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This Article is From May 30, 2015

राजीव रंजन : मोदी राज में न किसान की जय और न ही जवान की

Rajeev Ranjan
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  • Updated:
    मई 30, 2015 10:45 am IST
    • Published On मई 30, 2015 10:15 am IST
    • Last Updated On मई 30, 2015 10:45 am IST
लगता है मोदी सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 'जय जवान जय किसान' का नारा याद नहीं तभी तो जमीन अधिग्रहण (लैंड बिल) मुद्दे पर किसान तो पहले से ही रुठे हुए है और अब 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दे पर जवान भी नाराज हो गए हैं।

गुस्सा इस कदर है कि 1971 लड़ाई के हीरो विंग कमांडर सुरेश दामोदर कार्णिक ने 26 मई को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के हाथों सम्मान लेने से मना कर दिया। 80 साल के वीर चक्र से सम्मानित विंग कमांडर कहते हैं कि जब सरकार 'वन रैंक वन पेंशन' का सम्मान नहीं कर पा रही है तो वो मेरा क्या करेगी। हर कोई केवल बात करता है, एक्शन कुछ नहीं करता। ये लड़ाई सिर्फ पैसों के लिए नहीं है बल्कि इज्जत के लिए है।

मोदी सरकार बनने के बाद ये पहला मौका है जब जवानों ने खुलकर सरकार के खिलाफ नाराजगी दिखाई है। ध्यान रहे बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में देश के 25 लाख पूर्व सैनिकों से वादा किया था कि वो 'वन रैंक वन पेंशन' लागू करेगी। इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर कहते है कि हमें जो करना था हमने कर दिया, थोड़ा इंतजार कीजिए और यही बात नौसेना प्रमुख एडमिरल रोबिन धवन भी कह रहे हैं कि पूर्व सैनिक थोड़ा धैर्य रखे। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी मीडिया से बातचीत में इस बात को दोहराया है कि वे इस मुद्दे पर संजीदा हैं और जल्दी ही इसे अमल में ले आएंगे, लेकिन सवाल वही है कब तक?

लेकिन पूर्व सैनिकों के सब्र का बांध अब टूटा जा रहा है। वो अब मौजूदा सरकार के खिलाफ भी आंदोलन करने के मूड में हैं। इंडियन एक्स सर्विस मैन के चेयरमेन मेजर जनरल सतबीर सिंह कहते हैं कि यूपीए और एनडीए सरकार ने माना कि पूर्व सैनिकों की मांग वाजिब है, लेकिन जब बात अमली जामा पहनाने की आई तो बगले झांकने लगे। यूपीए सरकार ने जाने से पहले इसके लिए महज 500 करोड़ रुपये रखे, जबकि इतने में कुछ नहीं होना था और अब एनडीए सरकार ने इसके लिए 8300 करोड़ रखे हैं। ये बात कोई समझ नहीं पा रहा है कि अगर एक मेजर जनरल 1996 से पहले रिटायर हुआ था तो उसकी पेंशन आज के रिटायर हुए लेफ्टिनेंट कर्नल के कम क्यों है? जबकि दोनों की रैंक में काफी अंतर है। वैसे पूर्व सैनिकों के हक के लिए लड़ाई लड़ने वाले पूर्व उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान कहते हैं हमने ये लड़ाई 33 साल पहले से शुरू की है जब इतना इंतजार कर लिया तो थोड़ा और कर लेना चाहिए।

पूर्व सैनिक इस बात से काफी खफा हैं कि जब ये सरकार बनी थी तो खुद राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा था कि मौजूदा सरकार की 'वन रैंक वन पेंशन' लागू करने का मुद्दा प्राथमिकता सूची में है, फिर इसमें देर क्यों हो रही है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी पूर्व सैनिकों के मिलकर सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा चुके है।

वैसे रक्षा मंत्री सफाई दे रहे हैं कि इस मुद्दे पर राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए, सरकार जल्द ही इसे लागू कर देगी पर कब वो तारीख नहीं देना चाहते। तभी तो विंग कमांडर कार्णिक कहते हैं कि ये सरकार केवल तारीख पर तारीख दे रही है। यही वजह है कि इंडियन एक्स सर्विस मैन ने 14 जून को जंतर-मंतर पर धरने का ऐलान तक कर दिया है और 15 जून से देश के हर हिस्से में पूर्व सैनिक धरने पर बैठेंगे।

पूर्व सैनिकों को लग रहा है सरकार बस उनके साथ छलावा कर रही है तभी तो पहले रक्षा मंत्री और खुद सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने भरोसा दिलाया था कि अप्रैल के अंत तक ये हल हाल में लागू हो जाएगा पर अब मई खत्म होने को आया और इसका कुछ पता नहीं है। हद तो तब हो गई जब मथुरा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सरकार का एक साल पूरा होने पर रैली कर रहे थे तब सबकी नजरें इस बात पर टिकी थीं कि कब प्रधानमंत्री 'वन रैंक वन पेंशन' का ऐलान करते हैं पर वहां भी इनके हाथ मायूसी ही लगी।

पहले से ही 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दे पर करीब 22 हजार पूर्व सैनिक अपने बहादुरी के तमगे तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर और राष्ट्रपति के पास वापस कर चुके हैं और लाखों वेटरन अपने खून से हस्ताक्षर ज्ञापन राष्ट्रपति के पास भेज चुके हैं। उधर हजारों किसान भी सरकार की नीतियों से परेशान होकर आत्महत्या कर चुके हैं। साफ है सरकार से ना तो जवान खुश हैं और ना ही किसान। ऐसा न हो कि इनकी समस्या दूर करते-करते इतनी देर हो जाए की पानी सिर से ऊपर निकल जाए।

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