इतने से काम नहीं चलता! वेतन बढ़वाना चाहते हैं AAP विधायक

नई दिल्‍ली:

हमारे नेता खुद को महाराजा समझने लगे हैं। राजनीति में सादगी एक तमाशा है और तमाशा ही असली सादगी। मुश्किल से साल पूरा हुआ है, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अपने लिए 5 करोड़ की मर्सिडिज़ बस बनवाई है। 5 करोड़ हो तो किसी अस्पताल के बाहर कैंसर के किसी लाचार मरीज़ का बेहतरीन इलाज हो सकता है। और तो और 5 करोड़ की ये बस तेलंगाना स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन की है।

500 लाख की इस बस से सीएम ज़िलों का दौरा करेंगे। साढ़े आठ लाख डॉलर की इस बस में 12 सीट होगी, एक कमरा होगा, मीटिंग रूम होगा। बम और लैंड माइन भी इसका बाल बांका न कर पायेंगे। सुनने में आ रहा है कि सहोदर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू के लिए भी ऐसी बस आने वाली है। ज्यादा दुखी मत होइये। आप टीवी पर चाहे जितना माथा कूच लें, राजनीति में यह सब बदल नहीं रहा है।

5 करोड़ की बस के बाद अब आते हैं 526 करोड़ के सूचना एवं विज्ञापन बजट पर। दिल्ली सरकार के बजट में इस काम के लिए 526 करोड़ का बजट है। कांग्रेस के अजय माकन का कहना है कि इसी काम के लिए पिछले साल का बजट 24 करोड़ था, अब इस साल के लिए 526 करोड़। अच्छी बात है कि शिक्षा का बजट का 106 प्रतिशत बढ़ाया गया है। यह भी सुनने में अच्छा ही लग रहा है कि स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया गया है जिससे 1000 प्राइमरी क्लिनिक बनेंगे और अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। लेकिन 526 करोड़ की बात पचती नहीं है।

बीजेपी के विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने विधानसभा से जानकारी जुटाई है कि अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद 199 अधिकारी और कर्मचारियों को या तो नियुक्त किया गया है या दूसरे विभागों से डेप्यूटेशन पर लाए गए हैं। जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय में 21 कर्मचारियों की ही नियुक्ति हो सकती है। एक ऐसे शख्स को क्लर्क नियुक्त किया गया है जिसे टाइपिंग नहीं आती, नौकरी देने के बाद उनसे उम्मीद है कि वे एक साल में सीख लेंगे। दो अर्दलियों को भी पहले नौकरी पर रख कर दसवीं पास करने का अनुरोध किया गया है। ये सुविधा भारत के सभी बेरोज़गारों को मिलनी चाहिए। पहले नौकरी,फिर डिग्री। इससे तोमर और स्मृति ईरानी टाइप प्रॉब्लम नहीं होगा।

बीजेपी विधायक ओ.पी. शर्मा का आरोप है कि 10 ऐसे को-टर्मिनस स्टाफ रखे गए हैं जिन्हें घर की सुविधा दी गई है। सरकार का दावा है कि 81 कोटर्मिनस पद हैं लेकिन 28 ही रखे गए हैं। विधायकों में से 21 संसदीय सचिव बनाने को लेकर भी विवाद हो रहा है। दिल्ली सरकार का कहना है कि इन्हें किसी प्रकार का वेतन भत्ता नहीं दिया जा रहा है। केवल ज़रूरत पड़ने पर गाड़ी और काम करने के लिए दफ्तर की सुविधा दी गई है। इन्हें हर मंत्री के साथ जोड़ा गया है। प्रशांत भूषण ने कहा है कि क्या ये नई राजनीतिक संस्कृति है। ये तो वही राजनीतिक संस्कृति है जो दूसरे दलों में हैं। शर्मनाक है ये तो।

प्रधानमंत्री ने एक भी मीडिया सलाहकार नहीं रखा है लेकिन उन्हीं की पार्टी के हरियाणा के मुख्यमंत्री के तीन मीडिया सलाहकार हैं और 6 ओएसडी। यह जानकारी हमें हरियाणा सरकार की वेबसाइट से मिली है। उत्तराखंड सीएम के दस ओएसडी हैं और दो मीडिया सलाहकार। अब आते हैं विधायकों की सैलरी पर। आम आदमी पार्टी के विधायकों का कहना है कि 2011 के बाद से उनकी सैलरी नहीं बढ़ी है। दिल्ली के विधायकों को महीने में वेतन और अन्य खर्चे मिलाकर 54000 रुपये ही मिलते हैं जिनका ब्रेक अप इस तरह से है...

