हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. इसमें कहा गया है कि देश में धार्मिक जगहों की यात्रा में अचानक तेजी आई है. सवाल है कि आखिर धार्मिक पर्यटन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने की वजह क्या है? कौन-कौन से फैक्टर इसमें तेजी लाने में बड़ा रोल अदा कर रहे हैं?
क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट 'मेकमाईट्रिप' की ओर से जारी की गई है. 'इंडिया ट्रैवल ट्रेंड्स रिपोर्ट' में कहा गया है कि भारत के लोग तेजी से आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा कर रहे हैं. पिछले दो साल में आध्यात्मिक जगहों के लिए सर्च लगभग दोगुनी हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 की तुलना में 2023 में अयोध्या के लिए सर्च में 585 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसी तरह, उज्जैन के लिए सर्च में 359 फीसदी और बद्रीनाथ के लिए सर्च में 343 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. दिल्ली से सर्च की जाने वाली जगहों में ऋषिकेश, अमृतसर ऊपर हैं.
देश में नया क्या बना?
सर्च में अयोध्या, उज्जैन टॉप पर देखकर एक बड़ी आबादी के बार में अनुमान लगाना आसान हो जाता है. लोग धर्म-संस्कृति के गौरव और इसमें जुड़ते जा रहे नए-नए अध्यायों को जी भरकर जीना चाह रहे हैं. देश में हाल के बरस में धर्म और अध्यात्म के नजरिए से काफी-कुछ बदला है.
लंबे अरसे बाद अयोध्या में अद्भुत राम-मंदिर का बनना, फिर भव्य समारोह में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा ने सबको चकित कर दिया. घंटे-घड़ियाल की गूंज और शंखनाद के बीच कई-कई घंटों तक इसका लाइव टेलीकास्ट हुआ. इसके बाद अथाह भीड़ उमड़ने लगी. दरअसल, नया राम मंदिर बनना अयोध्या ही नहीं, बल्कि इस देश की बड़ी ऐतिहासिक घटना है, जिसके सभी गवाह बनने को आतुर हैं. अगर कुछ शहरों से सीधे अयोध्या के लिए वंदे भारत या इस जैसी ट्रेनें चलाई जा रही हैं, तो यह अकारण नहीं है.
उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग श्रद्धालुओं के हृदय में पहले से रचा-बसा था, लेकिन अब यहां पर्यटकों के देखने लायक काफी-कुछ नया है. महाकाल कॉरिडोर में भगवान शिव से जुड़े अनेक प्रसंगों को बेहद खूबसूरती से उकेरा गया है. लोगों के बीच इसका आकर्षण स्वाभाविक ही है.
अयोध्या, उज्जैन तो सिर्फ उदाहरण हैं. इस कड़ी में अब तक अनेक जगहों के नाम या तो जुड़ चुके हैं या निकट भविष्य में जुड़ने वाले हैं.
बाकी दुनिया का हाल
देश से बाहर, हजारों किलोमीटर दूर क्या चल रहा है, इसकी झलक भी देखी जानी चाहिए. अयोध्या के ठीक बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबू धाबी में एक भव्य हिंदू मंदिर का उद्घाटन हुआ. यह भारत और UAE के बीच सद्भाव के प्रतीक के तौर पर बना है. खाड़ी देशों का सबसे बड़ा मंदिर. इसे पूरी तरह भारत के प्राचीन शिल्प और स्थापत्य-कला के अनुसार बनाया गया है. यह कमाल नहीं, तो और क्या है!
पिछले साल अक्टूबर में ही अमेरिका के न्यू जर्सी में भव्य अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन हुआ. यह भारत के बाहर, आज के दौर में बना दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है. इसमें करीब 10,000 मूर्तियां स्थापित हैं. यहां भी खूब भीड़ उमड़ रही है.
