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This Article is From May 23, 2018

प्लेन यात्रियों को हर्जाना मिल सकता है तो रेल यात्रियों को क्यों नहीं ?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 23, 2018 22:43 pm IST
    • Published On मई 23, 2018 22:43 pm IST
    • Last Updated On मई 23, 2018 22:43 pm IST
क्या सिर्फ हवाई यात्री ही यात्री हैं, रेल यात्री यात्री नहीं हैं. सवाल सिम्पल है कि भारत का एक हिस्सा अगर हवाई यात्रियों के अधिकार का चार्टर बनाता है तो रेल यात्रियों के लिए उसी तरह का चार्टर क्यों नहीं है. आपको दर्जनों ऐसी गाड़ियों के नाम बता सकता हूं जो 10 से 60 घंटे की देरी से चलती हैं. इनके यात्री किस मायने में हवाई यात्रियों से कम हैं. अगर हवाई यात्रियों को फ्लाइट लेट होने पर 10 से 20,000 तक का मुआवज़ा मिलना चाहिए तो रेल में सफर करने वाले यात्रियों को क्यों नहीं मिलना चाहिए. क्यों नहीं रेल यात्रियों को भी वही सुविधा मिले जो हवाई यात्रियों को दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है. 

जयंत सिन्हा नागरिक उड्डयन मंत्री हैं और पीयूष गोयल रेल मंत्री हैं. दोनों एक ही सरकार में मंत्री हैं. जब जयंत सिन्हा इतना डाइनामिक फैसला ले सकते हैं तो डाइनामिक रेल मंत्री पीयूष गोयल क्यों नहीं ले सकते हैं, वो चाहें तो पैसे की भी दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि इस वक्त वित्त मंत्री भी वहीं हैं. अब भी देर नहीं हुई है, पीयूष गोयल चाहेंगे तो रेल यात्रियों को भी हवाई यात्रियों की तरह ट्रेन लेट होने, ट्रेन कैंसल होने पर हर्जाना मिल सकता है. वैसे वित्त मंत्री पीयूष गोयल से यह भी निवेदन है कि वे एसएससी सीजीएल 2016 बैच के 3287 नौजवानों को जल्दी नियुक्ति पत्र दिलवा दें, ताकि वे सीबीडीटी जैसे विभागों में काम करे देश के लिए ज़्यादा से ज्यादा कर संग्रह कर सकें. प्लीज गोयल जी इन नौजवानों की सुन लीजिए. 3287 नौजवानों की नियुक्ति का मामला है. हम समझते हैं कि आप पर उम्मीदों को बोझ है मगर आप नहीं करेंगे तो कौन करेगा. सोमवार तक इन सभी को नियुक्ति पत्र मिल जाना चाहिए. 

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों के अधिकार के लिए चार्टर बनाया है. एयर इंडिया के अलावा सारी विमान कंपनियां प्राइवेट ही हैं. अगर ये चार्टर लागू हुआ तो घरेलू उड़ानों में जवाबदेही का नया दौर शुरू होगा. 24 घंटे पहले घरेलू उड़ानों के टिकट कैंसिल कराने पर सारा पैसा वापस वापस होगा. 24 घंटे पहले टिकट कैंसिल कराने पर पूरा का पूरा पैसा रिफंड हो जाएगा. फ्लाइट कैंसिल हुई, दूसरी फ्लाइट छूट जाए, 12 घंटे से ज़्याद की देरी पर 20,000 मुआवज़ा मिलेगा. 4 से 12 घंटे की देरी होने पर 10,000 मुआवज़ा मिलेगा.

अब आप यह न सोचें कि आंधी-तूफान या कोहरे के कारण देरी होने पर भी मिलेगा. चार्टर में प्रस्तावित है कि उन्हीं कारणों से देरी होने पर मुआवज़ा मिलेगा, जिसके लिए एयरलाइन कंपनियां ज़िम्मेदार होंगी. हवाई यात्रियों की तकलीफ हो या उन्हें कोई भी सुविधा मिलती हो तुरंत हेडलाइन बन जाती है. शायद इसका संबंध इनकी आर्थिक स्थिति से भी होगा और न्यूज़ चैनल यह मानते होंगे कि हवाई यात्रियों के समय की कीमत होती है, जिसकी रक्षा करने की ज़िम्मेदारी उनकी भी है. यदि जहाज़ टैरमैक पर एक घंटे से ज्यादा देरी से खड़ा रह गया तब यात्रियों को कंपनी की तरफ से फ्री में नाश्ता पानी मिलेगा.

