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This Article is From May 21, 2015

दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के लिए मुसलमानों ने दान में दी जमीन

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    मई 22, 2015 09:34 am IST
    • Published On मई 21, 2015 23:58 pm IST
    • Last Updated On मई 22, 2015 09:34 am IST
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया में प्रस्तावित विश्व के सबसे बड़े मंदिर रामायण मंदिर के लिए तीस एकड़ ज़मीन मुसलमानों ने दी है। कुछ ज़मीन तो दान में दी लेकिन बाकी की ज़मीन के लिए ज्यादा दाम भी नहीं मांगे। वे चाहते तो मांग सकते थे क्योंकि मुसलमानों की ज़मीन ही सामने की थी।

मुसलमानों ने अपनी ज़मीन का मोलभाव नहीं किया। एक ही रेट पर हम लोगों को दे दिया। बाकी 160 एकड़ ज़मीन तो हिन्दुओं ने ही दी है। कुछ बड़े किसानों ने तो कुछ छोटे किसानों ने। ज्यादातर ज़मीन हमने खरीदी है। जबकि कुछ हिन्दुओं ने ज़मीन के लिए मोल भाव किये। हम लोग दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बना रहे हैं। केसरिया चकिया के पास। 190 एकड़ में।' बस ऐसे ही किशोर कुणाल को फोन लगा दिया। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के चेयरमैन हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी लेकिन नौकरी छोड़ धार्मिक कार्यों के प्रति समर्पित हो गए।

किशोर कुणाल जब पटना एसपी आये थे तब हम सब अपने किशोर उम्र की दहलीज़ पर कदम रख रहे थे। उन्हें किसी ने देखा नहीं था पर सबने सुना ज़रूर था। वो एक अदृश्य नायक की तरह पटना के पटल पर उभरे थे। बातचीत लंबी होती चली गई। किशोर कुणाल बताने लगे कि 1987 में पटना रेलवे स्टेशन के पास महावीर मंदिर का जिम्मा संभाला था तब इसकी सालाना आमदनी 11000 रुपये दिखाई जाती थी। काफी कम दिखाई जाती थी। आज इसकी सालाना आमदनी आठ करोड़ रुपये की है जो चढ़ावे और लड्डू की बिक्री से आती है।

महावीर स्थान का लड्डू अपने आप में टॉप क्लास रेसिपी है। स्वादिष्ट। खैर। महावीर स्थान मंदिर का अपना सालाना बजट 140 करोड़ का। मंदिर के पास ढाई सौ एकड़ ज़मीन हो गई है और कुल संपत्ति पांच सौ करोड़ की। मंदिर के तहत महावीर कैंसर अस्पताल, आरोग्य अस्पताल, आंख का अस्पताल और बच्चों का अस्पताल चलता है। उत्तर भारत का यह सबसे बड़ा धार्मिक चैरिटेबल ट्रस्ट बन गया है। पिछले साल कैंसर अस्पताल में गरीब मरीज़ों को एक करोड़ दस लाख रुपये की मदद दी गई। हमने मंदिर को पेशेवर बना दिया है।

किशोर कुणाल का कहना है कि मंदिर अगर ‘डिवोटी फ्रेंडली’ होंगे तभी उनका विकास होगा। बिहार के मंदिरों और मठों के पास एक ज़माने में अरबों की संपत्ति हुआ करती थी जिसे महंतों ने बेच दिया। कुछ ज़मीनें कमेटियों के मेंबरों ने हेराफेरी में गायब कर दीं तो कुछ पर लाल झंडे का कब्ज़ा हो गया। जो मंदिर पुराने ज़मीन जायदाद पर आधारित हैं उनकी हालत बहुत खराब है। वैसे भी सीलिंग एक्ट के तहत किसी मंदिर के पास पंद्रह एकड़ से ज्यादा की ज़मीन नहीं हो सकती है इसलिए यह मिथक है कि मंदिरों के पास हज़ारों एकड़ ज़मीन है।

किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर में पहली बार दलित पुजारी बनाया था। धार्मिक न्यास बोर्ड के चेयरमैन के नाते एक दर्जन मंदिरों में दलित पुजारी बनाए। बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास एक्ट के तहत बना है बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड। इसके चेयरमैन के आदेश की अपील जिला जज या हाई कोर्ट के पास होती है। एक सामान्य फोन कॉल से कितनी दिलचस्प जानकारियां निकल आईं । सोचा की उनसे हुई बातचीत को आपसे साझा कर ही दूं। पिछले दिनों पटना गया था तो अखबारों में खबर छपी थी कि सावन के उपलक्ष्य में महावीर मंदिर में लोगों ने रूद्राभिषेक पूजन के लिए एडवांस बुकिंग कराये हैं और बुकिंग फुल है!

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