विज्ञापन
This Article is From May 03, 2018

जे डे मर्डर केस : कॉल बना डॉन का काल

Sunil Kumar Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 03, 2018 23:21 pm IST
    • Published On मई 03, 2018 23:18 pm IST
    • Last Updated On मई 03, 2018 23:21 pm IST
मीडिया से फ़ोन पर डॉन के कबूलनामे को मकोका जज ने भरोसेमंद मान छोटा राजन को दोषी करार दिया. जैसा फिल्मों में होता है वैसा उस दिन भी हुआ था. बस इस फिल्म का आखरी सीन एक जज ने लिख़ा. तारीख 1 जुलाई 2011 और वक़्त रात के 9 बजे का था. घर जाने की जल्दी उस दिन खत्म हो गयी थी, क्योंकि पहले से ही नीरज ग्रोवर हत्याकांड पर स्टोरी लिखना जारी था. मोबाइल की घंटी बजी... +5032 नंबर से फ़ोन आ रहा था. यानी कोई इंटरनेशनल कॉल. जैसे सारे फ़ोन उठाने की आदत थी, उस दिन भी उठाया... उस तरफ से आवाज़ आयी. अनिल सिंह! मैंने कहा - 'नहीं सुनील सिंह'. उस तरफ से आवाज़ आयी... 'में नाना बोल रहा हूं.' नाना यानी छोटा राजन. राजन अपनी रौबदार आवाज़ में दम भर रहा था कि कैसे और क्यों उसने जे डे की हत्या करवाई है. 30 मिनट की लंबी बातचीत में मैं सवाल कर रहा था और दूर बैठा डॉन कानून से दूर खुद का कारनामा बता रहा था. ठीक वैसा ही जैसा फिल्मों में होता है.. .वो सब उस दिन भी हो रहा था. जिन लोगों ने फिल्म सत्या देखी है वो उस दिन के नाना को और मेरी हालत समझ सकते हैं. वो सिलसिलेवार तरीके से बता रहा था कि कैसे जे डे दाऊद इब्राहिम के बारे में तो अच्छा लिख रहे थे लेकिन उसकी बुराई कर रहे थे. जेडे अपनी सीमा पार कर चुके थे और उसके लिए खतरा बन गए थे. राजन ने उस दौरान मिड डे अख़बार में उसके खिलाफ लिखी 2 खबरों का भी हवाला दिया था. राजन के मुताबिक 30 मई और 2 जून 2011 को छपी खबरों में जे डे ने उसकी छवि देशद्रोही डॉन की बनाने की कोशिश की थी.

क्राइम रिपोर्टर जे डे लिख रहे थे कि कैसे राजन कंगाल होता जा रहा है. अपनी कंगाली की खबर उसको नागवार गुजर रही थी. राजन बता रहा था कि जे डे लंदन गए थे और वहां से फ़ोन करके मिलने के लिए भी बुलाया था लेकिन नाना को अंदेशा था कि वहां खतरा हो सकता है इसलिए जाने से मना कर दिया. जे डे पर शक की वजह नाना के हिसाब से एक और थी, वो थी लंदन के बाद फिलीपीन में इंटरव्यू के लिए बुलाना. और यही वजह है कि जे डे को सबक सिखाने का फैसला लिया. जेडे हत्याकांड में छोटा राजन का फोन पर किसी भी पत्रकार के सामने ये पहला कबूलनामा था. सब कुछ तेजी से बदल रहा था. आधे घंटे के इस कबूलनामे में छोटा राजन खुद की उम्र कैद लिख रहा है उस दिन किसी ने नहीं सोचा था. उम्र कैद की बुनियाद में इसी किस्म के चार इंटरव्यू जिसे मकोका जज समीर अडकर ने बड़ा आधार बताते हुए लिखा .... उसे कानून की भाषा में एक्स्ट्रा जुडिशियल कॉन्फेशन कहते हैं.

मकोका जज समीर अडकर ने 599 पन्नों के अपने फैसले में छोटा राजन ने मेरे साथ फ़ोन पर उस कबुलानमे के बारे में भी विस्तार से लिखा है. अदालत में मेरी गवाही और बचाव पक्ष द्वारा क्रॉस एग्जामिन की समीक्षा में जज ने लिखा है कि मैं 1993 से पत्रकरिता कर रहा हूं. मेरा बृहद अनुभव और वरिष्ठता निर्विवाद रही है. बचाव पक्ष ने भी क्रॉस एग्जामिन के दौरान इस बात पर कोई सवाल नहीं उठाया.

अदालत के मुताबिक 1 जुलाई 2011 को रात 9 बजे मेरे मोबाइल पर +5032 नंबर से फ़ोन आने की बात और उस दौरान 30 मिनट तक बात होने की बात भी सीडीआर से साबित हुई है. उस दौरान मैंने ना सिर्फ छोटा राजन से वारदात से सम्बंधित सवाल पूछे थे बल्कि जे डे की हत्या करवाने की वजह और दूसरी कई बातों पर छोटा राजन से सफाई भी मांगी थी.

