यहां बुधवार को 'माइनिंग टाइकून' और कर्नाटक के पूर्व मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी की पुत्री ब्रह्माणी की शादी का समारोह आयोजित किया गया था. इस समारोह से जुड़ी जानकारी सभी अख़बारों की सुर्खियों में हैं - 50,000 मेहमान, 3,000 सुरक्षाकर्मी और बाउंसर, 30 एकड़ में फैला समारोह स्थल, जिसमें बॉलीवुड स्टाइल के कई सेट बने हुए थे...
लेकिन चलिए, हाथियों के पास वापस चलते हैं... पशुप्रेमी होने के नाते मुझे पीड़ा होती है, जब मैं किसी जानवर को तकलीफ में देखती हूं, सो, मैं करीब गई... वे हाथी असली नहीं थे... पृष्ठभूमि में मौजूद हम्पी के विजयनगर मंदिर की ही तरह हाथी भी वहां रचे गए 'मायाजाल' का हिस्सा थे... उनके भीतर मोटर लगी हुई थी, जो उन्हें हिलाती रहती थी... वहां के प्रभारी ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उन हाथियों के लिए कितनी रकम किराये के तौर पर अदा की गई है - लेकिन अन्य जगहों पर उन्हें 70,000 रुपये प्रतिदिन के किराये की एवज़ में भेजा जाता है... लोग वहां हाथियों के साथ सेल्फी लेने के लिए उमड़े पड़ रहे थे... कुछ ने तो हाथी को पैसे देने की भी कोशिश की, जैसा आमतौर पर मंदिरों में किया जाता है...
इस शादी को लेकर पैसा बहुत बड़ा सवाल बन गया था - खर्च का अंदाज़ा 30 करोड़ रुपये से नीचे तो कभी गया ही नहीं था, लेकिन संसद में गुरुवार को राजनेताओं ने इसे 500 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया... यह रकम किसी का भी ध्यान खींचने के लिए काफी है, लेकिन इन दिनों तो इस रकम ने खासा ध्यान खींचा, क्योंकि 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर लगी पाबंदी के बाद नकदी के संकट की वजह से देशभर में अफरातफरी मची हुई है...
यहां का माहौल देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे खर्च के वक्त पैसों का बड़ा-सा झरना बहाया गया हो... उमड़ती भीड़ को काबू में रखने के लिए खड़े बाउंसर, जिन्हें उस वक्त खासतौर से ज़्यादा मशक्कत करनी पड़ी, जब बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा या कन्नड़ फिल्म स्टार पुनीत राजकुमार वहां पहुंचे... लेकिन वीआईपी भी बिना मशक्कत किए उस टेंट तक नहीं पहुंच पा रहे थे, जहां शादी हो रही थी... सलीके की शानदार पोशाकों में सजे युवक-युवतियां आगंतुकों के स्वागत के लिए पंक्ति बनाकर खड़े थे, और हर मेहमान को देखते ही मुस्कुराकर 'नमस्ते' कहते थे... स्टेज पर भी, जहां शादी की रस्में निभाई जा रही थीं, बाउंसर खड़े किए गए थे, जो उन लोगों को दूर रखने की लगातार कोशिश कर रहे थे, जो वीआईपी नहीं थे, हालांकि वे हर बार कामयाब नहीं हो पा रहे थे... एक से ज़्यादा बार काले रंग की पोशाकों में सजे बाउंसरों की उत्सुक आगंतुकों से हाथापाई होते भी देखी गई...
मंडप के ठीक पीछे तिरुपति मंदिर के बालाजी की मूर्ति की नकल को स्थापित किया गया था... कुछ साल पहले, गैरकानूनी ढंग से लौहअयस्क के खनन में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए जाने से पहले, जनार्दन रेड्डी ने तिरुपति में 45 करोड़ रुपये का हीरों-जड़ा मुकुट भेंट किया था...
आम शादियों में एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो पंडित हुआ करते हैं, लेकिन यहां दर्जनों पंडित थे, जो वर और वधू के आसपास दिखाई दे रहे थे... मंडप और टेंट की सजावट में जितने फूल इस्तेमाल किए गए, वे किसी भी आम शादी की तुलना में बेहद ज़्यादा थे...
डायनिंग हॉल पर एक नज़र... सैकड़ों मेहमानों को बिठाने और केले के पत्तों पर भोजन परोसने की व्यवस्था... भीड़भाड़ यहां भी कम नहीं थी... मेहमान बैठे खा रहे थे, और अगली बार में बैठने वाले उनकी कुर्सियों के ठीक पीछे उन्हीं पर झुककर खड़े इंतज़ार कर रहे थे, ताकि उनका भोजन खत्म हो, तो वे उनकी जगह ले सकें... भोज में परोसे गए व्यंजनों में सारे देश के भोजन शामिल थे - और उनके अतिरिक्त थे बास्किन रॉबिन्स के स्टॉल...
टेंट से महल की दूरी कुछ सौ मीटर थी... बाहर निकलने के लिए कार में बैठकर गेट तक पहुंचने में आधा घंटा लग गया, क्योंकि गाड़ियां ही इतनी जमा हो गई थीं...
...और हाथी अंत तक सूंड हिला-हिलाकर शादी को शाही रूप देते रहे थे...
माया शर्मा बेंगलुरू में NDTV की रेंज़िडेंट एडिटर हैं...
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