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This Article is From Sep 30, 2020

हाथरस.. कब होगी डीएम और एसपी पर कारवाई?

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 30, 2020 21:50 pm IST
    • Published On सितंबर 30, 2020 21:50 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 30, 2020 21:50 pm IST

हाथरस में जो कुछ हुआ उससे पूरा देश सन्न है और सदमे में है. लोगों में इस वारदात को ले कर गुस्सा है. उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ए के जैन ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक क्राईम स्टेट बन चुका है. पुलिस की तरफ से कहा गया है कि सभी आरोपी हिरासत में हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से बात की है ताकि इस मामले में इंसाफ हो. मगर इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस सवालों के घेरे में है और सबसे बडा सवाल है कि हाथरस के डीएम और एसपी पर कब कार्रवाई की जाएगी. जब से यह घटना हुई पुलिस का रवैया ढुलमुल रहा है.

यह घटना है 14 सितंबर की है जब आरोपी ने पीड़ि‍त को उसकी मां के नजदीक से दुप्पटे से खींच कर खेत में ले गया और वारदात को अंजाम दिया. इसकी वजह से पीड़ि‍त की जीभ जख्मी हो गई और उसके रीढ़ की हड्डी में चोट आई. मगर वाह रे हाथरस पुलिस, उसने आरोपियों पर हत्या की कोशिश और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया. रेप का मामला तो बाद में दर्ज किया गया है. पुलिस का रवैया इतना पक्षपातर्पूण रहा है कि परिवार को हर बार जलील किया गया. पीड़ि‍त को सही ढंग से इलाज नहीं मिला. पहले हाथरस फिर अलीगढ़ और अंत में हालात बेकाबू हो गए तो दिल्ली के सफदरजंग लाया गया जहां उसे बचाया नहीं जा सका.

अब उत्तर प्रदेश पुलिस की तत्परता देखिए, रातों रात पुलिस पीड़िता के शव को दिल्ली से हाथरस ले जाती है और 2 बजे रात में उसको जला देती है. मैं यहां जानबूझ कर इसे अंतिम संस्कार नहीं लिख रहा हूं क्योंकि इसमें परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. पीड़िता की मां उस एंबुलेंस के आगे लेटी हुई थी कि बेटी का अंतिम बार चेहरा दिखा दो मगर पुलिस ने इससे भी इंकार कर दिया. पीड़ि‍ता को आग किसने दी यह भी नहीं पता. परिवार वाले कहते रहे कि हिंदू रीति रिवाज में रात में शव का संस्कार नहीं करते मगर एक योगी के मुख्यमंत्री रहते प्रदेश की पुलिस ने यह नहीं होने दिया.

मुख्यमंत्री जो भगवा पहनते हैं, उनकी पुलिस इतनी निर्दयी निकली. पुलिस का तर्क है कि उन्हें कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर था. यदि उत्तर प्रदेश पुलिस इस डर से नहीं लड़ सकती तो काहे की पुलिस है. पुलिस, जिसने इस मामले हर कदम पर गलती की है, वो भी जानबूझ कर, अभी भी उन पर कोई कार्रवाई एसपी या डीएम पर नहीं हुई है. ये पुलिस का चरित्र है. अभी पिछले दिनों आपने एक डीजी को अपनी पत्नी को बड़ी बेरहमी से पीटते हुए देखा ही होगा. मगर उत्तर प्रदेश पुलिस के इस तरह काम करने की वजह है. मामला जिस गांव का है वहां करीब 200 घर हैं जिसमें ठाकुरों का बाहुल्य है.

जाहिर है उनका दबदबा है और आज के समय उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी भी इसी जाति से आते हैं. जिस गांव में ये घटना हुई है वहां ठाकुरों के अलावा ब्राह्मण हैं और केवल चार घर दलितों के हैं. इस घटना के पीछे एक और इतिहास है. जिस आरोपी ने अपने चाचा और दो अन्य लोगों के साथ इस घटना को अंजाम दिया है, उसके पिता पीड़ि‍ता के दादा की पिटाई के कारण चार महीने जेल की हवा खा चुके हैं. तो मामला बाप के जेल जाने का बदला लेने का भी है और एक बार फिर कोई लड़की इसकी शिकार हुई है.

उत्तर प्रदेश में यह आम बात है और हर बार पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है. उत्तर प्रदेश में 12 रेप की घटनाएं दर्ज होती हैं और इसमें 7 फीसदी की बढोत्तरी होती जा रही है. उसमें से भी अधिकतर दलितों के खिलाफ होते हैं और इस बार भी यदि पुलिस पर कार्रवाई नहीं होती है तो मामलों को रोकना मुश्किल होता जाएगा. बस इंतजार किजिए इसी तरह की एक और खबर आने की. वो कहावत है ना, चचा भए कोतवाल तो डर काहे का.

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं.)

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