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This Article is From May 31, 2016

प्राइम टाइम इंट्रो : जीडीपी विकास दर में तेज़ी अच्छे दिनों के संकेत?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 31, 2016 21:24 pm IST
    • Published On मई 31, 2016 21:24 pm IST
    • Last Updated On मई 31, 2016 21:24 pm IST
सकल घरेलु उत्पाद यानी जीडीपी। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर। भारत सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष के विकास दर के आंकड़े जारी करते हुए दावा किया है कि अर्थव्यवस्था का बढ़ते जाना जारी है। 2015-16 में सकल घरेलू उत्पादन यानी जीडीपी की विकास दर 7.6% रही जबकि इससे पहले के साल 2014-15 में ये 7.2% रही थी।

जीडीपी देश की कुल आर्थिक गतिविधियों का एक मोटा आंकड़ा होता है। इसका मतलब है देश में एक साल में सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल उत्पादन और उपभोग कितना हुआ। सरकार का दावा है कि देश में आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आने यानी उत्पादन और उपभोग में इज़ाफ़ा होने की वजह से जीडीपी में ये तेज़ी आई है। खासकर बीते साल की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2016 तक प्रगति की रिपोर्ट सबसे बेहतर रही है।

इन तीन महीनों के दौरान जीडीपी की दर 7.9% रही जबकि इसके 7.5% रहने का अनुमान लगाया जा रहा था। यानी उम्मीद से भी ज़्यादा।

सत्ता में मोदी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर ये सरकार के लिए एक अच्छी ख़बर है। इन आंकड़ों के मुताबिक चीन पर भारत की बढ़त कायम है। चीन में जनवरी और मार्च के बीच जीडीपी विकास दर 6.7% रही जो बीते सात साल में सबसे धीमी है। मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर वित्त मंत्री ने कहा था कि पूरी दुनिया में मंदी चल रही है। कहीं भी 7 प्रतिशत का ग्रोथ रेट नहीं है। भारत अकेला देश है जो यह प्रदर्शन कर रहा है। हम इससे भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर सबकी नज़र रहती है। 2015-16 में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 9.3 प्रतिशत रही है। 2014-15 में यह विकास दर 5.5 प्रतिशत थी यानी चार प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। प्राइवेट कॉरपोरेट ग्रोथ रेट 10 प्रतिशत रही है। अर्ध कॉरपोरेट, असंगठित क्षेत्र जिनमें खादी ग्रामोद्योग भी शामिल है, इस सेक्टर की विकास दर 25 प्रतिशत दर्ज हुई है। अप्रैल के महीने में बुनियादी ढांचे से जुड़ा उत्पादन 8.5% रहा जो बीते 17 महीने में सबसे ज़्यादा है। पर्सनल लोन, हाउसिंग लोन और एजुकेशन लोन में भी 19% की तेज़ी आई है। गाड़ियों की बिक्री में भी तेज़ी आ रही है। दो साल से खेती में सूखा है फिर भी भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल कृषि सेक्टर में भी तेज़ी आई है। निर्माण क्षेत्र खासकर सीमेंट और स्टील के उत्पादन और उपभोग में वृद्धि हुई है। कृषि वन और मत्स्य सेक्टर में विकास दर 1.2 प्रतिशत रही है। खनन में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि है मार्च की तिमाही में, दिसंबर की तिमाही में 7.1 प्रतिशत थी।

एक तरफ भारत को तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है वहीं विश्व बैंक ने भारत को विकासशील देश की श्रेणी से हटाकर निम्न और मध्यम आय वाले देश की श्रेणी में डाल दिया है। इकोनोमिक टाइम्स के किरण कबत्ता सोमवंशी की रिपोर्ट है कि दशकों तक विभिन्न पैमानों पर दुनिया के देशों को विकसित और विकासशील श्रेणी में रखा जाता रहा है जिसे अब बदला जा रहा है। विश्व बैंक अब नए मानक तैयार कर रहा है ताकि अर्थव्यवस्था की सही सही तस्वीर पेश की जा सके। मकसद है कि अर्थव्यवस्था की तस्वीर में आर्थिक अंतरों को भी शामिल किया जाए। मेक्सिको, चीन और ब्राज़ील को अपर मिडिल इनकम देश में रखा गया है। भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश को लोअर मिडल इनकम देश में। भारत को शायद ही ये श्रेणी पसंद आए। जीडीपी के नए आंकड़ों के तहत पर कैपिटा इनकम यानी प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ी है। 2014-15 में 72,889 रुपये थी जो 2015-16 में 77,435 रुपये हो गई। यानी इसमें 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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