वैसे तो समीकरण के लिहाज से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हर सीट अहम है लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जो पार्टियों के लिए नाक का सवाल बन जाती हैं. इन्हीं सीटों में से एक है कैराना विधानसभा सीट, जहां का चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प हो चला है. दरअसल बीजेपी ने इस सीट से मृगांका सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. मृगांका सिंह पहली बार चुनावी मैदान में हैं और बीजेपी सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं. हुकुम सिंह अपने विवादास्पद बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं. बीजेपी सांसद ने मेरठ के कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था. आरोप लगाया था कि हिंदुओं को मजबूर कर यहां से पलायन करवाया जा रहा है. इस पर मीडिया में कई तरह की खबरें आईं. राजनीतिक दलों ने बीजेपी में सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप भी लगाया.
58 साल की मृगांका सिंह कहती हैं वह राजनीति के मामले में वह कोई अनाड़ी नहीं हैं, वह वर्षों से सात बार विधायक रह चुके अपने पिता के साथ काम कर रही हैं.
पिछले महीने कैराना में एनडीटीवी से उन्होंने कहा था कि 'सिर्फ मैं उनकी (बीजेपी सांसद हुकुम सिंह) बेटी हूं, इस आधार पर मुझे अवसर देने से क्यों इनकार किया जाए?' मृगांका ने कहा कि बीजेपी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाकर अपनी जीत सुनिश्चित कर ली है.
मृगांका सिंह शिक्षाविद हैं और गाजियाबाद में रहती हैं. यहां वह स्कूल चेन चलाती हैं. उनका मानना है कि अगर डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है तो राजनेता की बेटी राजनेता क्यों नहीं बन सकती?
चचेरे भाई अनिल चौहान से होगी टक्कर
हुकुम सिंह के सांसद बनने के बाद इस सीट पर उप-चुनाव हुआ था, जिसमें मृगांका के चचेरे भाई अनिल चौहान को बीजेपी की तरफ से टिकट मिला था. लेकिन, वे सपा के नाहिद हसन से चुनाव हार गए थे. बीजेपी ने जहां इस बार मृगांका को टिकट दिया तो अनिल चौहान नाराज हो गए और बीजेपी छोड़कर रालोद में चले गए. अब इस सीट पर भाई-बहन के बीच में ही लड़ाई होगी.
मृगांका ने कहा है कि अपराध से लड़ना उनकी प्राथमिकता है. चुनावी अभियान में मृगांका सिंह की चार बहनों, जो कि अमेरिका में रहती हैं, और उनके 21 साल के बेटे ने उनकी मदद की.
58 साल की मृगांका सिंह कहती हैं वह राजनीति के मामले में वह कोई अनाड़ी नहीं हैं, वह वर्षों से सात बार विधायक रह चुके अपने पिता के साथ काम कर रही हैं.
पिछले महीने कैराना में एनडीटीवी से उन्होंने कहा था कि 'सिर्फ मैं उनकी (बीजेपी सांसद हुकुम सिंह) बेटी हूं, इस आधार पर मुझे अवसर देने से क्यों इनकार किया जाए?' मृगांका ने कहा कि बीजेपी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाकर अपनी जीत सुनिश्चित कर ली है.
मृगांका सिंह शिक्षाविद हैं और गाजियाबाद में रहती हैं. यहां वह स्कूल चेन चलाती हैं. उनका मानना है कि अगर डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है तो राजनेता की बेटी राजनेता क्यों नहीं बन सकती?
चचेरे भाई अनिल चौहान से होगी टक्कर
हुकुम सिंह के सांसद बनने के बाद इस सीट पर उप-चुनाव हुआ था, जिसमें मृगांका के चचेरे भाई अनिल चौहान को बीजेपी की तरफ से टिकट मिला था. लेकिन, वे सपा के नाहिद हसन से चुनाव हार गए थे. बीजेपी ने जहां इस बार मृगांका को टिकट दिया तो अनिल चौहान नाराज हो गए और बीजेपी छोड़कर रालोद में चले गए. अब इस सीट पर भाई-बहन के बीच में ही लड़ाई होगी.
मृगांका ने कहा है कि अपराध से लड़ना उनकी प्राथमिकता है. चुनावी अभियान में मृगांका सिंह की चार बहनों, जो कि अमेरिका में रहती हैं, और उनके 21 साल के बेटे ने उनकी मदद की.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
Hukum Singh's Daughter, Khabar Assembly Polls 2017, Uttar Pradesh Elections 2017, Uttar Pradesh Polls 2017, Mriganka Singh, Hukum Singh, Kairana, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, मृगांका सिंह, कैराना, अनिल चौहान, UP Candidate 2017