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This Article is From Jul 15, 2018

मैं ट्रोल हूं

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 15, 2018 11:40 am IST
    • Published On जुलाई 15, 2018 11:40 am IST
    • Last Updated On जुलाई 15, 2018 11:40 am IST
मेहरौली में अतिक्रमण हटाने की खबर के दौरान अचानक पीछे से अवाज आई रवीश जी क्या हाल है?  मैं घूमा तो तीन लड़के खड़े थे उन्हीं में से एक ने पुकारा था. मैंने सोचा कि एनडीटीवी के दर्शक होंगे इसलिए मुझे पहचान गए हैं, लेकिन चश्मा लगा रखे एक दरम्याने कद के लड़के ने आगे बढ़कर मेरी ओर हाथ बढ़ाते कहा आपने मुझे पहचाना? मैंने कहा नहीं. वह बोला मैं आपका ट्रोल हूं. मैं कुछ क्षण के लिए ठिठका. फिर दूसरा लड़का बोला पोंगापंथी बाबा के नाम से हम आप लोगों का ट्रोल करते हैं. तीसरा लड़का बोला मैं ट्विटर पर आपको फॉलो भी करता हूं. ये कहकर तीनों हंस पड़े. मैंने कहा बड़ा संगठित काम है ट्रोल का. चश्मा लगा रखे लड़के से अब मैं थोड़ा दोस्ताना हो चुका था. मैंने पूछा यहां कैसे. वो बोला सड़क किनारे नर्सरी हटाई जा रही है इसीलिए आफिस के लिए सस्ते गमले लेने चला आया था. बातों ही बातों में उसने मुझे बताया कि आपके चैनल के अनिंद्यो चक्रवर्ती, निधि राजदान जैसे एंकर्स ने उसे ब्लॉक कर रखा है, लेकिन सख्ती से बोला कुछ बातें पसंद नहीं आएंगी तो ट्विटर पर हम फाड़ेंगे ही.

मैंने बात बदलते हुए पूछा कि क्या तीनों एक दफ्तर में काम करते हो. वो बोला हमारा दफ्तर है वहां कई तरह के स्टार्टअप प्रोजेक्ट पर काम होता है. वहीं बैठकर ट्रोलिंग भी करते हैं. हमारे पास ताकतवर पैरोडी एकाउंट और फर्जी नाम वाले कई ट्विटर हैंडलर्स है जो चुटकियों में किसी की भी रातों की नींद हराम कर सकते हैं. वह बोला कभी आइये हमारे आफिस. पास में ही है. बातों ही बातों में फोन नंबर लिया और सोचने लगा कि ट्रोलिंग का कारोबार कितना संगठित है. बात आई गई हो गई लेकिन कुछ दिनों बाद जब मैंने इस पर खबर करने की सोची तो फिर मैंने फोन किया. एमबीए पास इन ट्रोल साहब का नाम किशन है. मैंने किशन से उनके दफ्तर में आने की इजाजत मांगी लेकिन उसके दोस्तों ने एनडीटीवी से बात करने से मना कर दिया. हालांकि किशन राजी हुए और उन्होंने बेबाकी से कहा कि बात खराब लगती है तो ट्रोल करते हैं, लेकिन ट्रोल का कितना संगठित कितना पेशेवर और कितना पैसे वाला कारोबार है ये मुझे विपिन कुमार ने बताया.

सोशल मीडिया को मैनेज करने वाली एक कंपनी के मालिक विपिन ने अपने क्लाइंट्स की एक लंबी फेहरिस्त दिखाई जिनको ट्विटर से लेकर गूगल तक पर बदनाम करके या तो उनके व्यक्तिगत छवि को धूमिल किया जा रहा है या कंपनी के शेयर और प्रतिष्ठा खराब की जा रही है. ये काम दुनिया के अलग अलग हिस्सों में होता है. विपिन ने बताया कि उनका एक क्लाइंट मॉरिशस का है. कंपनी के मालिक के खिलाफ दस साल पहले एक आर्थिक अपराध का मामला दर्ज हुआ था जिसमें वो बरी हुए थे, लेकिन अब उनकी प्रतिस्पर्धी कंपनियां आर्थिक अपराध के पुराने मामले को ट्विटर से लेकर गूगल तक पर प्रसारित करवा रही हैं. जिससे उनको निवेशक नहीं मिल रहे हैं.  ऐसी डिजिटल लड़ाईयां सोशल मीडिया पर एक कंपनी की दूसरी कंपनी और एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति से चला करती है. डिजिटल दुश्मनी कईयों के लिए काफी मंहगी साबित हो रही है. ट्रोलिंग की खबर के दौरान मेरी मुलाकात विवेक झा से हुई. जामिया से मॉस कॉम की पढ़ाई, मंहगे नाइकी जूते और स्टाइलिश कपड़ों में जनाब आधा घंटा इंतजार करवा कर मिले.  विवेक दर्जनभर बड़े नेताओं और कारोबारियों के लिए हिन्दी में ट्विट लिखते हैं. नेताओं की ओर से शब्दों के तीर यही चलाते हैं वो भी बिना घायलों की चिंता किए बगैर. यानी डिजीटल दुनिया के सुपारी किलर. 

विवेक बताते हैं कि पत्रकार बंधा रहता है. इसीलिए मॉसकॉम करने के बावजूद पत्रकारिता नहीं की. अब बेखौफ अंदाज में सोशल मीडिया पर लिखता हूं. ट्विटर पर पाखंडी बाबा, बेबाक पत्रकार से भी मैं मिला.  पाखंडी बाबा के रुप में मिथिलेश से मुलाकात हुई IIT दिल्ली से बीटेक पास करीब पचास साल के मिथलेश पहले बाबा के पाखंड उजागर करते थे, लेकिन बाद में बाबा के प्रोफेशनल ट्रोल से इतनी गालियां पड़ी़ है कि खुद ही नर्वस हो गए हैं. ट्विटर पर बेबाक पत्रकार भी हैं. बारहवीं पास दिनेश कुमार की जब पत्रकार बनने की इच्छा नहीं पूरी हुई तो वह रवीश कुमार की फोटो लगाकर ट्विटर के बेबाक पत्रकार बन बैठे हैं. अब ट्विटर पर उनके साथ करीब दो लाख फॉलोअर्स की एक भारी भरकम फौज मौजूद है. उनका दावा है कि बीजेपी से लेकर आम आदमी पार्टी तक के पास उनके बेबाक सवालों का जवाब नहीं होता है.  ट्विटर ने अब एक करोड़ फर्जी एड्रेस से चलाए जा रहे एकाउंट को बंद करने का फैसला किया है, लेकिन संगठित और पेशेवर बुनियाद पर आज ट्रोलर्स का करोड़ों खड़ा है इसे धाराशाही करना आसान नहीं है. 


रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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