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This Article is From Jan 17, 2018

भारतीय टीम ने किए बेवजह के बदलाव, ऐसे में हार पर हैरानी क्‍यों?

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 17, 2018 17:01 pm IST
    • Published On जनवरी 17, 2018 17:01 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 17, 2018 17:01 pm IST
यह कहानी है टेस्ट क्रिकेट के नंबर वन टीम की, जिसकी हालत पर सुनील गावस्कर साहब को धोनी की याद आ रही है... 'काश धोनी ने संन्यास नहीं लिया होता.' हर क्रिकेट प्रेमी को कुछ बुनियादी बातें टीम इंडिया को लेकर समझ में नहीं आ रही है. इस टीम की हालत वही है, जैसे कि हर कोई अपने घर में शेर होता है. आप घरेलू या महाद्वीप की पिच पर सारी सीरीज जीतते हैं, मगर बाहर की पिच पर शेर ढेर हो जाता है.

दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर कई फैसले ऐसे हुए हैं कि क्रिकेट के जानकार हैरान हैं. पाथिर्व पटेल का चयन किस आधार पर टीम में किया गया है. जबकि सभी जानकार मानते हैं कि वो अब उतने कारगर नहीं रहे, वो उतने फुतीर्ले नहीं रहे. चलो आप उन्हें टीम में ले गए हैं तो रोहित शर्मा के रहते पार्थिव पटेल को ऊपर बल्लेबाजी के लिए क्यों भेजा गया? दलील दी गई कि उस वक्त एक बांए हाथ के बल्लेबाज की जरूरत थी. चलिए ये बात भी समझ में आती है कि आपको लेफ्ट-राईट का कंबिनेशन की जरूरत है टीम में, तो फिर शिखर धवन क्यों बाहर बिठाया हुआ है?

जिस फार्मूले से आप लगातार जीतते रहे हैं, उससे छेड़छाड़ करने की जरूरत क्यों है? अब तीसरे टेस्ट के लिए पार्थिव पटेल की जगह दिनेश कार्तिक के बुलाया गया है. यही करना था तो पार्थिव की बली क्यों दी जा रही है? दरअसल भारतीय टीम लगातार बदलाव करती जा रही है, इसकी वजह है जल्दबाजी में लिए जा रहे फैसले. टीम इंडिया की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि पूरी टीम में केवल एक ही बल्लेबाज है, वह है कफ्तान विराट कोहली. यदि वो जल्दी आउट हो गए तो टीम का हौसला पस्त हो जाता है. आखिर दिक्कत कहां है, टीम इंडिया की मैनेजमेंट क्या कर रही है या फिर टीम को केवल कोहली चला रहे हैं..

दरअसल, दिक्कत कहां है इसके लिए आपको थोड़ा पीछे जाना होगा, उस विवाद पर जब अनिल कुंबले ने इस्तीफा दे दिया था और ये खबर आई थी कि कोहली और कुंबले में बन नहीं रही है. कारण क्या था कुंबले की राय से क्या कोहली इत्तेफाक नहीं रखते थे या फिर कुंबले टीम कंबिनेशन में अपनी बात भी मनमाना चाहते थे. फिर वो हुआ जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में नहीं हुआ था. कप्तान के कहने पर कोच को नियुक्त किया गया. चैपल भी कोच बनाए गए थे, काफी विवाद हुआ था. मगर उनकी नियुक्ति के पहले कप्तान से नहीं पूछा गया था. ये त्रासदी है भारतीय क्रिकेट की. 

बीसीसीआई पर कोर्ट का पहरा है, उसे केवल पैसा देने का अधिकार है, अब उसके पास कोई कोई अधिकार नहीं है और खामियाजा भुगतना पड़ रहा है भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को जिनकी तादाद करोड़ों में है, जो इसे किसी धर्म से कम नहीं समझते. मगर जरूरत है कि जो भारत में क्रिकेट को चलाते हैं, उनको और कोच और कप्तान को साथ बैठ कर कुछ करने की जिससे क्रिकेट का भला हो सके. 

अब यहां खुद पढ़ लीजिए कि आखिर दिग्गज पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने क्या कहा है - “आप पहले टेस्ट से इस टीम के चयन को देखिए. इस टेस्ट में भी टीम का चयन देखिए और बाकी चीज़ें जो ये टीम कर रही है. ये टीम अलग तरह से सोच रही है, जिस पर हम में से कोई भी उंगली नहीं उठा सकता. भारतीय क्रिकेट से जुड़े हम सभी लोगों को दुआ करनी चाहिए कि ये जो कर रहे हैं वो काम कर जाए. पहले टेस्ट में वो काम नहीं किया. दूसरे टेस्ट में भी अब तक वो काम नहीं किया है.”

(मनोरंजन भारती एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल, न्यूज हैं.)

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