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This Article is From Jun 29, 2015

कितना व्‍यापक है व्‍यापम घोटाला?

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    जुलाई 05, 2015 12:02 pm IST
    • Published On जून 29, 2015 21:40 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 05, 2015 12:02 pm IST
मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम मेडिकल, इंजीनियरिंग, पुलिस, नापतोल इंस्पेक्टर आदि इत्यादि की प्रवेश परीक्षाएं लेता है और भर्तियां करता है।

2006 के साल से ही व्यापक की भर्तियों और प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी की ख़बरें आने लगी थीं लेकिन 2013 में डॉक्टर जगदीश सागर के पकड़े जाने से मामला खुला तो पता चला कि मध्य प्रदेश के योग्य छात्रों की एक पूरी पीढ़ी इस घोटाले की भेंट चढ़ चुकी है। व्यापम का भी ठेका ललित मोदी को दे देना चाहिए, अब इस देश के घोटालों के वही असली उजागरहार हैं। पहले इस घोटाले की व्यापकता को समझने का प्रयास कीजिए।

2008 से 2013 के बीच प्री मेडिकल टेस्ट में चुने गए 2200 डॉक्टर और अन्य संदिग्ध बताये जाते हैं। इस मामले में करीब 3000 लोग आरोपी बनाए गए हैं। इनमें छात्र, मां-बाप, राजनेता, बिजनेसमैन और दलाल टाइप के उच्च कोटी के लोग शामिल हैं। करीब 1700 गिरफ्तार हुए हैं जिनमें से कुछ ज़मानत पर हैं तो कुछ जेल में हैं। बड़ी संख्या में छात्र जेल में हैं और अभी भी करीब 500 लोग फ़रार बताये जा रहे हैं।

इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा का मामला अभी पूरी तरह से खुला नहीं है लेकिन मेडिकल के खुलासे ने मध्य प्रदेश के नेताओं और अफसरों को एकजुट कर दिया है क्योंकि इसमें योग्य छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद कर उनके नकारे बच्चों को ही एडमिशन मिला। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में स्वीकार किया है कि 1000 भर्तियां अवैध हुईं हैं। इस मामले में कई मंत्री, आईपीएस, राज्य पुलिस अधिकारी, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के नेताओं के करीबी, यहां तक कि कांग्रेसी नेताओं के नाम भी आरोपी और लाभार्थी के रूप में लिये जाते हैं।

व्हीसल ब्लोअर आनंद राय का दावा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी डॉक्टर अजय मेहता भी आरोपी हैं जिन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। सीएम के ओएसडी प्रेम प्रसाद और उनकी बेटी भी आरोपी हैं। अग्रिम ज़मानत मिल गई है पर सरकार ने विरोध नहीं किया। राज्य मंत्री गुलाब सिंह किरार और उनके बेटे शक्ति प्रताप सिंह आरोपी हैं। शक्ति का मेडिकल में चौथा रैंक था। इनके खिलाफ जुलाई 2014 में एफआईआर हुई लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। व्यापम के परीक्षा नियंत्रक सुधीर सिंह भदौरिया भी गिरफ्तार नहीं हुए हैं। ये भी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी बताये जाते हैं। भदौरिया अभी भी इंदौर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक के पद पर हैं।

मध्यप्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा जेल में हैं। इस बीच एक और घोटाला सामने आ गया है। MP DMAT के तहत 50 फीसदी की परीक्षा होती है। आरोप लग रहे हैं कि इत्महान से पहले ही 25 लाख में एमबीबीएस और एक करोड़ में पोस्ट ग्रेजुएट की सीट बुक हो जाती है।

कांग्रेस नेता अरुण यादव का आरोप है कि इसमें कथित रूप से जजों के बेटे और बीजेपी से जुड़े नेताओं के बच्चों के नाम सामने आए हैं। सीएम शिवराज सिंह की बहन की बेटी का भी 2012 में एडमिशन हुआ है। हाईकोर्ट में एसटीएफ ने माना है कि 23 आरोपियों की मौत हुई है। शनिवार रविवार को हुई 2 मौतों को जोड़ दें तो संख्या 25 हो जाती है, कुछ का दावा है कि 40 आरोपियों की मौत हो चुकी है।