ऐसा लगता है कि बदलते दौर में मंदिरों के स्वर्णकाल की वापसी हो रही है. देश-दुनिया के लोग भारतीय कला-संस्कृति, खासकर हिंदू धर्म को करीब से जानने को बेताब हैं. देश के बाहर से आने वाली अध्यात्म जगत की खबरें भी धार्मिक पर्यटन बढ़ाने में कैटलिस्ट का काम कर रही हैं.
अब आगे क्या?
धार्मिक पर्यटन का ग्राफ आगे और ऊपर चढ़ना तय है. अयोध्या के राम मंदिर का बचा हुआ काम इस साल के अंत तक पूरा किया जाना है. उसके बाद पर्यटकों की भीड़ अचानक और बढ़ जाएगी. वैसे अगले साल आकर्षण का एक और बड़ा केंद्र होगा बिहार के पूर्वी चंपारण के कैथवलिया में बन रहा 'विराट रामायण मंदिर'. यह दुनिया का सबसे बड़ा राम मंदिर होगा. इसे कंबोडिया के 12वीं सदी के अंगकोरवाट मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है. इसके परिसर में 22 मंदिर होंगे. मंदिर का निर्माण 2025 के अंत तक पूरा किया जाना है. यह अयोध्या-जनकपुर राम-जानकी मार्ग में बन रहा है. आगे बहुत-कुछ नया मिलने वाला है.
विकास के नए रास्ते
धार्मिक पर्यटन में उछाल के पीछे सरकार की योजनाओं का भी बड़ा रोल है. देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के सर्किट बनाए गए हैं, जिन पर काम चल रहा है. सर्किट में सभी धर्मों से जुड़े स्थलों को जगह दी गई है, क्योंकि इस सेगमेंट में विदेशी सैलानियों की भी अच्छी-खासी भागीदारी है. यहां की पावन धरती भगवान राम के साथ-साथ बुद्ध-महावीर जैसे महात्माओं के कारण भी दुनिया के लिए पूजनीय है.
धार्मिक पर्यटन और विकास कैसे एक-दूसरे से जुड़े हैं, रामायण सर्किट इसका एक अच्छा उदाहरण है. इस योजना में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने नौ राज्यों की 15 ऐसी जगहों की पहचान की है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से जुड़े हैं. योजना के तहत इन सभी जगहों को सड़क, रेल और हवाई मार्ग के जरिए आपस में जोड़ा जा रहा है. इसमें पड़ोसी देश नेपाल को भी जोड़ने पर बात चल रही है. सभी जगहों पर नामी-गिरामी चेन वाले बड़े-बड़े होटल, मॉल, बाजार खुलेंगे, सो अलग. जब पर्यटकों को हर तरह की सुविधाएं मिलेंगी, तो वे इस सर्किट पर स्वाभाविक रूप से खिंचे हुए चले आएंगे.
रोजगार और रोकड़ा
धर्म सदियों से देश की संस्कृति में रचा-बसा रहा है. यह मानी हुई बात है कि आज धार्मिक पर्यटन या धर्म से जुड़ी अन्य गतिविधियों में देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की भरपूर ताकत है. यही वजह है कि सरकारें भी पर्यटकों को हर तरह की सुविधा मुहैया कराने को आतुर हैं.
ग्लोबल टेक्नोलॉजी व डिजिटल टैलेंट सॉल्यूशन मुहैया कराने वाली फर्म NLB Services ने हाल ही में धार्मिक पर्यटन को लेकर कुछ आंकड़े जारी किए हैं. इसके मुताबिक, समूचे घरेलू पर्यटन में धार्मिक पर्यटन की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है. इसकी रिपोर्ट में देश में धार्मिक पर्यटन से अगले 4-5 साल में दो लाख रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद जताई गई है. साथ ही अनुमान लगाया गया है कि धार्मिक पर्यटन से साल 2028 तक करीब 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व आएगा. यानी इस क्षेत्र में वह सब कुछ है, जिससे यह नई बुलंदियां छू सके.
अमरेश सौरभ वरिष्ठ पत्रकार हैं... 'अमर उजाला', 'आज तक', 'क्विंट हिन्दी' और 'द लल्लनटॉप' में कार्यरत रहे हैं...
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