बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान आया है कि वे राज्य में शराबबंदी कानून में बदलाव करना चाहते हैं. जाहिर है हाल के उपचुनावों में हार के बाद नीतीश कुमार अब अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहते हैं. जेडीयू के नेताओं ने एक तरफ नीतीश कुमार को गठबंधन में बड़े भाई का दर्जा देने पर तुले हुए हैं. जाहिर है कि जेडीयू बीजेपी गठबंधन में जेडीयू अब दबाव बनाने पर उतर आई है क्योंकि उसे मालूम है कि फिलहाल मौजूदा हालत में बीजेपी के 22 सांसद हैं और जेडीयू के सिर्फ दो ऐसे में गठबंधन होगा कैसे, यह सबसे बड़ा सवाल है.
इन सब चीजों को देखते हुए अब नीतीश कुमार अपने क्रांतिकारी फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हो गए हैं. इसकी कई वजह हैं. बिहार में शराबबंदी की वजह से करीब सवा लाख लोग जेल में बंद हैं जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं. जेल में बंद लोगों में अधिकतर निम्न और निम्न-मध्यम वर्ग के लोग हैं जो नीतीश कुमार को परंपरागत रूप से वोट देते आए हैं.
वैसे शराबबंदी के फायदे से इनकार नहीं किया जा सकता और इस पर कोई बहस भी नहीं है. मगर बिहार में शराबबंदी कानून अमानवीय है. इस कानून के मुताबिक यदि आपके घर या आहाते से शराब की खाली बोतल बरामद हो जाए तो पूरे परिवार को जेल जाना पड़ता है. ऐसा कानून दुनिया में कहीं नहीं है. लेकिन यह भी सत्य है कि दुनिया में कहीं भी शराबबंदी पूर्ण रूप से सफल नहीं हुई है. बिहार में भी यही हुआ. बिहार की पुलिस पूरी तरह से शराबबंदी को लागू करवाने में लग गई और दूसरी तरफ शराब की तस्करी बढ़ने लगी. बड़े-बड़े शराब माफिया पैदा हो गए जिनकी पुलिस से मिलीभगत रहती है और उनको राजनीतिक संरक्षण मिलता है. यही वजह है कि कोई भी बड़ा शराब का तस्कर नहीं पकड़ा गया है.
थानों के संरक्षण से शराब तस्करी खूब फलती-फूलती रही है. थानेदार तो थानेदार जिले के बड़े पुलिस अफसर भी करोड़पति हो गए. हाल में ही एक जिले के पुलिस अधीक्षक शराब माफिया के साथ बैठक करने के बाद पकड़े गए, जिनके पास से काफी बड़ी संख्या में संपत्ति जब्त हुई. इन सबके बीच शराब माफिया ने शराब की होम डिलीवरी शुरू कर दी जिसके लिए कोचिंग और कॉलेज जाने वाले लड़कों को चुना जाता है. उनकी पीठ पर लदे बैग में शराब की बोतल होती है. उन्हें हर एक बोतल पर 200 से 300 रुपये मिलते हैं. कई बच्चे इस मामले में पकड़े गए हैं.
बिहार में शराब की तस्करी नेपाल और झारखंड से होती है और यहां तक बिहार के लोग शादियों के लिए देवघर को चुनने लगे हैं जहां शिव जी का बड़ा प्रसिद्ध मंदिर है. वहां शादियां भी होती हैं और शहर में शराबबंदी भी नहीं है. एक अनुमान के अनुसार शराबबंदी की वजह से बिहार सरकार को करीब 4000 करोड़ रूपये का नुकसान होता है. बिहार के लिए यह बड़ी रकम है क्योंकि झारखंड बनने के बाद वहां कोई उद्योग धंधा तो है नहीं. ऐसे में नीतीश कुमार का फैसला कि वह शराबबंदी कानून में बदलाव लाना चाहते हैं, बहुतों को चौंकाता नहीं है.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
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This Article is From Jun 06, 2018
नीतीश कुमार और शराबबंदी
Manoranjan Bharati
- ब्लॉग,
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Updated:जून 06, 2018 16:44 pm IST
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Published On जून 06, 2018 16:44 pm IST
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Last Updated On जून 06, 2018 16:44 pm IST
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