बाबा की कलम से : मुकुल रॉय पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों डाल रहे हैं डोरे

मुकुल रॉय की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

पूर्व रेलमंत्री मुकुल रॉय एक वक्त में ममता बनर्जी के बाद तृणमूल कांग्रेस में नंबर 2 की हैसियत रखते थे। ममता के प्रमुख सिपाहसालार थे। मुकुल रॉय तभी तो दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्रालय से हटाकर ममता बनर्जी ने मुकुल रॉय को पद दिलाया था। मगर शारदा घोटाले में ममता बनर्जी के मंत्रियों के फंसने और मुकुल रॉय से सीबीआई की पूछताछ के बाद हालात बदलने लगे।

ममता के राजदार होने का फायदा बीजेपी उठाना चाहती थी। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैलियां बंगाल में होने लगी और ममता पर दबाब बढ़ता गया और साथ में मुकुल रॉय पर भी। कहा जाता है कि मुकुल रॉय की बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात की।

जाहिर है कि ममता बनर्जी अपने सबसे करीबी सहयोगी से नाराज हो गई हैं। सबसे पहले दिल्ली में मुकुल रॉय के घर पर ममता बनर्जी का सामान था। उसे हटाया गया। आप जानना चाहेगें कि ममता बनर्जी का सामान मुकुल रॉय के घर क्या कर रहा था।

दरअसल जब भी ममता बनर्जी का दिल्ली आना होता था वो अक्सर मुकुल रॉय के घर ही रुका करती थीं। पत्रकारों से भी उनकी मुलाकात अपने सांसदों के घर पर ही होती है। फिर इस बजट सत्र के दौरान मुकुल रॉय की वित्तमंत्री से मुलाकात हुई तो ममता ने मुकुल रॉय को पार्टी के पदों और राज्यसभा में तृणमूल दल के नेता पद से हटा कर डेरेक को नेता बनाया। अब मुकुल रॉय आजाद हैं, उन्हें बीजेपी से ऑफर तो है ही कांग्रेस भी उन पर डोरे डाल रही है।

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मुकुल रॉय ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। दरअसल बंगाल की बीजेपी यूनिट के निशाने पर मुकुल रॉय काफी रहे हैं और शायद वो इस बात को लेकर हिचक रहे हैं। उधर, दिल्ली में बीजेपी के नेताओं को लगता है कि मुकुल रॉय ममता बनर्जी के नेटवर्क को जानते हैं और इसका फायदा उन्हें मिल सकता है। और मुकुल रॉय की माने तो अभी वो दो तीन महीने तक इंतजार करेगें क्योंकि तृणमूल से निकाले जाने के बाद भी उनकी राज्यसभा की सदस्यता बनी रहेगी और बंगाल में भी चुनाव होने में वक्त है।