शुक्रवार यानि 14 अगस्त को पाकिस्तान ने वहां मौजूद भारत के उप उच्चायुक्त जे पी सिंह को दो बार तलब किया। एक बार एनआईए के समझौता धमाकों के आरोपी असीमानंद की जमानत का विरोध न करने की खबर पर और दूसरी बार उनके मुताबिक भारत की तरफ से सीज़फायर तोड़ने पर महिला की मौत के विरोध में। इस बीच पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर गोलाबारी लगातार जारी है। इसमें कई लोग मारे गए हैं, कई घायल हैं। सीमा से सटे गांवों के लोग अब वहां से पलायन कर रहे हैं।
भारत ने इसका विरोध करने के लिए रविवार को दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया। यह सब तब हो रहा है जब रूस के उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की मुलाकात में यह तय हुआ कि दोनों देश बातचीत आगे बढ़ाएंगे। साझा बयान में कश्मीर का ज़िक्र न होने से और विदेश सचिवों के बजाए दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बातचीत तय होने से यह भी उम्मीद बंधी कि शायद अब कम से कम एक पुख्ता दिशा में बातचीत आगे बढे़। आतंकवाद पर खुल कर बात होगी। बातचीत की तारीख भी अब तय है 23-24 अगस्त। लेकिन उसके पहले जैसे हालात बने हैं, इस बातचीत का माहौल ऐसा कतई नहीं लग रहा कि कुछ भी सकारात्मक निकलेगा।
निराशावादी न होते हुए भी अगर उफा मुलाकात के बाद घटनाओं की कड़ी देखें तो साफ है, पाकिस्तान क्या कर रहा है- किसी भी तरह भारत को भड़काकर बातचीत रद कराने की कोशिश। पहले तो साझा बयान में कश्मीर का नाम न होने के कारण पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ की ज़बर्दस्त आलोचना हुई और कुछ ही घंटों के अंदर सरताज अज़ीज़ ने बयान दिया कि कश्मीर के बिना कोई बात नहीं होगी। सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से सीज़फायर तोड़ने की तीव्रता हर दिन बढ़ती गई। 27 जुलाई को पंजाब के गुरदासपुर जिले के दीनानगर पुलिस स्टेशन पर आतंकवादी हमला हुआ। 12 घंटे चले आपरेशन में तीनों आतंकवादी मार गिराए गए, पर एक एसपी समेत चार पुलिस वाले और तीन आम नागरिकों की भी मौत हुई। मारे गए आतंकवादियों के पास से जो सामान मिला उससे साफ था कि वे पाकिस्तानी थे।
5 अगस्त को जम्मू के उधमपुर में इस बार दो आतंकवादियों ने बीएसएफ के काफिले पर हमला किया, लेकिन इस बार एक आतंकवादी ज़िंदा पकड़ा गया जिसने पाकिस्तान के अपने घर-परिवार, पते के बारे में सब कुछ बताया। भारत के पास उसके खिलाफ पाकिस्तान की जमीन से हो रही साज़िश के ऐसे सबूत हैं कि उनसे इंकार करना मुश्किल होगा। लेकिन यह कोई पहली बार तो है नहीं। मुंबई हमलों से जुड़े सबूत पाकिस्तान लगातार खारिज करता रहा है। इस बार चूंकि उसकी घरेलू राजनीति में नेता कमजोर पड़ रहे हैं और सेना के ऊपर भी पाकिस्तान के खिलाफ काम कर रहे कुछ आतंकी गुटों से निबटने की चुनौती है, तो हमेशा की तरह ध्यान भटकाने के लिए वह भारत पर उंगली उठा रहा है।
खबर है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के लिए पाकिस्तान ने भी एक पुलिंदा तैयार किया है। उसका दावा है कि इसमें बलोचिस्तान के अलगाववादियों को शह देने से लेकर कराची में हमले तक में भारत के शामिल होने के सबूत हैं। कुल मिलाकर पाकिस्तान की तरफ से भारत के हर आरोप, हर सबूत को खारिज करने की तैयारी ज्यादा और बातचीत से कुछ सकारात्मक हासिल करने और साथ चलने की कोशिश बिल्कुल नहीं दिख रही। ऐसा नहीं है कि भारत को इसका इल्म नहीं, लेकिन उसकी रणनीति अब अलग दिख रही है। अब अगर विपक्ष के दबाव में आकर सरकार बातचीत रद नहीं करती है तो इसका सीधा मतलब यह होगा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साफ संदेश दे रही है कि हमने तो हर कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान अपने रवैये से बाज नहीं आ रहा। इस रवैये का कड़ा जवाब देने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं।
एक संदेश पाकिस्तान के नेताओं के लिए भी होगा कि हम तो शांति और सहयोग को लेकर गंभीर हैं, अगर आप में दम है तो टेबल पर आ जाएं। कोशिश पाकिस्तान को अलग-थलग, अकेला करने की होगी लेकिन जब तक चीन और अमेरिका को लगता है वे उनके काम का हैं यह एक टेढ़ी खीर हो सकता है। लेकिन एक चीज़ साफ है कि भारत की पहली प्राथमिकता अपने घर को अभेद्य करने की होनी चाहिए। पाकिस्तान 1947 से भारत को कतरा-कतरा रिसने की कोशिश कर रहा है और उसकी नीति में फौरन कोई बदलाव हो ऐसे हालात वहां फिलहाल तो बनते नहीं दिख रहे।
This Article is From Aug 16, 2015
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक : पाकिस्तान की भारत के खिलाफ सबूत जुटाने में ज्यादा रुचि
Kadambini Sharma
- ब्लॉग,
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Updated:अगस्त 16, 2015 18:47 pm IST
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Published On अगस्त 16, 2015 18:20 pm IST
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Last Updated On अगस्त 16, 2015 18:47 pm IST
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