हवाई यात्रियों से कोई झगड़ा नहीं है न ही उनसे ईर्ष्या है. मगर रेल यात्रियों ने सरकार का क्या बिगाड़ा है कि वे 38-38 घंटे की लेट से ट्रेन में सफर करते हैं, उन्हें कुछ नहीं मिलता है. 3 घंटे से देरी के बाद फुल किराया वापस होने का प्रावधान है. रेलवे बता दे कि कितने यात्री क्लेम करते हैं और रेलवे ने कितना किराया वापस किया है. अभी हाल ही में भागलपुर गरीब रथ पटना से दिल्ली 38 घंटे लेट पहुंची. इसके यात्रियों को कितना मुआवज़ा मिलना चाहिए. हवाई यात्रियों के चार्टर में तो 24 घंटे से ज्यादा की कल्पना भी नहीं है, मगर  रेल यात्री तो 50 50 घंटे की देरी भुगत रहे हैं. क्या इन्हें रेलवे की तरफ से फ्री में नाश्ता पानी और 10 हज़ार नहीं मिलना चाहिए. जब सरकार खुद अपने यात्रियों को यह सुविधा नहीं दे सकती है तो फिर वह विमान कंपनियों से इसकी उम्मीद क्यों करती है. और जब वह विमान कंपनियों को देने के लिए बाध्य कर सकती है तो वह खुद रेल यात्रियों को क्यों नहीं देती है.

19 मई आनंद विहार-भागलपुर गरीबरथ 29 घंटे 10 मिनट की देरी से भागलपुर पहुंची थी. 22 मई के दिन चलने वाली यही ट्रेन कैंसिल कर दी गई, यात्रियों का काफी नुकसान हुआ. हमारी रेल सीरीज के कारण स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस, पटना-कोटा एक्सप्रेस के समय में काफी सुधार हुआ है. 50 से 60 घंटे की देरी से चलने वाली पटना-कोटा एक्सप्रेस 20 और 22 मई को पटना से राइट टाइम खुली है. यात्रियों को कई बार यकीन नहीं होता है. स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस जब किसी स्टेशन पर समय पर पहुंच जाती है तो यात्री इस गाड़ी को ऐसे देखते हैं जैसे कोई सपना देख रहे हों. मगर इन गाड़ियों का अनुभव भयानक है.

अमृतसर से दरभंगा के बीच जननायक एक्सप्रेस चलती है. सारी जनरल बोगी होती है. ये ट्रेन भी खूब देरी से चलती है. बताइये क्या रेलवे इनमें सवार मजदूरों को फ्री में नाश्ता पानी देगी. 23 मई को अमृतसर से दरभंगा वाली ट्रेन 11 घंटे से ज्यादा की देरी से चल रही है. 22 मई की ट्रेन 23 मई को 22 घंटा 30 मिनट की देरी से दरभंगा पहुंची है. पटना स्टेशन पर हबीब ने कुछ यात्रियों से इस सवाल पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने भी यही कहा कि यात्री तो रेल के भी हैं, लेट होने पर उन्हें भी मुआवाज़ा मिले.

रवि प्रजापति ने हमें ईमेल से अपनी लगाई हुई एक आरटीआई की कॉपी मेल की है. इस पर 6 मार्च 2018 की तारीख लिखी है. इसमें रवि ने पूछा था कि 2017-18 के कैलेंडर ईयर में ट्रेन 12367 और 12368 आनंद-विहार भागलपुर विक्रमशिला एक्सप्रेस कितनी बार अपनी मंज़िल पर समय से पहुंची, तो जवाब मिलता है कि ट्रेन नंबर 22367 विक्रमशिला एक्सप्रेस आनंद-विहार टर्मिनल पर 2017-18 में मात्र 6 बार समय पर पहुंची है. ट्रेन नंबर 12368 अपनी मंज़िल भागलुपर सिर्फ एक बार राइट टाइम पहुंची है. 

