नेपाल में रविवार को नया संविधान लागू हो गया है। हालांकि वहां की संसद ने हिंदू राष्ट्र के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया लेकिन इस संविधान के लागू होने के पहले से चल रहा विरोध, इसके लागू होते ही और भी मुखर हो गया। भारत से लगे तराई के इलाकों से हिंसक झड़पों की खबरें आईं।
इस बात की आशंका लागातार बनी ही हुई थी। मधेसी भी लागातार इस संविधान का विरोध करते रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इस संविधान में उनके साथ भेदभाव हुआ है। यही वजह है कि संविधान लागू होने के ठीक दो दिन पहले भारत के गृह सचिव एस जयशंकर नेपाल गए। वहां पर उन्होंने ना सिर्फ अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की बल्कि प्रधानमंत्री सुशील कोईराला से भी मुलाकात की।
जयशंकर ने कहा कि भारत नए संविधान के हक में है और उम्मीद करता है कि नेपाल के नेता इस मामले में इतना लचीलापन और परिपक्वता दिखाएंगे कि संविधान सबको साथ लेकर चलने वाला और सबको मान्य होगा। ये भी कहा कि भारत चाहता है कि नया संविधान लागू होने का मौका खुशी और संतोष का हो ना कि विरोध और हिंसा का।
लेकिन हुआ वही जिसकी आशंका थी। जहां अधिकतर नेपाल में जश्न का माहौल रहा, तराई के हिस्सों में कर्फ्यू लागू करना पड़ा, सेना लगानी पड़ी। भारत इससे काफी चिंतित है। भारतीय समय के मुताबिक शाम करीब पांच बजे एक समारोह में राष्ट्रपति रामबरन यादव ने नए संविधान के लागू होने का ऐलान किया। उसके कुछ ही देर बाद, 6 बजकर 10 मिनट पर हालात पर लागातार नजर रखे भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान आया कि हमने देखा है कि नया संविधान लागू हो गया है लेकिन देश के कई हिस्सों में हिंसा से हम चिंतित हैं। उम्मीद करते हैं कि हिंसा और दबाव मुक्त माहौल में बातचीत से समस्या सुलझेगी और शांति और विकास की नींव पड़ेगी। तराई में लोगों को उम्मीद थी कि भारत इन हालात में हस्तक्षेप करेगा लेकिन इतना साफ है कि बदले हुए वक्त में भारत सीधे तौर पर इस मामले में शायद ना पड़े।
भारत की जिस तरह की नीति अब तक नेपाल में रही है उसकी छवि बिग ब्रदर वाली बनी जिससे वो काफी अलोकप्रिय हो चुका है। मोदी सरकार के आने के बाद अब ये छवि सुधारने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी दो-दो बार नेपाल का दौरा कर चुके हैं। एक वजह ये भी है कि नेपाल चीन के काफी करीब आ गया है। चीन ना सिर्फ नेपाल में निवेश कर रहा है बल्कि वहां से सीधे काठमांडू तक रेल लाइन बिछाने की प्रक्रिया भी चल रही है।
भारत नहीं चाहता कि एक और सरहद उसके लिए सिरदर्द बन जाए। इसलिए इस पूरे मामले में वो फूंक फूंक कर कदम रखेगा ताकि नेपाल से बेहतर होते रिश्तों पर भी आंच ना आए और मधेसियों की समस्या सुलझाने की तरफ भी नेपाल सरकार कदम उठाए।
This Article is From Sep 21, 2015
कादम्बिनी शर्मा का ब्लॉग : नेपाल में नया संविधान और भारत
Reported By Kadambini Sharma
- ब्लॉग,
-
Updated:सितंबर 21, 2015 00:56 am IST
-
Published On सितंबर 21, 2015 00:50 am IST
-
Last Updated On सितंबर 21, 2015 00:56 am IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
नेपाल, नया संविधान, भारत, मधेसी, चीन, कादम्बिनी शर्मा, Nepal, New Constitution, India, China, Madhesi Community, Kadambini Sharma