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This Article is From Nov 16, 2018

बिहार में कुशवाहा फैक्टर...

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 16, 2018 18:09 pm IST
    • Published On नवंबर 16, 2018 18:09 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 16, 2018 18:09 pm IST
बिहार में एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है...लोकसभा चुनाव के लिए हुए सीट बंटवारे में केवल दो सीटें मिलने से उपेंद्र कुशवाहा नाराज चल रहे हैं...कहा जा रहा है कि वे दिल्ली आ कर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने की कोशिश करेगें... उधर जेडीयू की तरफ से ताजा बयान यह है कि किसी के भी गठबंधन में आने या जाने से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है, यानि जेडीयू ने यह तय कर लिया है कि मौजूदा एनडीए गठबंधन में कुशवाहा के लिए कोई जगह नहीं है...इसके पीछे का कारण समझना जरूरी है. आखिर नीतीश कुमार को उपेंद्र कुशवाहा क्यों पसंद नहीं हैं...वजह साफ है दोनों की राजनीति का आधार एक ही वोट बैंक है...

नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं, जिसकी संख्या करीब 4 फीसदी होगी. वहीं, कुशवाहा कोयरी जाति से आते हैं जिनकी संख्या करीब 6 फीसदी होगी...वैसे बिहार में सामाजिक स्तर पर इन दोनों जातियों को लव-कुश कहा जाता है. इसका मतलब है कि इन दोनों जातियों के बच्चों की आपस में शादियां होती हैं और ये दोनों अक्सर इकट्ठा ही वोट देते रहे हैं किसी भी दल को...अभी तक तो सब ठीक था मगर अब जब नीतीश और कुशवाहा अलग हो रहे हैं तो क्या इसका असर बिहार की सामाजिक व्यवस्था पर भी पड़ सकता है...

इन्हीं वजहों से लगता है कि नीतीश कुमार ने तय कर लिया है कि वे उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति को हाशिए पर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगें...यही वजह है कि नीतीश कुमार ने कुशवाहा की पार्टी के विधायकों और सांसदों को जेडीयू में शामिल कराने की कवायद शुरू कर दी है...कुशवाहा की पार्टी के लोगों को भी लगता है कि अगर एनडीए के साथ रहे तो जीत शायद आसान होगी बजाय महागठबंधन के साथ जाने की...देखा जाय तो बिहार में मंडल कमीशन के बाद जो नेतृत्व उभरा है उसमें अभी तक लालू यादव और नीतीश कुमार ही प्रमुख रहे हैं, मगर अब कुशवाहा भी उसमें अपनी जगह बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में नीतीश नहीं चाहेगें कि कुशवाहा के लिए एनडीए में कोई जगह हो...

यह बात उनको भी भा रही है क्योंकि बिहार में नीतीश आज की तारीख में सबसे कद्दावर नेता हैं...यही वजह है कि बीजेपी ने पिछले लोकसभा में 2 सीट जीतने वाली पार्टी को 17 सीट दे दिए...इस बंटवारे से नीतीश कुमार के दोनों हाथों में लड्डू आ गए हों ऐसा लगता है...अब कुशवाहा के पास तेजस्वी के पास जाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचता है...हां यदि कुशवाहा दो सीटें लेकर भी एनडीए में रहना चाहें तो अलग बात है. ऐसे में दोनों सीटें जीतने की गारंटी होगी और 2019 में यदि एनडीए की सरकार बनती है तो मंत्रीपद भी बना रहेगा...

मगर आरजेडी के महागठबंधन में जाने के बाद रास्ता संघर्ष का है...इतना जरूर है कि यहां सीटें ज्यादा मिलेंगी, क्योंकि तेजस्वी ने कुशवाहा को काफी पहले ही ऑफर दे रखा है महागठबंधन में आने के लिए...मगर जीत के लिए जद्दोजहद करना पड़ेगा...वैसे वोटों के हिसाब से देखा जाय तो आरजेडी गठबंधन भी करीब 35 फीसदी वोट के साथ अच्छी हालत में हैं और यदि कुशवाहा का 6 फीसदी वोट इसमें जोड़ दिया जाए तो यह गठबंधन बहुत ही अच्छी स्थिति में होगा, जो शायद एनडीए के लिए दिक्कत पैदा कर सकता है...अब देखना है कि बीजेपी आलाकमान क्या फैसला लेता है, क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है...

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है...

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