पंजाब में आखिरकार प्रदेश कांग्रेस के पद पर नवजोत सिंह सिद्धू की तोजपोशी हो ही गई. मन मार कर ही सही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस समारोह के दौरान मौजूद रहे. इसके पहले कैप्टन के यहां एक टी पार्टी रखी गई थी जिसमें सभी विधायकों,सांसदों और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ सिद्धू भी मौजूद थे. कहते हैं ना अंत भला तो सब भला. मगर पंजाब में सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाना कांग्रेस के अंदर की अंदरूनी राजनीति की ओर ईशारा करता है सबको पता है सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के पीछे प्रियंका गांधी का हाथ है. उन्होंने कैप्टन की तमाम कोशिशों को दरकिनार करते हुए सिद्धू के पक्ष में खड़ी हो गई.
वहीं, सिद्धू जो 13 सालों तक बीजेपी में रहे. क्या यह कांग्रेस में बदलाव के संकेत नहीं हैं. हालांकि अपने देश में एक पार्टी छोड़कर दूसरी में जाना आम बात है. कोई बुरा नहीं मानता मगर क्या आप सोच सकते हैं कि अमेरिका में कोई डेमोक्रेट कभी भी रिपब्लिकन बन सकता है. या फिर इंगलैंड में कोई भी कंजरवेटिव छोड कर लेबर पार्टी में जाता होगा. खैर अब यह कांग्रेस में भी हो रहा है जैसे बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री बन गए. उसी तरह सिद्धू कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष. यही नहीं महाराष्ट्र में बीजेपी के सांसद पद से इस्तीफा दे कर कांग्रेस में आने वाले नाना पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है जो गाहे बगाहे ऐसा बयान देते रहते हैं कि लगता है कि महाराष्ट्र विकास आघाडी ही ना टूट जाए. अब तो नाना पटोले उद्धव सरकार में मंत्री भी बनना चाहते हैं. और तो और तेलंगाना के कांग्रेस अध्यक्ष रेवन्थ रेड्डी से मिलिए. ये महोदय अपने छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्धाथच् परिषद के सक्रिय सदस्य थे. यानि कांग्रेस में काफी कुछ बदल रहा है. यह सोनिया गांधी और उनके राजनैतिक सचिव स्व अहमद पटेल से अलग है जहां पुरानों को भी मना बुझा कर किसी तरह पार्टी में रखा जाता था.
अब तो राहुल गांधी साफ साफ कह रहे हैं कि कांग्रेस में जिनके दिल में आरएसएस के लिए श्रद्धा हैं वो कांग्रेस छोड कर जा सकते हैं साथ में ये भी कहते हैं कि जो आरआरएस से लड़ना चाहता है वो हमसे जुडे. जाने वालों में उनका इशारा ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद की तरफ है तो आने वालों में प्रशांत किशोर की तरफ. एक बार फिर लौटते हैं पंजाब में सिद्धू की ओर कि जो पंजाब में हुआ है वो क्या शुरूआत है. क्योंकि जानकार अब कहने लगे हैं कि अगला निशाना क्या अशोक गहलोत हो सकते हैं क्योंकि सचिन पायलट बार बार कह रहे हैं कि उनके साथ जो वादा किया गया था उसको अब पूरा करने का वक्त आ गया है. क्या यह इशारा है केरल में ओमन चांडी के लिए क्योंकि वहां रमेश चेन्नाथला अपनी दावेदारी मजबूत किए जा रहे हैं. राहुल खुद वहां से सांसद है. कुछ इसी तरह के संकेत कर्नाटक और गोवा से भी आ रहे हैं कि क्योंकि इन दोनों राज्यों के नेताओं को दिल्ली बुला कर राहुल मिल चुके हैं. वहीं उत्तराखंड में जहां अगले साल चुनाव होने हैं गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है जो ब्राह्मण हैं युवा हैं छवि अच्छी है और गढवाल से आते हैं तो प्रीतम सिंह जो अनुसुचित जनजाति से हैं को नेता प्रतिपक्ष साथ में चार कार्यकारी अध्यक्ष और हरीश रावत को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया गया है. क्या ये इशारा है दिल्ली में बैठे उन नेताओं के लिए जो जी-23 के सदस्य हैं और जिन्होने कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए पत्र लिखा था. क्या यह खतरे की घंटी है गुलाम नबी आजाद ,आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं के लिए. खुद कपिल सिब्बल ने एनडीटीवी से एक इंटरव्यू में जब उनसे पंजाब संकट पर सवाल पूछा गया तो उन्होने कहा मैं क्या जबाब दे सकता हूं. मुझसे कौन पूछता है.
अब आप खुद समझ सकते हैं कि कांग्रेस में क्या कुछ चल रहा है. पिछले दिनों गांधी परिवार के साथ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मुलाकात हुई अब कहा जा रहा है कि पीके कांग्रेस में शामिल होंगे और उन्हे महासचिव बनाया जाएगा. यानि कांग्रेस बदल रही है. फैसले राहुल और प्रियंका ले रहीं हैं जिस पर सोनिया गांधी मुहर लगाती है. वो अपने बच्चों की बात टालती नहीं हैं वरना 2004 में वो देश की प्रधानमंत्री बन सकती थी मगर राहुल प्रियंका कहने पर उन्होंने वो पद भी ठुकरा दिया था. प्रियंका अब उत्तर प्रदेश का काम देख रही हैं मगर उनकी नजर दिल्ली की राजनीति पर बनी रहती है और फैसले राहुल और प्रियंका ही कर रहे हैं. यानि 2024 के पहले आपको बदली बदली सी कांग्रेस नजर आएगी. क्योंकि जिस हालत में कांग्रेस है जानकार मानते हैं कि इससे बुरा और नहीं हो सकता क्या पता अगले चुनाव में पार्टी डूबने के बजाए तैर जाए क्योंकि बदल रही है कांग्रेस
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...
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