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This Article is From Dec 16, 2016

सरकार है कि बिग बाज़ार है, लकी ड्रॉ में व्यापारियों की इनाम राशि कम क्यों

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 16, 2016 11:36 am IST
    • Published On दिसंबर 16, 2016 11:36 am IST
    • Last Updated On दिसंबर 16, 2016 11:36 am IST
जब मुल्क के लिए योजनाएं बनाने वाली संस्था नीति आयोग के कार्यकारी प्रमुख लकी ड्रॉ और बम्पर ड्रॉ बनाने लगें तो यकीन कर लेना चाहिए कि एक दिन सरकार अपनी योजनाओं के साथ मुफ्त में एक कटोरी और एक बनियान भी दे सकती है.

नीति आयोग का काम है कि सरकारी योजनाओं को कामयाब बनाने के लिए बुनियादी ढांचे की रूपरेखा तैयार करना, न कि लकी ड्रॉ की योजना बनाना. मैंने कभी सपने भी नहीं सोचा था कि नीति आयोग के सीईओ और फ्लिपकार्ट के सीईओ एक ही भाषा और एक ही टोटके का इस्तेमाल करने लगेंगे. बाज़ार अपनी तरफ से ये सब टोटके तो करता ही रहता है लेकिन अब सरकार भी करने लगी है. अख़बारों के पहले पन्ने पर फ्लिपकार्ट, बिग बाज़ार और अमेज़न के लकी ड्रॉ के साथ साथ अब भारत सरकार के लकी ड्रॉ के भी विज्ञापन होड़ करेंगे. बनियान के साथ चड्डी फ्री, छह ग्लास के साथ विम बार फ्री, पांच हज़ार की ख़रीदारी के साथ एक कैसरोल, तीन हज़ार की ख़रीदारी के साथ सौ रुपये का गिफ्ट वाउचर जैसी इनामी योजनाएं जनरल स्टोर में झूलती रहती हैं. अब वहीं पर सरकार की बम्पर इनामी योजनाओं के पोस्टर भी लटका करेंगे. कोई उपभोक्ता किसी सुपर मार्केट में कंफ्यूज़ हो सकता है कि ये सरकार है कि बिग बाज़ार है.

भारत सरकार के नीति आयोग के कार्यकारी प्रमुख ने गुरुवार को कई प्रकार के लकी ड्रॉ और बम्पर योजनाओं का ऐलान किया ताकि लोग कैशलेस लेन-देन के लिए प्रोत्साहित हों. अमिताभ कांत ने ही बताया कि आठ नवंबर से 7 दिसंबर के बीच एक महीने में पीओएस यानी स्वाइप मशीन से लेन-देन 95 प्रतिशत बढ़ गया है. रूपे कार्ड से भुगतान 36 प्रतिशत बढ़ गया है. ई-वॉलेट से 271 प्रतिशत, यूपीआई और यू एसएसडी दोनों ने 1200 प्रतिशत की उछाल दर्ज की है. जब जनता ख़ुद से 200 प्रतिशत से लेकर 1200 प्रतिशत की दर से इन तरीकों को अपना रही है तो सरकार इनामी राशि क्यों दे रही है. क्या उसके सवालों को लॉटरी के सपनों में उलझा देने के लिए यह सब हो रहा है. जब लेन-देन के सारे विकल्प बंद कर दिये गए तो यह सब बढ़ना ही था. इसके लिए इनामी राशि की क्या ज़रूरत थी.

