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This Article is From Apr 23, 2019

फर्रुखाबाद की सियासत पर आलू और मोदी

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 23, 2019 16:30 pm IST
    • Published On अप्रैल 23, 2019 16:23 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 23, 2019 16:30 pm IST

फर्रुखाबाद की सियासत पर पहले आलू और मोदी फैक्टर हावी है. नवाब बंगश खान के मकबरे में आराम कर रहे हमें सुदेश शाक्य मिले जो सब्जी की खेती करते हैं और मकबरे के पीछे बसे नेकपुर गांव के रहने वाले हैं. उनसे जब सियासी हाल जानने की कोशिश की तो मुस्कुरा दिए बोले हम लोगों को खेती किसानी से फुरसत कहा लेकिन जब मैंने कहा कि लड़ाई किसमें है तो हंसते बोले बीजेपी और गठबंधन में... हमने कहा आप लोगों का वोट किसे जा रहा है... तो सकुचाते बोले मोदी के सिवा किसको देंगे.. हम यहां से आगे बढ़े तो रामू की असली लस्सी की दुकान पर लस्सी पीने पहुंचे... यहां पूछने पर पता चला कि मुख्य मुकाबला बीजेपी के मुकेश राजपूत और कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद से हैं. वो बोले गठबंधन के प्रत्याशी मनोज अग्रवाल तीसरे नंबर पर रहेंगे. फर्रुखाबाद के बाजारों में घूमते हुए पता चलता है कि बीजेपी के निवर्तमान सांसद मुकेश राजपूत से लोग खुश नहीं है लेकिन उसके बावजूद मोदी का चेहरा अब भी एक जीताऊ ब्रांड बना है.

फर्रुखाबाद की सियासत में जातिए गणित और आलू के समीकरण का खासा महत्व है. बीजेपी के प्रत्याशी मुकेश राजपूत बताते हैं कि आलू के निर्यात पर एक्साइज ड्यूटी खत्म की जिससे आलू के दाम अच्छे हो गए हालांकि इसी मंडी में मौजूद दाती राम जैसे किसान उनसे सहमत नहीं है. आलू से चिप्स बनाने की फैक्ट्री लगाने का वादा यहां बहुत पुराना है. आलू मंडी में मौजूद दिलीप जैसे युवा किसान नाराजगी जताते कहते हैं सलमान खुर्शीद कारपोरेट मंत्री थे फैक्ट्री लगवा सकते थे लेकिन क्या किया. फर्रुखाबाद में नवाब मोहम्मद खां बंगश की विरासत है तो दूसरी तरफ शहर मुख्यालय से तीस किमी दूर कायमगंज में सलमान खुर्शीद की सियासी विरासत है. उनके नाना पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की वजह से फर्रुखाबाद को नई पहचान मिली. 

यहां सलमान खुर्शीद की पुश्तैनी कोठी है जिसके दरवाजे से लेकर लखौरी ईंटों को नया रुप रंग दिया है. इसके बारे में सलमान खुर्शीद बताते हैं कि पहले पुश्तैनी हवेली ऐसे ही जीर्णशील हालत में पड़ी थी जिससे लोगों में ये संदेश जा रहा था कि सलमान खुर्शीद कायमगंज में नहीं रहेंगे जीतने के बाद दिल्ली चले जाएंगे. इसी वजह से इसकी मरम्मत करके नया सा रुप रंग दे दिया गया है. गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर हाथी से मुकेश अग्रवाल है. नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए इनके काम की लोग तारीफ करते हैं लेकिन सांसद के तौर पर देखने को लोग गंभीर नहीं है. लेकिन यहां मनोज अग्रवाल के सामने धड़ों में बंटी समाजवादी पार्टी है. सपा के एक नेता अंदरखाते सलमान खुर्शीद का समर्थन करते दिख रहे हैं. 2014 की बात करें तो मुकेश राजपूत को करीब 4  लाख वोट, सपा को ढा़ई लाख, बीएसपी को सवा लाख और सलमान खुर्शीद को 90 हजार वोट मिले थे. लेकिन सियासी बयार पलटते वक्त नहीं लगती है यही वजह बै कि सलमान खुर्शीद की निगाहे प्रियंका के रोड शो और गठबंधन के प्रत्याशी की उम्मीद मायावती की रैली पर टिकी है.

(रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.)

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