत में बिल्कुल हो सकता है। वैसे बंजारा साहब जिस तरह से तलवार भांज रहे हैं लगता है कि इतने साल जेल में रहने के बाद भी वे अपनी पुरानी आदतें नहीं भूले हैं। अब हमें ये नहीं पता कि भारतीय जेलों में कैदियों को तलवार भांजने की ट्रेनिंग दी जाती है या नहीं। हैट्स आफ टू हिम एंड यू टू कॉफी विद करन शो तो आपने देखा ही होगा। चाय पे चर्चा के बारे में तो आपने सुना ही होगा। कॉफी विद कैप्टन सुना था क्या। चाय से बात अब कॉफी पर जा पहुंची है। अभी मोदी जी असम से आ जाएंगे तो कहेंगे कि कांग्रेस अमीरों की पार्टी है। कॉफी पीती है। कॉफी पिलाती है। कहां से पैसा आया। मित्रों हम काफी नहीं पिला सकते हैं। हमें चंदा दीजिए। हम गरीब लोग हैं तभी तो मैं चाय बेचता था। फिर झगड़ा पहुंचेगा सूट के दाम पर और माल्या के जहाज़ पर। इससे पहले हम काफी विद कैप्टन पी ले लेते हैं।

वैसे पंजाब में लोग जो पीना पंसद करते हैं उसे बिहार में बैन कर दिया गया है। लेकिन पंजाब में कैप्टन होते हैं। पहले भी हॉकी के कैप्टन हुए। क्रिकेट के कैप्टन हुए मगर कॉफी विद कैप्टन कोई नहीं हुआ। कांग्रेस के नेता है अमरिंदर सिंह। मुझे लगता है कि वे प्रधानमंत्री मोदी की स्टाइल चुराने को लेकर काफी परेशान थे लेकिन चाय बेचने पर मोदी जी का ऐसा कॉपीराइट है कि किसी नेता के लिए डुप्लिकेट बनाना बहुत मुश्किल है। नतीजा ये आइडिया आया है कॉफी विद कैप्टन। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कहा था कि वे असम की चाय बेचते थे। दो साल तक चाय की चर्चा हुई लेकिन न तो पीएम ने बताया न लोगों ने उनसे पूछा कि आप कौन सी चाय बेचते थे। खुद ही पीएम ने बता दिया कि वे असम की चाय बेचते थे। वे अकेले चाय वाले हैं जिन्हें आज तक याद है कि बीस पचीस या तीस साल पहले वे किस जगह की चाय बेचते थे। याद नहीं होता तो वे दार्जीलिंग टी का भी नाम ले सकते थे मगर नहीं लिया। आप जानते हैं कि पंजाब में कॉफी नहीं होती है। चाय कौन सी गुजरात में होती है। कॉफी होती है कर्नाटक में। कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री परेशान ही होंगे कि कॉफी उगाते वो हैं और पीला कैप्टन साहब रहे हैं। हमने सुना है कि पंजाब में कोई कॉफी पीने वाला नहीं मिल रहा है। जब तक नहीं मिलता क्या ऐसा हो सकता है कि कैप्टन साहब कॉफी विद करन के सेट पर चले जाएं। करन जौहर थोड़ा अपसेट होंगे लेकिन पंजाब की कसम दिला देने से वे सेट छोड़ सकते हैं। फिर उनके सामने शिल्पा से लेकर करीना जो भी हो उनके साथ काफी पर चर्चा कर लें। कॉफी विद कैप्टन हिट हो गया तो कॉफी विद करन का क्या होगा। ये सोचने का टाइम नहीं है। पीने का टाइम है। यह भी हो सकता है कि कॉफी विद करन भी कांग्रेस गांव गांव में दिखा सकती है। लोकप्रिय शो रहा है क्या पता इसी से अंधेरे बादल छंट जाएं यानी हट जाएं।

