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This Article is From Feb 21, 2019

आधे दाम में आयात हो सकता है तो दुगनी लागत पर यूरिया का उत्पादन क्यों

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 21, 2019 23:46 pm IST
    • Published On फ़रवरी 21, 2019 23:46 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 21, 2019 23:46 pm IST

हम सब जानते हैं कि यूरिया खेती और खेत के लिए अच्छा नहीं है. इसका असर हम सबके स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. लेकिन यूरिया की दुनिया में क्या चल रहा है, हम नहीं जानते हैं. इंडियन एक्सप्रेस में खेती के पन्ने पर जी रवि प्रसाद का एक लेख देखा. जी रवि प्रसाद के परिचय में लिखा है कि वे कृषि रसायन और खाद प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं. इनका सवाल है कि भारत को आखिर कितना यूरिया चाहिए.

जितना यूरिया है वो पर्याप्त है. उसे सस्ती दरों पर किसानों के हाथ में देना न खेती के लिए ठीक है और न ही सब्सिडी के लिहाज़ से देश की अर्थव्यवस्था के लिए. साढ़े पांच रुपये प्रति किलो से भी कम दर पर किसान यूरिया पाता है, इसलिए उसका इस्तमाल करने में संकोच नहीं करता है. किसानों को यूरिया का नुकसान अच्छी तरह से पता है मगर वे कई कारणों से इसके चक्र से नहीं निकल पाते हैं.

यूरिया जब खेतों में जाता है तो मिट्टी की नमी के संपर्क में आने के बाद अमोनिया गैस बनाता है और उसे आबो-हवा में पहुंचा देता है. इससे निकलने वाला नाइट्रोजन भू-जल को प्रभावित करता है. अगर यूरिया का ज़्यादा इस्तमाल करेंगे तो हवा और पानी में नाइट्रेट का ज़हर बढ़ता है. प्रदूषित होता है. भारत ने 2015-16 में नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन अनिवार्य कर दिया. नीम का तेल अमोनिया और नाइट्रोजन बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है. यूरिया का बैग भी 50 किलो से घटाकर 45 किलो का कर दिया गया. यूरोपीय संघ ने तय किया है कि 2020 से यूरियो में यूरीज़ और नाइट्रीफिकेशन इनहिबिटर का इस्तमाल होगा. नीम की परत के अलावा.

क्या वाकई सारा यूरिया नीम कोटेड होता है? यह सवाल मन में उठता है. हम नहीं जानते कि नीम कोट करने के लिए कितनी फैक्ट्रियों में ज़रूरी तकनीकि बदलाव किए गए, उन पर कितना निवेश आया? यूरिया नीम कोटेड है या नहीं, इसकी जांच आम किसान कैसे करता है? इसका जवाब किसान ही दें जो यूरिया का इस्तमाल करते हैं.

2015-16 में यूरिया का उत्पादन 24.48 मिलियन टन हो गया था. बिक्री हुई 31.97 मिलियन टन. यह सबसे अधिक था. बिक्री ज्यादा हुई क्योंकि हम यूरिया का आयात भी करते हैं. 2016-17, 2017-18 में यूरिया के उत्पादन में आंशिक गिरावट आती है. 24.20 मिलियन और 24.02 मिलिटन टन. बिक्री में भी थोड़ी कमी आती है. आयातित यूरिया में भी कमी आती है.

जी रवि प्रसाद कहते हैं कि सरकार को यूरिया के उपभोग में कमी लाने का प्रयास तेज़ करना चाहिए मगर उसका ध्यान यूरिया का उत्पादन बढ़ाने पर है. सरकार बंद पड़ी पांच यूरिया फैक्ट्री को चालू करने जा रही है. चंबल फर्टिलाइज़र भी प्लांट लगा रहा है. अगर इन प्लांट में क्षमता के अनुसार यूरिया का उत्पादन हुआ तो भारत में यूरिया का उत्पादन 32 मिलियन टन सालाना हो जाएगा जो 2015-16 के चरम 24.48 मिलियन टन से भी ज़्यादा होगा.

जी रवि प्रसाद बताते हैं कि इसका भार भारत के खजाने पर पड़ेगा. इसके लिए उन्होंने यूरिया के उत्पादन में इस्तमाल होने वाले प्राकृतिक गैस की मात्रा और लागत का हिसाब निकाला है. इस आधार पर बताते हैं कि ज़रूरत का आधा प्राकृतिक गैस का आयात करना होता है. प्राकृतिक गैस सीमित मात्रा में है. इनका इस्तमाल यूरिया के उत्पादन में क्यों होना चाहिए.

अगर भारत यूरिया की खपत में सिर्फ 10 प्रतिशत की कमी ले आए, जो कि मुमकिन है, तो पांच साल के औसत के हिसाब से यूरिया के आयात पर ही 5,680 करोड़ की बचत हो जाएगी. नए मानक से यूरिया बनाने की लागत 6,400 करोड़ की आएगी. खपत में कमी होने से पैसा ही नहीं बचेगा बल्कि खेती और खेतों की सेहत को भी लाभ होगा.

जी रवि प्रसाद का कहना है कि अगर यूरिया 250 डालर प्रति टन के हिसाब से आयात हो सकता है तो 420 डॉलर प्रति टन उत्पादन पर खर्च करने का क्या तुक है. वैसे भी सरकार को यूरिया पर काफी सब्सिडी देनी होती है. नए प्लांट में यूरिया का उत्पादन बढ़ तो जाएगा मगर उसका निर्यात मुश्किल होगा. क्योंकि उत्पादन के लिए काफी महंगी दरों पर प्राकृतिक गैस का आयात करना पड़ेगा जिससे लागत बढ़ जाएगी. जाहिर है कोशिश होगी कि किसी तरह से भारतीय बाज़ार में ही इसकी खपत बढ़ाई जाए.

हिन्दी के अखबारों में इस तरह की बातें कहां होती हैं. हमें नहीं मालूम कि जी रवि प्रसाद की बातों का दूसरा पक्ष क्या है, फिर भी आप इसे पढ़ें. कम से कम इसी बहाने यूरिया के सवाल पर सोचना तो शुरू करेंगे. नई चीज़ मिलेगी बहस करने की.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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