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This Article is From Sep 14, 2015

प्रदीप कुमार : तो रोजर फेडरर को अब संन्यास ले लेना चाहिए?

Pradeep Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 15, 2015 01:21 am IST
    • Published On सितंबर 14, 2015 15:07 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 15, 2015 01:21 am IST
जब भी किसी ग्रैंड स्लैम के फाइनल-सेमीफाइनल में रोजर फेडरर खेल रहे होते हैं, तो हमारे दफ्तर में सबकी आंखें टीवी सेट से चिपक जाती हैं। यही हाल यूएस ओपन फाइनल में था। शायद दूसरे दफ्तरों में भी यही हाल होता हो। आखिर नोवाक जोकोविच और फेडरर के बीच मुकाबला सांसें थमा देने वाला तो होता ही है।

आर्थर एश टेनिस का हार्डकोर्ट और दुनिया के दो सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों के बीच मुकाबला वाकई में दिलचस्प लग रहा था। हालांकि दोनों खिलाड़ी अपने सर्वश्रेष्ठ खेल के आसपास नजर नहीं आ रहे थे। बावजूद अपनी बला की तेजी के बैकहेंड रिटर्न के फेडरर, जोकोविच की शानदार कोर्ट कवरेज के सामने कभी-कभी असहाय नजर आ रहे थे।

फेडरर अपनी ओर से आक्रामक होने की कोशिश कर रहे थे और इस कोशिश में उनसे अनफोर्स्ड एरर भी खूब हो रहे थे। अहम मौकों पर वे अंक गंवाते रहे और धीरे-धीरे जोकोविच मैच सेट जीतने के करीब आ गए। चौथे सेट में जब वे 5-2 से आगे चल रहे थे, तभी फेडरर ने चौंकाते हुए दो सेट जीत लिए। लेकिन जोकोविच 10 ग्रैंड स्लैम जीतने वाले खिलाड़ियों में शामिल हो चुके थे।

फेडरर की हार पर दफ्तर में मौजूद एक कम उम्र की लड़की ने लगभग खीझते हुए कहा कि फेडरर के साथ हर बार ऐसा क्यों होता है। एक साथी ने कहा, यार इस बार तो फेडरर को जीतना चाहिए। इतना ही नहीं हमारे सीनियर ने दफ्तर आते ही कहा कि फेडरर को अब संन्यास ले लेना चाहिेए, क्योंकि वे फेडरर को हारते हुए नहीं देखना चाहते।

शायद कई टेनिस फैंस ऐसा सोचते हों। आखिर बीते तीन साल, दो महीने और पांच दिन हो गए, टेनिस की दुनिया में सबसे ज्यादा 17 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुके फेडरर को आखिरी ग्रैंड स्लैम जीते हुए। जिन्होंने 2004 से 2008 के बीच उन्हें 12 ग्रैंड स्लैम खिताब जीतते हुए देखा है, उन सबको लगता है कि फेडरर को अब अलविदा कह देना चाहिए।

फेडरर उस मुकाम पर आखिर बहुत पहले ही पहुंच चुके हैं, जहां उन्हें टेनिस की दुनिया में 'लीजेंड', 'ऑलटाइम ग्रेटेस्ट' कहा जाता रहा है। तो अब फेडरर क्या कर रहे हैं।

इस सवाल पर आप भी सोचिएगा। लेकिन पहले फेडरर का यूएस ओपन में हार के बाद का जवाब तो सुन लीजिए। फेडरर ने कहा, 'मैं सही दिशा में खेल रहा था।' एक मिनट ठहरकर जोकोविच की राय भी सुन लीजिए। उन्होंने फेडरर के बारे में कहा कि 17 ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने के बाद भी फेडरर का खेल सुधर रहा है।

फेडरर के संन्यास की बात करने से पहले जरा सोचिएगा, 34 साल की उम्र में आज के पावर टेनिस में टॉप लेवल पर खेलने के लिए कितनी ऊर्जा चाहिए, कितना दमखम चाहिए। ये भी सोचिएगा कि उस स्तर पर बने रहने के लिए फेडरर अभ्यास में कितने रैकेट और टेनिस बॉल बर्बाद कर देते होंगे। वे अपने खेल में सुधार के लिए रैकेट बदल चुके हैं। कोच को अपने साथ जोड़ा है। अचानक नए-नए शॉट्स की इजाद कर लेते हैं।

यही वो भूख है, जो फेडरर को फेडरर बनाती है। उन्हें यकीन है कि वो अभी भी 18वां ग्रैंड स्लैम खिताब जीत सकते हैं। वे जीतते हैं या नहीं, ये तो समय बताएगा, लेकिन हकीकत यही है कि फेडरर अभी भी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ियों में नंबर दो बने हुए हैं।

हमारा नंबर वन खिलाड़ी नंबर 2 बन गया है। इसका दर्द भी कम नहीं होता है। उसके नंबर वन होने की उम्मीद भी नहीं है, लेकिन वो इसे एन्जवाय कर रहा है। तो उसे एन्जवाय करने दीजिए। जब वो संन्यास लेना चाहेगा, ले लेगा। वो वक्त भी दूर नहीं है। तब तक शांत और सौम्य टेनिस के इस फनकार को देखते रहिए।

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