साठ साल तक राज करने का यह फायदा होता है। तभी कांग्रेस काफी पिला रही है। थोड़े दिन रुक जाइये बीजेपी भी पिलाएगी। वैसे बीजेपी ने के पी मौर्य को यूपी का अध्यक्ष बनाया है। मौर्या साहब अपने बायोडेटा में लिखते हैं कि वे बचपन में चाय बेचते थे। उन पर दस आपराधिक मुकदमे भी हैं। वैसे आप चाय पर ही ध्यान दें। चाय बेचने से बीजेपी में कुछ भी हो सकता है। पता नहीं कांग्रेस में कॉफी बेचने से क्या होगा। ख़बर आई है कि राष्ट्रीय लोक दल का जनता दल युनाइटेट में विलय होने वाला है। राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजीत सिंह बहुत ज़माने के बाद अपनी पार्टी के साथ विलय कर रहे हैं।

अभी तक वे गठबंधन करते थे और मंत्री बनकर किसी भी सरकार में विलिन हो जाते थे। मेरा अपना अनुमान है कि अकेले विलय करते करते बोर हो गए होंगे तो इस बार अपनी पार्टी का ही विलय करने का प्लान बना लिया है। अजीत सिंह की किस्मत बहुत कम की होती है। उनके पास मंत्रिमंडल और तस्वीरों का पोर्टफोलियो शानदार है। इस फोटो में वे अखिलेश यादव की पीठ पर हाथ रख रहे हैं। इस फोटो में वे अमर सिंह के साथ हैं। इस फोटो में वे राहुल गांधी के साथ हैं। इस फोटो में वे प्रकाश करात के साथ हैं। इस फोटो में वे राजनाथ सिंह के साथ हैं। इस फोटो में बाबा रामदेव के साथ हैं। इस फोटो में वे मायावती के साथ हैं। इस फोटो में वे नीतीश कुमार के साथ हैं। अब वे अकेले साथ नहीं है। उनकी पार्टी भी अब नीतीश के साथ है। अगर इस तरह नेता अपनी पार्टी का विलय करने लगे तो राष्ट्रीय पार्टियों का अकेलापन बढ़ जाएगा। सोचिये बीजेपी और कांग्रेस गठबंधन के लिए किसके पास जाएंगी। जो भी है अजीत सिंह का राजनीतिक अल्बम देखना हो तो टाइम लेकर उनके पास जाइयेगा। 1998 में उन्होंने राष्ट्रीय लोक दल बनाया था। 18 साल पार्टी चलाने के बाद, कई दलों व नेताओं के साथ रहने के बाद अजीत सिंह अब अपनी पार्टी चलाने की ज़िम्मेदारी नीतीश कुमार को सौंप रहे हैं।

राष्ट्रीय के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय ख़बरें भी। भारत में हो रही भारत माता की जय की चर्चा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है। यहां कई लोगों ने कहा है कि भारत में रहना है तो भारत माता की जय बोलना होगा। इसे सुनते ही यूरोप में हलचल मच रही है। वहां लोग अपनी बस और नाव मोड़ कर भारत की तरफ चल पड़ने की बात करने लगे हैं।

यूरोप के शरणार्थियों ने जब से सुना है कि भारत में रहने के लिए भारत माता की जय बोलना होगा वे काफी उत्साहित नज़र आ रहे हैं। सीरीया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, कोसोवो, अल्बेनिया, नाइजीरिया, इरान और यूक्रेन से लाखों लोग यूरोप में शरणार्थी बनने के लिए आवेदन दे रहे हैं। इनमें से सबसे ज्यादा लोग जर्मनी में रहना चाहते हैं। साढ़े चार लाख से अधिक लोगों ने जर्मनी में रहने का अप्लिकेशन दिया है। अगर इन्हें पता चल गया कि भारत से कोई ये ऑफर कर रहा है कि सिर्फ भारत माता की जय कहने से भारत में रहने का मौका मिल सकता है तो शरणार्थी अपनी नावें भारत की तरफ मोड़ सकते हैं। भारत भी दूतावासों में वीज़ा काउंटर की जगह भारत माता की जय काउंटर खोल सकता है। जो भी शरणार्थी इस काउंटर पर आकर भारत माता की जय बोलेगा उसे भारत जाने का वीज़ा दिया जा सकता है। दुनिया भर में वीज़ा देने का यह सबसे आसान नियम होगा।

