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This Article is From Nov 18, 2014

कादम्बिनी शर्मा का सवाल : पुलिस क्यों है रामपाल पर नरम, मीडिया पर गरम?

Kadambini Sharma
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 19, 2014 15:55 pm IST
    • Published On नवंबर 18, 2014 18:54 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 19, 2014 15:55 pm IST

हरियाणा के हिसार में स्वयंभू संत रामपाल को हाईकोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार करने के लिए कई दिनों तक उनके आश्रम के बाहर तैनात पुलिस शांति से बैठी रही थी। सोमवार को पेशी की तारीख थी, लेकिन न रामपाल दबाव में झुके और न पुलिस आश्रम के अंदर घुसने की हिम्मत जुटा पाई। कोर्ट ने जबर्दस्त फटकार लगाई... सोमवार को रामपाल के प्रवक्ता ने यह भी कहकर सनसनी फैला दी कि अब रामपाल आश्रम में नहीं और मीडिया ने जमकर इस पर सवाल उठाए कि इसमें पुलिस, प्रशासन, सरकार, नेताओं की क्या कोई भूमिका है। शाम होते-होते यह बताया गया कि रामपाल आश्रम में ही हैं।

और अब आज की तस्वीर देखें, आज हरियाणा पुलिस का पुरुषार्थ जाग उठा और उसने कार्रवाई शुरू की, वह भी कैसै... पहले उसने अपनी बहादुरी, अपनी कमिटमेंट मीडिया को दिखाई, मीडिया को बुलाया, एक जगह पर रहने को कहा और अचानक मीडिया पर ही लाठियां लेकर टूट पड़े। 100 के करीब मीडियाकर्मी यहां घायल हुए, उनमें से कई बुरी तरह से...

हमारे छह सहयोगी भी इन घायलों में शामिल हैं... एनडीटीवी के मुकेश सिंह सेंगर और सिद्धार्थ पांडे (हमारे रिपोर्टर), फहद तलहा, अश्विनी मेहरा और सचिन गुप्ता (हमारे कैमरा सहयोगी) तथा अशोक मंडल (हमारे कैमरा टेक्नीशियन, जो लाइव तस्वीरें आप तक पहुंचाते हैं), ये सब घायल हैं... इनके कैमरे छीने गए, फोन छीने गए, आई-कार्ड तक छीन लिए गए... आप तक लाइव तस्वीरें पहुंचाने वाले उपकरण भी पुलिस ने तोड़ दिए...

ये हमारे वे सहयोगी हैं, जो पिछले कई दिन से आश्रम के बाहर की हर गतिविधि आप तक पहुंचा रहे थे... अगर ये मीडिया वाले वहां नहीं होते तो यहां क्या हो रहा है, इसकी कोई जानकारी आप तक नहीं पहुंचती... सवाल यह है कि मीडियाकर्मियों को किस बात की सज़ा दी गई...? जब वे पुलिस के बनाए हर नियम का पालन कर रहे थे, तो पुलिस ने लाठियों से उन पर हमला क्यों किया, और उन पर हमला करने का आदेश किसने दिया...

मीडिया के लोग सिर्फ अपना काम कर रहे थे... जो आज तस्वीरें आप देख रहे हैं, वे आप तक पहुंचाने का काम... जो ख़बर आप सुन रहे हैं, वह जुटाने का काम... लेकिन जब मीडिया पर इस तरह हमला होता है, तो आप तक ये खबरें नहीं पहुंचतीं... हम मानते हैं कि हमारे दर्शक समझदार हैं... विचार और ख़बर में फर्क कर सकते हैं, लेकिन जब आप तक खबर ही न पहुंचे तो हम मीडियाकर्मी यहां सिर्फ और सिर्फ आपके संदेशवाहक की तरह काम कर रहे थे, कर रहे हैं, फिर यह ज्यादती क्यों...?

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