कैराना को लगातार सुलगाया जा रहा है। शुक्रवार को बीजेपी के सरधना से विधायक संगीत सोम ने कैराना में हिन्दुओं के कथित पलायन को लेकर पैदल निर्भय यात्रा निकालने की कोशिश की। इकठ्ठा की गई इस भीड़ को संगीत सोम सरधना से कैराना तक ले जाना चाह रहे थे। लेकिन 2 किमी बाद ही इसे रोक लिया गया।
वे कहते रहे कि कानून का उल्लंघन नहीं कर रहे लेकिन पाबंदियों के बावजूद शक्ति प्रदर्शन किया गया और रुकते-रुकते राज्य सरकार को अल्टीमेटम भी दे दिया कि पलायन किए लोगों की वापसी 15 दिनो में की जाए नहीं तो सड़क पर उतर जाएंगे। अब बीजेपी का कहना है कि इस यात्रा से उसका कुछ लेना देना नहीं है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि ये विधायक की निजी यात्रा है। कैराना के बीजेपी सांसद हुकुम सिंह का भी कहना था कि उन्हें ऐसी किसी यात्रा की जानकारी नही है। भले ही हुकुम सिंह हिन्दू परिवारों के पलायन के बयान से पलट गये हों लेकिन संगीत सोम इसे छोड़ने वाले नहीं हैं।
ये वही संगीत सोम हैं जो पिछले साल दादरी पहुंच गये थे। अखलाख की मौत के कुछ दिनों बाद ही अक्टूबर में पहुंचकर तीखी बयानबाजी भी कर दी थी। तब भी पार्टी ने कहा था कि उनकी तरफ से नहीं भेजा गया। साथ ही उस दौरान राज्य में पार्टी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने ये भी कहा था कि जो संगीत ने वहां कहा है, उसे देखा जायेगा, लेकिन ये गाय का मीट खाने वालों और गाय को मारने वालों से जुड़ा है।
ये वही संगीत सोम हैं जो सुरेश राणा के साथ मुज़फरनगर दंगों में आरोपी थे। उन पर सांप्रदायिक उन्माद भड़काने के लिए फर्जी वीडियो बांटने का आरोप लगा। ये वही संगीत सोम हैं जिसे 2013 अक्टूबर में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद नवंबर के चुनावी माहौल में आगरा में हुई रैली में स्टेज पर सम्मानित किया गया था। हालांकि नरेंद्र मोदी जो तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे, स्टेज पर नहीं थे लेकिन सम्मानित किये जाने के दौरान स्टेज पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन और कलराज मिश्र मौजूद थे।
उसी दिन मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ बरेली के इंटर इस्लामिया कॉलेज के ग्राउंड में रैली को संबोधित किया, जिसमें इत्तिहाद-ए-मिल्लत कौंसिल का प्रमुख तौकीर रजा मौजूद थे। जो 2012 के बरेली दंगों के आरोपी थे। यानी दंगे भड़काने के आरोपियों के साथ राजनीतिक दल लगाव बरकरार रखते हैं।
उसी तरह शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने भी सद्भावना यात्रा निकालने की कोशिश की। साथ ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने संगीत सोम के अल्टीमेटम पर कहा कि पहले 2002 के गुजरात दंगों के विस्थापित परिवारों को वापस बसाया जाये।
वैसे कैराना का मुद्दा इस इलाके के नेताओ में वर्चस्व की लड़ाई भी बताई जा रही है। कैराना के सांसद हुकुम सिंह अपनी बेटियों को 2017 के चुनावी मैदान में उतारना चाहते है। ऐसे में वो लिस्ट उसकी तैयारी थी। लेकिन संगीत सोम अपना दम-खम भी दिखाना चाह रहे हैं। साथ ही राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजित सिंह ने भी हुकुम सिंह पर जब ऐसा आरोप लगाया जो जाट नेता पर हुकुम सिंह ने पलटवार किया।
शुक्रवार को ही कैराना गई बीजेपी के सांसदों और कार्यकर्ताओं के दल ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल राम नाईक को सौंप दी है। रिपोर्ट में कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है लेकिन साफ किया गया है कि एक विशेष वर्ग का पलायन हुआ। विशेष समुदाय के अपराधियों को संरक्षण दिया गया है।
इस मामले की सीबीआई जांच की मांग के साथ रिपोर्ट की एक कॉपी केंद्रीय नेतृत्व को भी दी गई है। अब कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रियों को भी भेजा जा सकता है। इससे पहले गुरुवार को ही पांच राजनीतिक दलों के सदस्यों ने कैराना का दौरा किया था जिसमें बीजेपी पर सांप्रदायिक माहौल बनाने का आरोप लगाया गया। लेकिन सबकी कैराना में मौजूदगी संदेश दे रही है कि वहां सांप्रदायिक माहौल के नाम पर सब राजनीतिक फायदा उठाना चाह रहे है।
(निधि कुलपति एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एडिटर हैं)
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This Article is From Jun 17, 2016
कैराना : सांप्रदायिक माहौल के नाम पर राजनीतिक फायदा उठाने की चाहत
Nidhi Kulpati
- ब्लॉग,
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Updated:जून 18, 2016 00:38 am IST
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Published On जून 17, 2016 22:55 pm IST
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Last Updated On जून 18, 2016 00:38 am IST
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