यह ट्रेन 32-32 घंटे तक लेट चली है. सोचिए इस ट्रेन के यात्रियों को मुआवजा मिले तो कितना अच्छा रहेगा. हर अधिकार एक समान का नारा होना चाहिए. जो हवाई यात्री को मिले वही रेल यात्री को मिले. लेट होने की समस्या भारतीय रेल में ज्यादा है. पटना के एक अनुभवी ट्रैवल एजेंट अनिल ने बताया कि एक रेलगाड़ी जिसके रवाना होने का समय सुबह 10 बजे का है. अब इसका चार्ट राइट टाइम के चार घंटा पहले बन जाएगा. मान लीजिए ट्रेन 20 घंटे लेट हो गई. आप चाहेंगे कि ट्रेन का टिकट कैंसल करा लें. तो आप सुबह 10 बजे के आधा घंटा पहले ही कैंसिल करा सकते हैं. यानी ओरिजिनल टाइम के आधा घंटा पहले. उसके बाद कैंसल नहीं करा सकते हैं. फिर भी आपको पता चल जाता है कि ट्रेन सुबह 10 बजे नहीं खुलेगी और आप कैंसिल कराना चाहते हैं तो ट्रेन डिपाजिटरी रिसिप्ट टीडीआर के जरिए पैसा वापस मिलता है.

एजेंट कहते हैं कि बहुत कम लोगों का पैसा वापस आता है और वो भी कभी समय पर नहीं आता. कई महीने बाद आता है. रेलवे इस मामले में अपनी स्थिति और स्पष्ट कर सकती है. अगर ऐसा है तो वाकई दुखद है. ट्रेन लेट भी चले और कैंसिल होने का विकल्प भी न रहे यह अच्छी बात नहीं है. हमने 23 मई की दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर Railradar.railyatri.in पर चेक किया, तो उस वक्त 70 प्रतिशत रेलगाड़ियां लेट थीं और 30 फीसदी समय से चल रही थीं. ये रोज़ का हाल है. 

अब हम सूचना और प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का एक वीडियो दिखाना चाहते हैं. सेना और खिलाड़ी पृष्ठभूमि से होने के कारण वह हमेशा फिट ही दिखते रहे हैं. यह अच्छी बात है. पहले आप वीडियो देखिए सूचना प्रसारण मंत्री से चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माई क्लिन इंडिया हैशटैग नाम से चैलेंज दिया था. वे ट्विटर पर नौ लोगों को टैग करते थे, आगे वे नौ लोग भी किसी नौ को टैग कर देते थे. उन्होंने इसकी शुरुआत
2 अक्तूबर 2014 के दिन की थी. साल में 9 को दिया था. सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा, कमल हासन, मृदुला सिन्हा, रामदेव, तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम को चैलेंज किया था. इसके बाद कई लोग देखा देखी चैलेंज करने लगे. कुछ तस्वीरें विवादित भी हो गई मगर उस वक्त लोगों ने साफ सफाई की तस्वीरें खिंचा कर ट्वीट भी कर दिया.

भारत में इसकी शुरुआत भारतीय रेल में हुई. जब कोई पोस्टकार्ड में यह लिखकर छोड़ जाता था कि इतने लोगों को नहीं पहुंचाने पर देवी का कोपभाजन होना पड़ेगा. ये इसी पैटर्न पर शुरू हुआ था. खैर प्रधानमंत्री का यह चैलेंज अब ठंडा पड़ा चुका है. उस समय जो लोग ब्रांड अंबेसडर बने थे, उनमें से कई अब इस मामले में कम ही सक्रिय होंगे. राठौड़ साहब ऋतिक रौशन, विराट कोहली और सायना नेहवाल को चैलेंज दिया कि हम फिट तो इंडिया फिट. ये तीनों पहले ही फिट हैं मगर राठौड़ चाहते हैं कि ये सभी अपने फिटनेस के वीडियो और पिक्चर करें और अपने फैन्स को फिट रहने की चुनौती दें. इनके फिटनेस की कहानी पत्रिकाओं में छपती ही रहती है, इनसे इंटरव्यू में पत्रकार यही सब पूछते रहते हैं, इसलिए जो फैन होगा उन्हें पता भी होगा. 

फिट होना ज़रूरी है. भारत सरकार ने योग के प्रचार प्रसार पर काफी खर्च किया, फिर भी राज्यवर्धन राठौड़ को अपने मंत्रालय का मूल काम छोड़कर फिटनेस का चैलेंज देना पड़ा है, इसकी वजह वही जानते होंगे. बेहतर होता कि वे अपने सहयोगियों को ये चैलेंज देते न कि जो पहले से फिट हैं उन्हें. कई सांसदों और मंत्रियों और मुझे भी फिटनेस की सख्त ज़रूरत है. कुछ मंत्री और सांसद फिटनेस का ख्याल भी रखते हैं. मगर इसकी एक आलोचना है. दुनिया भर में इसकी आलोचना की जाती है. फिटनेस को लेकर एक खास तरह से दिखने का जो दबाव लड़का या लड़की पर बनता है, उसे दूसरी तरह से बीमार ही करता है. आप इसके चक्कर में खाना पीना छोड़ देते हैं. टीवी में जैसा मॉडल दिखता है वैसा ही बनना चाहते हैं. लगते है उसी की नकल करने. उम्मीद है आप दर्शक इसके खतरे को समझेंगे और मंत्री जी का भी ये मकसद नहीं रहा होगा. 