अमिताभ कांत को बताना चाहिए कि 1200 प्रतिशत तक की प्रगति के पीछे लकी ड्रॉ का हाथ था या विज्ञापनों का. पिछले एक महीने के दौरान प्राइवेट कंपनियों और बैंकों के प्रोडक्ट विज्ञापन छपे या सरकारी बैंकों या सरकारी प्रोडक्ट के. क्या उनकी लॉटरी योजना में ई-वॉलेट प्राइवेट कंपनियों के प्रोडक्ट से हुए लेन-देन को भी शामिल किया गया है, क्या प्राइवेट बैंकों के प्रोडक्ट से लेन-देन को भी शामिल किया गया है या सिर्फ सरकारी बैंकों या सरकार के प्रोडक्ट से लेन-देन करने पर ही हज़ारों लाखों न्यौछावर किये जाएंगे. नीति आयोग को बताना चाहिए कि वो जनता के पैसे से प्राइवेट कंपनियों के प्रोडक्ट को क्यों प्रोत्साहित कर रही है. प्राइवेट कंपनियां अपने प्रोडक्ट को लोकप्रिय बनाने के लिए इनामी राशि की योजनाएं समय समय पर लॉन्‍च करती ही रहती हैं. लॉटरी की एक शर्त होती है. शर्तें लागू जल्दी जल्दी बोले बिना किसी लॉटरी या इनामी प्रतियोगिता का विज्ञापन नहीं होता है. मीडिया में सरकारी बम्पर ड्रॉ के साथ शर्तें लागू की रिपोर्टिंग नहीं हुई है. मगर यह सबके लिए जानना ज़रूरी है. अगर योजना प्रोत्साहित करने के लिए है तो इनाम उसे मिलेगा जो नोटबंदी के बाद पहली बार कैशलेस लेन-देन करेगा या वे भी इसमें शामिल हैं जो ज़माने से इस्तमाल कर ही रहे थे.

पंचवर्षीय योजनाएं बनाने वाली योजना आयोग के जगह नीति आयोग का पदार्पण हुआ है. अभी तक की प्रेस कांफ्रेंस से लग रहा था कि कैशलेस चलन का प्रोत्साहन करना वित्त मंत्रालय का काम है. वित्त मंत्री या राजस्व सचिव ही तमाम तरह की छूट की घोषणा कर रहे थे. कब से कार्ड पर लगने वाला सेवा शुल्क कम हो जाएगा, कब से ऑनलाइन बीमा का प्रीमियम देने पर कितनी छूट मिलेगी. ऐसा लगता है भारत सरकार के पास छूट के एलान के लिए अलग मंत्रालय है और मेगा बम्पर ड्रॉ के एलान के लिए अलग. हमें तो यह भी नहीं मालूम कि योजना बनाने का काम करने वाले नीति आयोग के जिम्मे लॉटरी और ड्रॉ की ज़िम्मेदारी कब आ गई. नोटबंदी के कारण हम सब सामान्य पत्रकार बिजनेस पत्रकारिता के क्षेत्र में धकेल दिये गए हैं. हो सकता है कि हमें ठीक से न मालूम हो, इसलिए पूछने में कोई बुराई नहीं है.

नीति आयोग के कार्यकारी प्रमुख ने 100 दिवसीय लाटरी योजना का ऐलान किया है. अमिताभ कांत ने बताया है कि लकी ग्राहक योजना के तहत रोज़ाना और साप्ताहिक ड्रॉ से इनाम जीत सकते हैं. उन्हें एक करोड़ का इनाम जीतने का भी मौका मिलेगा. 15000 उपभोक्ता हर दिन एक हज़ार की इनाम राशि जीत सकते हैं. 25 दिसंबर से लेकर अगले सौ दिनों तक उन्हें हर दिन ये मौका मिलेगा. क्या इनामी राशि टैक्स फ्री होगी? जनता के कई सौ करोड़ रुपये इनामी राशि पर ख़र्च किये जा रहे हैं, फिर कई करोड़ इनके विज्ञापन पर भी खर्च होंगे. कंपनी जब ऐसा करती है तो उसका लाभ होता है. सरकार को क्या लाभ होने वाला है? उसकी योजना सिर्फ सरकारी प्रोडक्ट के इस्तमाल करने वाले ग्राहकों के लिए तो है नहीं.

