विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की तीसरी बैठक में इस बार 28 दल इकट्ठा हुए हैं. अब सवाल है कि वह कौन-सी बात है जो इन दलों को एकसाथ लेकर आने में कामयाब रही. वह है, इस सरकार की वजह से पैदा हुए डर, खासकर ईडी और अन्य सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई. इन विपक्षी नेताओं को लगता है कि एकजुट नहीं हुए तो आगे क्या होगा पता नहीं. दूसरे 'इंडिया' के नेताओं को लगता है कि सब इकट्ठे हो गए और बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार देने में वो सफल हो गए तो बात बन सकती है. उनकी इस सोच की वजह है चुनाव का अंकगणित.
किसी भी चुनाव में आंकड़े महत्वपूर्ण होते हैं. कई राज्यों में यदि समूचे विपक्ष के वोटों को जोड़ दिया जाए तो भाजपा को हराना आसाना हो जाएगा. जैसे बिहार में आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और वामदलों के वोट मिला दें तो बीजेपी को सीटें मिलना मुश्किल हो जाएगा. उसी तरह बंगाल में यदि तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वामदलों के वोट मिला दें तो चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं. पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमीं पार्टी मिल कर चुनाव लड़ें तो पंजाब में एक भी सीट पर कोई दूसरी पार्टी जीत नहीं सकती और दिल्ली में भी बीजेपी को ये गठबंधन धक्का दे सकती है.
कुछ ऐसे ही हालात कमोबेश हर राज्य में है लेकिन INDIA गठबंधन की सबसे बड़ी दिक्कत है नेताओं और पार्टियों की 'कैमिस्ट्री' यानि जो पार्टी लोकसभा में साथ-साथ लड़ेंगी, वही पार्टियां विधानसभा में एक दूसरे के खिलाफ लड़ें. यहीं पर बात बिगड़ जाती है या हजम नहीं होती. यह सबसे बड़ी चुनौती है. INDIA गठबंधन की बिहार और महाराष्ट्र में तो चलिए बात बन जाएगी. लेकिन अन्य राज्यों में दिक्कत है जैसे अरविंद केजरीवाल दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में कांग्रेस के खिलाफ लड़ते ही हैं और अब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी कांग्रेस के खिलाफ लड़ेंगे. यही नहीं आम आदमीं पार्टी से लोकसभा में गठबंधन होने की हालत में केजरीवाल हरियाणा, गुजरात और गोवा में भी लोकसभा की सीटें मांगेंगे.
दूसरी बड़ी बाधा है कि मान लिया जाए कि आपसी भेदभाव भुलाकर ये दल इकट्ठे लोकसभा का चुनाव लड़ भी लें तो क्या एक-दूसरे को अपने वोट ट्रांसफर करवा पाएंगे. उत्तर प्रदेश के एक चुनाव में सपा और बसपा साथ चुनाव लड़े थे. मगर बसपा के दस सांसद जीते तो सपा के आधे यानि सपा के वोट बसपा को गया मगर बसपा के वोट सपा को नहीं मिले.
एक और चुनौती है कि विपक्ष का चेहरा कौन होगा. राहुल, खरगे, पवार, नीतीश, ममता या केजरीवाल. इन सब चुनौतियों का सामना कर रहे INDIA गठबंधन को इनसे पार पाना ही होगा. हाथ मिलाने के साथ-साथ दिल भी मिलाना होगा तभी विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी वरना लोग वही कहेंगे 'Arithmetic तो है मगर क्या Chemistry भी है.'
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...
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