मंत्री जी का फिटनेस नया नहीं है, इसलिए प्रभावित होने की बात नहीं है. हां कोई ऐसा हो जो 90 किलो से 60 किलो पर आ जाए और योग से लेकर जिम का प्रचार करे तो बात भी बने. मगर मैंने इसे एक खास मकसद से दिखाया है. अगर सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ अपने फिटनेस में इतना यकीन रखते हैं तो उन्हें सिस्टम के भी फिटनेस पर भी ध्यान देना चाहिए. एसएससी सीएचएसएल 2015 की परीक्षा का रिजल्ट अग्सत 2017 में आ गया था. हमारी नौकरी सीरीज के कारण बहुत से विभागों में कई हजार छात्रों को नियुक्ति पत्र मिला. उस दौरान हमने फिल्म डिविज़न के 29 छात्रों का मामला भी उठाया. उम्मीद थी कि इन्हें नियुक्ति पत्र मिल जाएगा मगर आज तक नहीं मिला है. यही नहीं डायरेक्टोरेट आफ फिल्ड पब्लिसिटी में भी 12 नौजवान नियुक्ति पत्र का इंतज़ार कर रहे हैं. अगर मंत्री जी अपने सुपर फिटनेस का इस्तमाल करते हुए इन दो विभागों की खबर ले लें तो 41 नौजवानों के घर में खुशियां आ जाएंगी. मंत्री भी फिट रहें और मंत्रालय भी फिट रहे ये नारा होना चाहिए. 

मंत्रियों का मूल काम है वो सबसे पहले होना चाहिए. अब आप देखिए 3287 नौजवान आयकर विभाग के लिए चुने गए हैं. तीन हज़ार से ज्यादा की संख्या होने के बाद भी ये दस महीने से नियुक्ति पत्र का इंतज़ार कर रहे हैं. एक तो इम्तहान देने में दो दो साल लग जाते हैं, दूसरा पास होने के बाद अगर दस महीने का इंतज़ार करना होगा तो उन पर क्या बीतेगी. क्या पीयूष गोयल उनकी चिन्ता दूर नहीं कर सकते. ये कैसा भारत है जिसे फिट बनाने के लिए मंत्री पुशअप कर रहे हैं वीडियो बनाकर ट्वीट कर रहे हैं. और उसी भारत के नौजवानों के गाल आंत बाहें सब सूख के ककड़ी हो गई हैं कि कब सरकार नियुक्ति पत्र देगी.

इस बीच महाराष्ट्र के परभणी में एक लीटर पेट्रोल 86 रुपये 68 पैसे हो गया है. कई लोग विपक्ष को दोष दे रहे हैं कि वह मुद्दा नहीं उठा रहा है. अगर आप विपक्ष को इतना ही मिस कर रहे हैं तो हम आपको प्रकाश जावड़ेकर का एक पुराना बयान दिखाते हैं. जो सोशल मीडिया पर खूब चल रहा है. यह बयान उन्होंने विपक्ष में रहते हुए दिया था. क्या अच्छा होता. प्रकाश जी आज भी विपक्ष में होते तो वो अच्छा होता या फिर प्रकाश जी मानव संसाधन की जगह वित्त मंत्री होते, वो अच्छा होता. कितने आत्मविश्वास से कह रहे हैं कि सरकार चाहे तो मुंबई में 36 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल मिल सकता है, दिल्ली में 34 रुपये प्रति लीटर मिल सकता है. तभी आप लोग विपक्ष को मिस कर रहे हैं, सरकार को नहीं. उस वक्त प्रकाश जी ने एक्साइज़ ड्यूटी की तुलना जजिया कर से की थी. कम से उन्हें इस जजिया कर को समाप्त करवा देना चाहिए था. उन्हें बताना चाहिए कि यूपीए ने जो जजिया लगाया था वो एनडीए में क्यों चल रहा है.

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