परिंदे परेशान हैं। असम की चुनावी रैली में बीजेपी अध्यक्ष ने कह दिया कि हमारी सरकार आई तो बांग्लादेश से परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। अजमल से प्रॉब्लम तो समझ आता है, मगर परिंदों से क्या प्रॉब्लम है। परिदों को लगा कि कहीं परिंदा मुक्त भारत की बात तो नहीं हो रही है।

सुनते ही डिफेंस कॉलोनी के फ्लाईओवर पर परिंदे सर झुका कर खामोश हो गए। चिन्तन मनन करने लगे कि इंसानों के सियासी झगड़े में वे कहां से फंस गए। किसी को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। तो इन्हीं में एक उड़न रत्न पुरस्कार से सम्मानित चूं चूं परिंदे ने हल निकाला। चूं चूं परिंदे ने कहा कि ये हमारे उड़ने के अधिकार पर हमला है। परिंदे पर नहीं मारेंगे तो क्या करेंगे। ये आकाश किसके लिए है। ये ज़मीन किसके लिए हैं। हम परिंदों का कोई मुल्क नहीं होता। हमारा तो आकाश होता है। हम चाहें तो पाकिस्तान जाएं, चाहें तो बांग्लादेश जाएं और शाम को लौटकर भारत आ जाएं। परेशान परिंदे कभी उड़ते रहे, कभी लौटते रहे। तय हुआ कि चूं चूं परिंदा अमित शाह के इस बयान के विरोध में अपना उड़न रत्न पुरस्कार वापस करेगा। मीडिया के सामने परिंदों ने उड़ उड़ कर अपना विरोध भी जताया है। इंसानों से कहा है कि वे परिंदों के पर को सीमाओं में न बांधें। इंसानों को रोकना है तो रोकें। उनके नाम पर हम परिंदों को न रोकें। अब अमित शाह को डर है कि परिंदों के इस विरोध को आम आदमी पार्टी न सपोर्ट कर दे। कहीं इन्हें कुमार विश्वास कविता सुनाकर ग़लत रास्ते पर न भटका दे। परिंदों और पालतुओं के प्रति संवेदनशील मंत्री मेनका गांधी ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।

इस बीच भारत माता की जय नहीं बोलने वालों को क्या सज़ा दी जाए इसे लेकर कंफ्यूजन हो गया है। देश से बाहर भेजा जाए, उनका सर काट दिया जाए या जबड़ा उखाड़ा जाए। पहले दो प्रकार की सज़ाएं तो चर्चा में आ चुकी हैं, जय नहीं बोलने पर जबड़ा उखाड़ने का आइडिया अभी अभी आया है। शुक्रवार के इंडियन एक्सप्रेस में छपी है ये खबर।

छत्तीसगढ़ के एक मंत्री हैं बृजमोहन अग्रवाल। इन्हें लगता है कि बाबा रामदेव का गर्दन काटने वाला आइडिया पसंद नहीं आया। अग्रवाल ने उससे थोड़ा पीछे रहते हुए कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं के सामने अगर कोई राष्ट्रविरोधी नारे लगाएगा तो हम उनके जबड़े को उखाड़ने की ताकत रखते हैं। अगर हिन्दुस्तान की धरती पर तुमने जनम लिया है। हिन्दुस्तान की धरती का अन्न खा रहे हो और तुम्हारे मरने के बाद भी तुम्हें अगर दो गज़ ज़मीन मिलेगी तो हिन्दुस्तान की धरती पर मिलेगी इसलिए भारत माता की जय बोलना पड़ेगा। मैंने जबड़ा तोड़ने की बात तो सुनी थी, उखाड़ने का कॉपीराइट अग्रवाल जी का लगता है। हमने एक डेंटिस्ट से पूछा कि जबड़ा कैसे उखाड़ा जाता है। तो उन्होंने कहा बहुत गंभीर मामले में ही जबड़ा उखड़ा जाता है। एक डेढ़ घंटे की सर्जरी होती है। बीजेपी के कार्यकर्ता इतना टाइम लगाएंगे तो हर ज़िले में एक लाख नमो ऐप डाउनलोड करवाने का टारगेट मिस कर सकते हैं। वो डेंटिस्ट का काम करेंगे तो डाउनलोड कब करेंगे। अमित शाह ने कहा है कि हर ज़िले में एक लाख नमो ऐप डाउनलोड होना चाहिए।

