उरी हमले के पहले से ही भारत सरकार की ओर से पाक को संदेश दे दिया गया था. पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को समर्थन दिए जाने और भारत के खिलाफ काम करने के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री ने पाक को अलग-थलग करने की वकालत की थी. पाकिस्तान के खिलाफ प्रधानमंत्री का यह कड़ा संदेश गोवा में 15 और 16 अक्टूबर को हुई ब्रिक्स और बिमस्टेक मीटिंग में सुर्खियां बना. प्रिंट और टीवी, दोनों के पत्रकारों के साथ चर्चा में राजनयिकों ने आतंकवाद पर फोकस करते हुए तत्परता से दोषारोपण किया. यह फोकस गोवा के अंतिम घोषणापत्र में पाकिस्तान के नाम के उल्लेख में भारत की नाकामी और 'सुरक्षित ठिकाना' और 'सीमा पार आतंकवाद' जैसे विशेषणों का उल्लेख मात्र ही बनकर रह गया.
लेकिन यह दोषारोपण 'बनावटी' ही प्रतीत हुआ. गोवा में 16 अक्टूबर की सुबह के सत्र में जैसे ही नेता मिले, सरकार की ओर से जो पहला संदेश सार्वजनिक किया गया, वह था विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का ट्वीट. इसमें पीएम मोदी को भारत के पड़ोस को आतंकवाद की जननी (मदरशिप) बताते हुए उद्धृत किया गया. प्रधानमंत्री के विभिन्न बयानों की ही तरह इस सख्त भाषा ने दिन का एजेंडा तय करते हुए इस बात का संकेत दे दिया कि आतंकवाद किसी अन्य एजेंडे की तुलना में प्राथमिकता में सबसे ऊपर है. प्रधानमंत्री के बयानों में राज्य प्रायोजित आतंकवाद और भारत को अपने पड़ोसी से उत्पन्न खतरे का जिक्र था. ब्रिक्स समिति के समापन पर उनका बयान विशेष रूप से जोरदार था. पीएम ने कहा कि सभी नेता इस बात पर सहमत हैं कि आतंकी समूह को शरण देने वाले राज्य (राष्ट्र) समान रूप से दोषी हैं.
ब्रिक्स सम्मेलन के खत्म होने के तुरंत बाद, ब्रिक्स के नेताओं और बिमस्टेक (द वे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) का गठन करने वाले बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, नेपाल और थाइलैंड के नेताओं के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर आतंकवाद पर अपनी बातचीत को दोहराया. ब्रिक्स और बिमस्टेक नेताओं की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत यह कहकर की, 'डेढ़ अरब लोग और 25 खरब यूएस डॉलर की जीडीपी वाले बिमस्टेक के देशों ने विकास, वाणिज्य और तकनीक को लेकर अपनी आकांक्षाएं साझा की हैं.' बातचीत के विषय को बदलते हुए पीएम मोदी जल्द ही पाकिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे पर आ गए. उन्होंने वहां एकत्र हुए 10 नेताओं से कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सभी देश, सिवाय एक को छोड़कर, शांति विकास और आर्थिक समृद्धि की जरूरत पर एकमत हैं. आतंकवाद को इस देश की 'पसंदीदा संतान' बताते हुए उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से भारत के पड़ोस से लगता यह देश आतंकवाद के अंधेरे को 'समेटे' हुए है." छठी बार रविवार को पीएम मोदी ने गोवा में एकत्र हुए विश्व नेताओं से कहा कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है और ब्रिक्स और बिमस्टेक के लिए आतंकवाद के खिलाफ अपने समाज की सुरक्षा के लिहाज से व्यापक प्रतिक्रिया की जरूरत है.
यह बताना महत्वपूर्ण है कि भारत को छोड़कर, जहां आतंकवाद का खतरा पूरी दुनिया को है, पाकिस्तान से खतरा केवल भारत को है. चीन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि आतंक के मूल कारणों पर भी बात होनी चाहिए और क्षेत्रीय समस्याओं के लिए राजनीतिक समाधान तलाशे जाने चाहिए. सचिव अमर सिन्हा से जब पूछा गया कि गोवा घोषणापत्र में आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं का जिक्र क्यों नहीं है, तो उन्होंने जवाब दिया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों के उल्लेख को लेकर सर्वसम्मति नहीं बन पाई और ब्रिक्स के दूसरे देशों को पाकिस्तान से उतना खतरा नहीं है जितना भारत को है.
उभरती हुई अर्थव्यवस्था के देशों, ब्राजील, रूस, भारत और चीन के समूह BRIC का गठन 2006 में हुआ था (दक्षिण अफ्रीका इससे 2010 में जुड़ा) और इसका प्राथमिक उद्देश्य आर्थिक विकास और आपसी व्यापार को बढ़ावा देना और वैश्विक स्तर पर बड़ी शक्ति के रूप में खुद का स्थापित करना है. ये पांच देश मिलकर दुनिया की दो तिहाई आबादी और प्राकृतिक संसाधनों को समेटे हुए हैं.
रूस के एकेतेरिनबर्ग में 2009 में हुए पहले सम्मेलन के बाद से पिछले सभी सम्मेलनों में ब्रिक्स देश का फोकस संयुक्त प्राथमिकताओं और विश्व बैंक सुधार से लेकर डेवलपमेंट बैंक की स्थापना, 200 अरब डॉलर के ब्रिक्स रिजर्व की स्थापना से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसे मुद्दों पर सर्वसम्मति पर पहुंचने तक केंद्रित रहा है. विदेश सचिव एस. जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा भी कि ब्रिक्स, देशों का ऐसा समूह है जो विकास के मुद्दों को लेकर एकजुट हैं. यह समूह राजनीतिक मुद्दों से भी दूरी बनाकर नहीं रखता. इसमें लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पिछले सम्मेलनों में एक राय तक पहुंचना शामिल है. सम्मेलन के अंत में जारी किए गए 109 पेजों के गोवा घोषणापत्र में भी ऐसे साझा लक्ष्यों का विस्तार से जिक्र है.
ब्रिक्स और बिमस्टेक देशों के दो दिन के कूटनीतिक जमावड़े में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच से अधिक बयानों में केवल पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर फोकस रहने, हस्तक्षेप और उनके भाषणों ने उन मुद्दों पर से ध्यान हटा दिया जिनमें देशों की सहमति बन सकती थी. इस कारण से क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आर्थिक शक्ति बनने, एशियाई देशों के बीच संपर्क को बेहतर बनाने और दुनिया के अन्य मुख्य देशों के साथ वैश्विक चिंताओं को साझा करने जैसे भारत की विदेश नीति के कई लक्ष्य भी इसके कारण पूरे नहीं हो सके.
(माया मीरचंदानी NDTV में विदेश मामलों की वरिष्ठ एडिटर हैं )
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This Article is From Oct 18, 2016
ब्रिक्स सम्मेलन में शायद पाकिस्तान के मुद्दे को जरूरत से ज्यादा उठा गया भारत
Maya Mirchandani
- ब्लॉग,
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Updated:अक्टूबर 18, 2016 18:58 pm IST
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Published On अक्टूबर 18, 2016 13:34 pm IST
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Last Updated On अक्टूबर 18, 2016 18:58 pm IST
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