सरकारी लकी और मेगा ड्रॉ योजना के तहत 7000 उपभोक्ता वीकली ड्रॉ भी जीत सकेंगे. वीकली ड्रॉ में 1 लाख, दस हज़ार और पांच हज़ार की इनाम राशि रखी गई है. व्यापारियों के लिए भी वीकली ड्रॉ है. 7000 लकी व्यापारी 50,000, 5000 और 25000 की इनाम हर हफ्ते जीत सकेंगे. नोटबंदी से दुखी चल रहे व्यापारियों के बीच एक लकी व्यापारी की नई श्रेणी पैदा कर दी गई है. ये लकी व्यापारी उपभोक्ताओं की तुलना में थोड़े अनलकी हैं यानी कम किस्मत वाले हैं क्योंकि उपभोक्ताओं की साप्ताहिक इनाम राशि अधिकतम एक लाख की है और न्यूनतम 5000 रुपये की. लकी व्यापारियों के लिए अधिकतम साप्ताहिक इनाम राशि आधी क्यों रखी गई है ये समझना मुश्किल हो रहा है. न्यूनतम राशि ढाई हज़ार ही है. व्यापारियों के लिए लकी योजना का नाम डिजी-धन योजना है. नाम मुझे बहुत पसंद आया. गोधन, स्त्री-धन, जनधन, काला धन वाले देश में डिजीधन एक नई कैटगरी है. कम से कम ये शब्द थोड़ा क्रिएटिव है. आइडिया भले ही बिग बाज़ार और फ्लिपकार्ट से लिया गया हो.

दिल्ली सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में बिल बनवाओ इनाम पाओ योजना लॉन्‍च की थी. इसके तहत उपभोक्ताओं को पक्के बिल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. ज़ाहिर है इससे टैक्स सरकार के खज़ाने में आएगा लेकिन नीति आयोग की लकी योजनाओं में तो प्राइवेट से लेकर सरकारी प्रोडक्ट तक शामिल मालूम पड़ते हैं. नीति आयोग की लकी योजना एक अहम पहलू है एक करोड़ की इनाम राशि. उपभोक्ताओं को एक करोड़, पचास लाख और 25 लाख की इनाम राशि जीतने का मौका मिलेगा. व्यापारियों को यहां भी घाटा हो गया है. उन्हें पचास लाख, 25 लाख और 5 लाख का मेगा इनाम दिया जाएगा. आठ नवंबर 2016 से 13 अप्रैल 2017 के बीच कैशलेस लेन-देन करने वाले इसमें शामिल होंगे.

शायद लकी ड्रॉ निकालने की तारीख़ बहुत सोच समझ कर रखी गई है. किसने सोचा होगा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर लकी और बम्पर योजनाओं के ड्रॉ निकलेंगे. पर क्या यह असंभव था. बिग बाज़ार ने तो गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को ही बम्पर सेल के आयोजनों में बदल दिया. शुरुआती दौर में इन दिनों लोग अपने मोहल्ले के पार्क में झंडा फहराने की जगह बिग बाज़ार के स्टोर के आगे लाइन में खड़े हो गए थे. हाल ही में आंबेडकर जयंती को वॉटर डे यानी जल-दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है. जल्दी ही आंबेडकर जयंती के मौके पर दूसरे बाकी काम होंगे. कहीं लॉटरी निकलेगी कहीं वॉटर डे मनेगा और लोग आंबेडकर पर बात करना ही भूल जायेंगे. आंबेडकर जयंती हम आंबेडकर को याद करने के लिए मनाते हैं न कि लॉटरी निकालने के लिए, वॉटर डे मनाने के लिए.

सरकार ने इनामी राशि का ऐलान कर प्रोत्साहित करने की बात तो कर दी लेकिन उसे कैशलेस चलन के लिए बनुयादी और कानूनी ढांचे की स्थिति के बारे में बताना चाहिए. बताना चाहिए कि अगर कोई – वालेट कंपनी उसके पैसे के साथ हेरा-फेरी करती है, खाते में देर से ट्रांसफर करती है तो उनके क्या अधिकार हैं, उन अधिकारों को जल्द से जल्द लागू कराने के लिए सरकार के क्या इंतज़ाम हैं. सरकार का काम है उपभोक्ताओं को जागरूक करना, उन्हें उनके अधिकार बताना न कि बम्पर ड्रॉ निकालना.

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