2012 में व्यापम की आरोपी एक आदिवासी लड़की नम्रता दामोर को ट्रेन से फेंक दिया गया। उसकी हत्या की जांच रिपोर्ट का अब तक पता नहीं है। एक व्हीसल ब्लोअर आनंद राय ने बताया कि उन्हें 11 बजे से शाम 7 बजे तक ही सुरक्षा गार्ड मिलता है। उसके आगे पीछे वे भगवान भरोसे रहते हैं।

ग्वालियर में व्यापम मेडिकल कॉलेज भर्ती से जुड़े 19 मामले दर्ज हैं। जिनमें से 5 में आशीष शिकायतकर्ता हैं और 11 में सारी जानकारी देने वाले। यही नहीं जान के डर से एक और शिकायतकर्ता प्रशांत पांडे मध्य प्रदेश ही छोड़ चुके हैं। एसआईटी ने पांडे के दस्तावेज़ों को फर्ज़ी बताया है। आशीष को भी एक सुरक्षा गार्डमिला हुआ है लेकिन सुरक्षा का आप देखेंगे तो दंग रह जाएंगे।

30 अप्रैल को विजय सिंह पटेल की संदिग्ध हालात में बस्तर के होटल से लाश मिली। वे तीन मामलों में आरोपी थे। पुलिस आत्महत्या बताती है और घर वाले हत्या। 40 साल के डॉक्टर राजेंद्र 48 घंटे के भीतर मरने वाले दूसरे आरोपी हैं। ग्वालियर के डॉक्टर कहते हैं कि डॉक्टर राजेंद्र की मौत लिवर में इंफेक्शन से हुई लेकिन परिवार वालों को यह तर्क स्वीकार नहीं है। ग्वालियर से 600 किमी दूर इंदौर में एक और आरोपी डॉक्टर नरेंद्र तोमर को सीने में दर्द होता है। इंदौर जेल से अस्पताल तक लाते लाते मर जाते हैं। परिवार वाले हार्ट अटैक से संतुष्ट नहीं हैं।

इसी मार्च में लखनऊ में मध्य प्रदेश के राज्यपाल के बेटे की लाश भी संदिग्ध हालत में मिली। 18 जून को मध्य प्रदेश के एक डॉक्टर ने मुझे अंग्रेज़ी में एक चिट्ठी लिखी, उसका एक हिस्सा आपको पढ़कर सुना रहा हूं। हालत यह है कि जब मैंने पूछा कि क्या आपका नाम बता सकता हूं तो उन्होंने मना कर दिया। ज़ाहिर है व्यापम के आरोपियों की हालत ने वाजिब चिन्ता करने वालों को भी डराना शुरू कर दिया है।

डॉक्टर साहब ने लिखा है, 'क्या हम हर घोटाले में पैसे की ही गिनती करते हैं। जैसे 2जी या 3जी में करते हैं। मैं जिस घोटाले का ज़िक्र करने जा रहा हूं इसका समाज पर दूरगामी असर पड़ने वाला है। पिछले दरवाज़े से प्रवेश पाने वाले डॉक्टर कभी भी संजीदगी से समाज की सेवा नहीं करेंगे। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर गिरता जा रहा है। घोटाले से जो वन निरीक्षक या टीचर बनेगा वो कैसे ईमानदारी से काम करेगा। 15 साल से यह घोटाला चल रहा है। इसके ज़रिये न जाने कितने डॉक्टर बन गए होंगे। ज़्यादा चिंता की बात ये है कि जो छात्र डॉक्टर बनने लायक थे वे कुछ और कर रहे होंगे। एक घोटाले से पूरी पीढ़ी भ्रष्ट हो गई है।

मध्य प्रदेश में हर साल दसवीं की परीक्षा में 45 से 50 प्रतिशत बच्चे फेल हो जाते हैं। इस साल 8 लाख 30 हज़ार बच्चों में से सवा चार लाख यानी पचास फीसदी बच्चे फेल हो गए। सेल्फी विद फेलियर भी एक अभियान चलना चाहिए ताकि उस सेल्फी में सिस्टम का चेहरा दिखे। मध्य प्रदेश के मंत्री बाबू लाल गौड़ ने कहा है कि जो आएगा वो तो जाएगा ही। क्या बाबू लाल गौड़ को किसी यमराज ने बताया है कि व्यापम के ये जो आरोपी आए हैं वो जाएंगे।

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