इतनी तकलीफ सहकर ना बोलने से क्या मिलने वाला है। इससे तो अच्छा है कि न बोलने वाले जय बोल ही दें। बोलने की मांग करने वाले कितने नाराज़ हो गए हैं। कुछ तो ना बोलने वालों को सोचना चाहिए। स्वामी अग्निवेश ने बाबा रामदेव के बयान पर इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा है कि उनका सर काटने वाला बयान धर्म विरोधी है।

अग्निवेश जी को पढ़ते हुए मैं प्रो रामदेव हो गया। अगर बाबा मानवता को प्यार न करते तो मानव के खाने के लिए अचार, बिस्कुट या आटा नहीं बनाते। उनका गुस्सा अग्निवेश नहीं समझ पा रहे हैं। बाबा को पता है कि लाखों सर काट देंगे तो नूडल्स खाने वाले कम हो जाएंगे। फिर भी वो ये गुस्सा बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। गनीमत है कि देश में संविधान है। उन्होंने कहा कि इस देश में कानून है, नहीं तो तेरी एक की क्या, हम तो लाखों की गरदन काट सकते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि बाबा ऐसा नहीं करेंगे। गुस्से में कह गए हैं। स्वामी अग्निवेश का लेख पढ़कर प्रायश्चित करेंगे। लाखों सर काट कर अपने आटे और नूडल्स का नुकसान कौन करेगा। कुछ तो है कि बाबा को काला धन न आने पर भी इतना गुस्सा नहीं आया। नहीं बोलने वाले भी कम नहीं हैं। नहीं बोलना है तो न बोलें, बाबा के सामने जाकर बोलना ज़रूरी है कि नहीं बोलेंगे। ख्वामखाह अपने सर को रिस्क ज़ोन में क्यों डालना चाहते हो भाई।

हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच चल रही है। उन्होंने तीन बार भारत माता की जय बोल कर कांग्रेस को भी कंफ्यूज कर दिया है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि मैं सच्चा देशभक्त हूं। दिल से राष्ट्रवादी हूं। बीजेपी भी वीरभद्र सिंह के भारत माता की जय बोलने से कंफ्यूज है। वो समझ नहीं पा रही है कि आलोचना करे या स्वागत करे। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि वे अब हर समारोह में भारत माता की जय का नारा लगाएंगे। इस बीच कोहिनूर हीरे को लेकर राष्ट्रवाद संकट में आ गया है। कोहिनूर पर भारत के लोग और न्यूज एजेंसिया दावा करती रही हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी से भारतीय राष्ट्रवाद का कोहिनूर पक्ष संकट में पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में कोहिनूर को भारत लाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। याचिकाओं के लिए मशहूर सुब्रमण्यम स्वामी और प्रशांत भूषण ने ये याचिका दायर नहीं की है। ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस फ्रंट ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को भी पार्टी बनाने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत कई देश कोहिनूर पर अपना हक जता चुके हैं। सरकार को जो करना था उसने किया है। फिर भी सॉलीसीटर जनरल से राय मांगी गई है। अब ऐसा हीरा क्यों मांग रहे हैं जिस पर कई देशों का दावा है।

न बोलने के लिए मशहूर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बोलने के लिए मशहूर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी है। कहा है कि बोलने से ज़्यादा महत्व करने का होता है। मोदी जी को ये सलाह देने के लिए मनमोहन सिंह ने बोला है ये न्यूज़ है। 2014 के चुनाव से पहले मोदी जी मनमोहन सिंह से कहा करते थे कि कुछ किया भी है तो बोला भी कीजिए। बीच में कुछ मुद्दों पर जब मोदी जी चुप हुए तो कांग्रेसी नेताओं को मनमोहन सिंह की याद आने लगी है और वे मोदी जी को मौन मोदी कहने लगे। समझ ही नहीं आया कि वे मोदी जी की आलोचना कर रहे हैं या अपने पूर्व प्रधानमंत्री की। मौन मोदी कहने से मोदी जी भी कंफ्यूज हो गए होंगे इसिलए उन्होंने कई मुद्दों पर बोला ही नहीं।

इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जिनके नाम पनामा पेपर्स में आए हैं उनकी रातों की नींद उड़ जाएगी। ऐसे लोगों को मेरी सलाह है कि सुबह सुबह ही इंडियन एक्सप्रेस पढ़ लें जिसमें पनामा पेपर्स पर रोज़ कुछ न कुछ छप रहा है और दिन में ही सो लें ताकि रातों को नींद न आने पर कोई परेशानी न हो।

अब बढ़ते हैं अगली खबर पर। हंसेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया। शुक्रवार के हमारे इस नारे को आप स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया से न जोड़ें। हमारा मकसद यही है कि राजनीतिक बहसों को लेकर जो कटुता है वो थोड़ी कम हो जाए। हर बात को तथ्यों के पैमाने पर न परखें। आप जानते हैं कि दो लोग भाग गए हैं। एक तो विदेश भाग गए हैं और एक देश में है मगर पता नहीं चल रहा है।

मोदी सरकार के एक मंत्री वाई एस चौधरी को आपने किसी बस स्टैंड पर देखा हो तो तुरंत तेलंगाना पुलिस को इत्तेला कर दें। चौधरी साहब को अदालत ने तीन तीन समन भेजे लेकिन वे हाज़िर नहीं हो सके। वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में विज्ञान एवं टेक्नालजी राज्य मंत्री हैं। मेरा अपना हास्य अनुमान है कि वे किसी साइंस लैब में छिपे हो सकते हैं। मारिशस के एक बैंक ने इनके खिलाफ शिकायत की है कि चौधरी जी उसका लोन नहीं चुका रहे हैं। सेम टू सेम भारतीय बैंकों ने शिकायत की है कि माल्या साहब उनका लोन नहीं चुका रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि ये दोनों एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत ग़ायब हो गए हैं। चौधरी जी के खिलाफ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी हुआ है। इन्हें मंत्रिमंडल से शायद इसलिए भी नहीं हटाया गया है कि क्या पता मंत्रीपद के लालच में ये भाग ही न पाएं। मंत्री जी ने अदालत से कहा है कि उन्हें दिल्ली में कुछ ज़रूरी काम है इसलिए कोर्ट नहीं आ पा रहे हैं। मुझे मंत्री जी की बात पर पूरा भरोसा है क्योंकि उन्होंने न्यायपालिका के सम्मान की बात कही है।

इसलिए भरोसा है क्योंकि वाई एस चौधरी पर सिर्फ 106 करोड़ की देनदारी है वो भी दूसरे मुल्क के बैंक की। माल्या साहब तो 9000 करोड़ लेकर भागे हैं, सोचिये बैंकों का दिल कितना धड़कता होगा। इस घबराहट में बैंकों ने माल्या के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। माल्या ने कहा था कि वे सितंबर तक 4000 करोड़ रुपया दे सकते हैं। बैंको ने कहा लेंगे तो पूरा पैसा लेंगे। सोचिये मॉरिशस का बैंक हैदराबाद तक पहुंच कर लोन डिफॉल्‍टर के खिलाफ वारंट जारी करवा ले रहा है, हमारे बैंक यहीं से माल्या जी से उम्मीद कर रहे हैं कि वे विदेश में रहते हुए भारत का पैसा भारत भिजवा दें।

आईआईटी के छात्रों के लिए महंगी फीस देना आसान हो गया है। ध्यान से सुनें। जनरल छात्रों की फीस 90,000 से बढ़ाकर दो लाख कर दी गई है। लेकिन छात्रों को दो लाख देने में दिक्कत न आए इसलिए आईआईटी के छात्रों को बिना ब्याज के कर्ज मिलेगा। आने वाले समय में बाकी संस्थानों के छात्र भी इस लाजवाब सुविधा की मांग कर सकते हैं। जो पैसा ब्याज का लगेगा उसे फीस में जोड़कर ब्याज माफ कर दिया जाए तो उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि फीस बढ़ी है। मानव संसाधन मंत्रालय को बधाई देनी चाहिए कि तीन गुना फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। सिर्फ दो गुना फीस बढ़ाई गई है। बाकी छात्रों के लिए फीस माफ भी कर दी गई है।

हंसेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया शो लोकल नहीं है। इसमें इंटरनेशनल न्यूज़ भी है। ब्रिटेन की सरकार के एक बड़े सलाहकार ने कहा है कि मोटापा मोटे आदमी की समस्या नहीं है। ये समस्या उस मोटे आदमी के कारण नहीं है जिसके ज़्यादा खाने से मोटा हुआ है। टेलिग्राफ अखबार में खबर छपी है कि इसमें मोटे लोगों की कोई गलती नहीं है कि वे कम नहीं खा पाते हैं। इसका दोषी वही पर्यावरण है जिससे लड़ने के लिए दिल्ली में ऑड ईवन फिर से लॉन्‍च हो रहा है। ठीक है कि कोई ज़्यादा खाने पर कंट्रोल नहीं कर पाता है लेकिन मोटापा इच्छाशक्ति के राष्ट्रीय पतन के कारण नहीं होता है। इसलिए भी होता है कि पर्यावरण बदल गया है। इस रिसर्च के बाद मोटे लोग जम कर खा सकते हैं कि वे अपनी वजह से नहीं, पर्यावरण के कारणों से मोटे हो रहे हैं।

भारत कब से पाकिस्तान को सबक सीखाना चाहता है लेकिन क्रिकेट मैच से आगे बात नहीं बढ़ पाती है। लेकिन नॉर्थ कोरिया भारत की तरह सिर्फ बातें नहीं करता है। वो काल्पनिक वीडियो बनाकर खुश होता रहता है कि यहां बम गिराया तो वहां देखो वहां बम गिराया। इस वीडियो का टाइटल है अगर अल्टीमेटम का जवाब नहीं मिला तो। हम नॉर्थ कोरिया के शुक्रगुज़ार हैं कि उसने इसका टाइटल मां कसम बदला लूंगा नहीं रखा है। इस वीडियो में आप देख सकते हैं सबमरीन ने वाशिंगटन के ऊपर मिसाइल दाग दिया है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के मकान ब्लू हाउस को तबाह कर देता है। इस तरह से वो अपने मुल्क में इन देशों में हमले का सपना बेच रहा है। हम दिनों दिन हास्यास्पद होते जा रहे हैं। जैसे हमारे यहां बिजली जाने पर छत पर सोते हुए बच्चे जैसी बातें करते हैं ठीक वैसी बातें उत्तरी कोरिया इस वीडियो में कर रहा है। इसे मारा ऐसे मारा सबको मारा। विश्व विजेता बन गाए। वीडियो से राष्ट्रीय स्तर पर भड़ास निकालने का ऐसा कार्यक्रम आपने पूरी दुनिया में न देखा होगा।

शहर के बच्चों ने भले जंगल नहीं देखा है लेकिन ऐसा नहीं कि वे जंगल बुक नहीं देख सकते हैं। अभी तो स्मार्ट सिटी नहीं बना है इसलिए कम बदनामी हो रही है। सोचिये स्मार्ट सिटी के दौर में ऐसा होता तो क्या होता। आप जानते हैं कि शुक्रवार को एक फिल्म रीलिज हुई है जंगल बुक। इस फिल्म के सीरीयल रूप को हममें से कई लोग दूरदर्शन पर बिना मां बाप के गाइडेंस के देख चुके हैं। नब्बे के दशक में। लेकिन भारत के अति संवेदनशील सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दिया है। यानी बारह साल से कम के बच्चों को इसे देखने के लिए मां बाप के साथ जाना होगा। सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी का कहना है कि इस फिल्म में थ्रीडी इफेक्ट है। साउंड इफेक्ट छोटे बच्चों के लिए डरावना हो सकता है। वैसे भी मां बाप इतने छोटे बच्चों को अकेले तो सिनेमा हाल जाने कहां देते। मगर इस फैसले का मज़ाक उड़ रहा है। ट्वीटर पर जो लोग बारह साल से बड़े हैं वो इस फैसले पर सीरीयस नहीं है। काफी हंस रहे हैं।

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