- बेसिक सैलरी: 12,000 रुपये
- चुनाव क्षेत्र भत्ता: 18,000 रुपये
- स्टाफ़ का भत्ता: 10,000 रुपये
- टेलीफ़ोन: 8,000 रुपये
- ट्रांसपोर्ट भत्ता: 6,000 रुपये
- दैनिक भत्ता: 1,000 रुपये (अधिकतम 40 दिन सालाना)

विधायकों को 54000 की सैलरी मिलती है। बिजली पानी के लिए महीने का चार हज़ार मिलता है। कोई सरकारी गाड़ी और घर नहीं मिलता। यूपी के एक विधायक ने बताया कि उन्हें 1 लाख रुपये से ज्यादा मिलते हैं। लेकिन विधायकों के वेतन बढ़ाने के प्रस्ताव की कांग्रेस और बीजेपी ने आलोचना की है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा है कि ये पार्टी अब आम आदमी की नहीं रही, पांच महीने में इनके विधायक सैलरी बढ़ाने की बात करने लगे हैं।

दिल्ली विधान सभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि अगर सरकार एक रुपये महीना वेतन का प्रस्ताव लाए तो तीन विधायकों का उनका विधायक दल समर्थन करेगा। विजेंद्र गुप्ता जी की भावना का सम्मान करते हुए यह पूछा जाना चाहिए कि वे इस महंगाई में एक रुपये महीने पर कैसे जी सकते हैं। उनकी आय का ज़रिया क्या है। क्या उनके पास इतना पैसा है कि बिना कमाए जी सकते हैं। अगर है तो वे यह तरीका मुझे भी बता दें तो यकीन जानिए ये मेरा आखिरी प्राइम टाइम होगा। मैं सोमवार से काम पर नहीं आऊंगा।

बल्कि विजेंद्र गुप्ता जी को तत्काल प्रभाव से केंद्र में वित्त मंत्री बनाया जाए। सिर्फ इन्हें वन रैंक वन पेंशन के लिए भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों के मामले का प्रभारी न बनाया जाए वर्ना गुप्ता जी और गड़बड़ कर देंगे। उम्मीद है गुप्ता जी मेरी बात का बुरा नहीं मानेंगे लेकिन एक रुपये में जीने का यह तरीका मिल जाए तो आप दर्शकों का भी बहुत भला होगा। अगर बीजेपी ने उनकी बात मान कर सभी राज्यों में अपने विधायकों की सैलरी एक रुपये कर दी तो एक मिनी क्रांति तो हो ही गई समझिये।

यही नहीं दिल्ली बीजेपी विधायक दल को अपना प्रस्ताव केंद्र सरकार को भी भेजना चाहिए कि सांसदों का वेतन भी एक रुपया कर दिया जाए। ख़बरों के मुताबिक उन्हीं के पार्टी के सांसद योगी आदित्यनाथ की कमेटी ने सांसदों की सैलरी बढ़ाने का सुझाव दिया है क्योंकि सांसदों का काम साढ़े तीन लाख रुपये महीने में नहीं चल रहा है। 100 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव होता है। बताइये दिल्ली में विधायक एक रुपया और सांसद एक लाख कमाए मुझसे तो नहीं देखा जाएगा। मेरा कलेजा फटा जा रहा है। आप अपने इस एंकर को संभालिये। छोड़िये आम आदमी पार्टी को, एक रुपये के वेतन के इस फार्मूले पर नोबल पुरस्कार दिलवाइये। आप दर्शकों को भी एक रुपये वेतन के विजेंद्र फार्मूला को अपना लेना चाहिए, यकीन कीजिए योग की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

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वन रैंक वन पेंशन की मांग पर बैठे पूर्व सैनिकों को याद करते हुए, उनसे क्षमा मांगते हुए अब आपसे सवाल करता हूं कि क्या आप भी मानते हैं कि दिल्ली के विधायकों की सैलरी बहुत ज़्यादा है। बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है।