हम सब जानते हैं और अक्सर कहते हैं कि आमिर ख़ान सबसे ज़्यादा और बेहतर तरीके से मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। हम ये भी कहते और देखते हैं कि फ़िल्म रिलीज़ के समय शाहरुख़ ख़ान एक एक दिन में दो-दो या तीन-तीन बार मीडिया के सामने आते हैं मगर शाहरुख़ हों या आमिर, ये सब पीछे हैं कंगना रनौत से।
मैंने पिछले कुछ सालों में जो देखा है उस हिसाब या उस नज़रिये से कंगना से बेहतर तो नहीं कह सकता मगर ये कह सकता हूं कि कंगना रनौत से ज़्यादा मीडिया का इस्तेमाल कोई नहीं करता या कंगना से ज़्यादा अख़बारों में कोई नहीं रहता।
कंगना की फ़िल्म रिलीज़ के कगार पर खड़ी हो या न हो, कंगना को इससे कोई असर नहीं पड़ता। आप सुबह में मुम्बई का कोई भी अख़बार उठाएं उसमें हर रोज़ करीब करीब सभी अख़बारों में कंगना से जुड़ी कोई स्टोरी या कंगना की कोई न कोई तस्वीर होनी ही होनी है। उनमें से ज़्यादातर अख़बारों के ऐप्स हैं जिनके माध्यम से सोशल नेटवर्किंग साइट्स और वेबसाइट्स पर ये स्टोरीज पहुंचती हैं और फिर सुबह की ये खबरें शाम होते होते न्यूज़ चैनल्स और म्यूजिक चैनल्स पर चलने लगती हैं।
मैंने एक बार कंगना से ये सवाल भी पूछा था कि आपकी फिल्में आएं या ना आएं, आप हर रोज़ ख़बरों में रहती हो। इसकी क्या ज़रूरत? तब कंगना ने कहा था, 'मैं अपना काम करती हूं और हमारी पीआर एजेंसी अपना काम करती है और मेरी एजेंसी अच्छा काम कर रही है।'
मुझे लगता है कि कंगना को मीडिया की सुर्ख़ियों में रहने का कुछ ज़्यादा ही शौक़ है और शायद इसलिए वो इंडस्ट्री की बड़ी पीआर एजेंसी को अपने प्रचार के लिए मोटी रक़म देती हैं। इन पीआर एजेंसी के द्वारा मीडिया नेट खरीदवाया जाता है जिसमें पेड स्टोरीज छपवाई जाती हैं। कंगना ने अगर अपनी नौकरानी के बच्चे के बुखार के इलाज के लिए पैसे दिए हैं तो वो भी अख़बार की ख़बर बनकर आती है। कंगना के काम की कोई बड़ा स्टार एसएमएस करके तारीफ़ करता है, वो भी अख़बार की सुर्खी बना दी जाती है वगैरह वगैरह। और अगर कोई एजेंसी थोड़ी ढिलाई बरतती है तो कंगना फ़ौरन एजेंसी बदल देती हैं। मैंने पिछले 5 सालों में 3 एजेंसी बदलते हुए देखा है कंगना को।
आम तौर पर सितारे अपनी फ़िल्म को प्रोमोट करने के लिए मीडिया का इस्तेमाल करते हैं मगर कंगना के लिए ये ज़रूरी नहीं। बस उन्हें हर रोज़ अख़बारों में रहने से मतलब है। कई बार मीडिया दुसरे बड़े सितारों के झगड़ों, विवादों या उनकी रिलेशनशिप की ख़बरों को ढूंढता है और और चटपटा बनाता है मगर कंगना के मामले में मीडिया को मेहनत करने की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि वो खुद ही ऐसी चटपटी कहानियां मीडिया के पास भेजती हैं।
कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि मीडिया और ख़बरों में कंगना से ज़्यादा इन दिनों कोई नहीं रहता। हालांकि इसका कुछ ख़ास फायदा भी नहीं है कंगना को क्योंकि जब फ़िल्म अच्छी होती है तब हिट होती है और जब फ़िल्म कमज़ोर होती है तब फ्लॉप।
This Article is From Oct 01, 2015
इकबाल परवेज का ब्लॉग : मीडिया के इस्तेमाल में कंगना सबसे आगे
Reported by Iqbal Parvez
- ब्लॉग,
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Updated:अक्टूबर 01, 2015 12:05 pm IST
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Published On अक्टूबर 01, 2015 11:54 am IST
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Last Updated On अक्टूबर 01, 2015 12:05 pm IST
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