अदालत ने लिखा है कि इससे 2 बातें साफ होती हैं, एक तो मुझे भरोसा था कि फ़ोन पर बात करने वाला छोटा राजन ही है. दूसरा जो ज्यादा अहम बात  है वो ये कि छोटा राजन बिना किसी भय या दबाव के खुलकर बात कर रहा था. अदालत ने ये भी माना है कि मुझसे बात करने वाला छोटा राजन ही था, ये बात खुद बचाव पक्ष के क्रॉस एग्जामिनेशन से साबित हुई. जज ने लिखा है कि मेरी यानी सुनील कुमार सिंह की गवाही से ये बात भी साफ हुई कि आरोपी छोटा राजन ने बातचीत में बताया था कि जे डे ने अपनी सीमा पार कर दी थी.

एकतरफ तो वो अपनी खबरों से राजन की छवि खराब कर रहे थे दूसरी तरफ दाऊद इब्राहिम को महिमामंडित कर रहे थे. अदालत के मुताबिक ये भी साफ है कि छोटा रजन से फ़ोन पर बातचीत के तुरंत बाद "एनडीटीवी इंडिया" ने तुरंत उस खबर को चलाया था. अगर फ़ोन पर कोई बात नहीं हुई होती तो चैनल के पास कोई वजह नहीं थी कि वो झूठी खबर चलाकर अपनी रेपुटेशन ख़राब करने का खतरा मोल ले. ये भी ध्यान देने वाली बात है कि आरोपी छोटा राजन द्वारा जे डे की हत्या की बात कबूल करने वाली खबर चैनल ने कई दिन चलाई थी जिसे पूरी दुनिया में देखा और सुना गया. अगर खबर गलत या फर्जी होती तो मानहानि के डर से चैनल उसे कभी नहीं चलाता. आम तौर पर इस तरह के गंभीर अपराध में अपना नाम घसीटे जाने पर चैनल के खिलाफ कम से कम एक क़ानूनी नोटिस तो बनता है. जबकि इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो ये बताता है कि छोटा राजन अपने कबूलनामे पर कायम था. अदालत ने बचाव पक्ष के इस तर्क को भी मानने से इनकार कर दिया कि चैनल ने "जे डे की हत्या के कबुलानमे" की सनसनीख़ेज खबर को टीआरपी पाने के लिए चलाया. अदालत के मुताबिक बचाव पक्ष ने इस संदर्भ में कोई सबूत नहीं पेश किया कि खबर चलने के बाद चैनल की टीआरपी बढ़ गई थी.

हालांकि अदालत में गवाही इतनी आसान नहीं थी. बचाव पक्ष ने मुझे गलत साबित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी. पत्रकार जे डे की हत्या ऐसा मामला है जिसमें पीड़ित, आरोपी और गवाह भी मीडिया वाले रहे हैं. अपनी तरह के अनोखे इस हत्याकांड में डॉन छोटा राजन ने मेरे अलावा मुंबई के 3  और क्राइम रिपोर्टर जीतेन्द्र दीक्षित, निखिल दीक्षित और आरिज़ चंद्रा को भी फ़ोन कर जे डे की हत्या की बात कबूली थी. हैरानी की बात है कि किसी ने भी डॉन से उस बातचीत की रिकॉर्डिंग नहीं की थी.

बचाव पक्ष ने अदालत में ये मुद्दा उठाया भी था लेकिन अदालत ने उस आपत्ति को दरकिनार कर दिया ये कहकर कि साल 2011 में आज की तरह सभी मोबाइल फोनों में कॉल रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं थी और अगर सुविधा रहती तब भी कॉल रिकॉर्ड करना ये पत्रकारों से जरुरत से ज्यादा अपेक्षा हो सकती है. अदालत के मुताबिक छोटा राजन से बात करने वाले सभी चारों पत्रकार क्राइम रिपोर्टर हैं, अंडरवर्ल्ड की रिपोर्टिंग पहले भी करते रहे हैं, इसलिए ये शक करने की कोई वजह है नहीं कि उन्होंने फ़ोन पर डॉन के कबूलनामे की झूठी कहानी गढ़ी है. सभी के कॉल रिकॉर्ड से भी साफ है कि उन्हें वीओआईपी कॉल आये थे.

सबसे अहम बात कि उस दौरान छोटा राजन विदेश में छिपा बैठा था. उसके ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं था. उसने जो भी कहा अपनी मर्जी से कहा. उसे ज़रा भी उम्मीद नहीं थी कि वो पकड़ा जाएगा और मुकदमे का सामना करना पड़ेगा. पहले भी देखा गया है कि विदेशों में छुपे बैठे माफिया सरगना पत्रकारों को फ़ोन कर अपने अपराधों का बखान करते रहे हैं ताकि लोगों में उनकी दहशत बनी रहे. डॉन और अंडरवर्ल्ड ने कई बार मीडिया का इस्तेमाल किया.. मीडिया भी इस्तेमाल हुआ होगा. लेकिन पत्रकारिता के इतिहास में ये केस इसलिए याद रखा जायेगा क्योकि शिकारी खुद शिकार हो गया.

सुनील सिंह, एनडीटीवी के मुंबई ब्यूरो में कार्यरत हैं

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com