दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशानूसार इस टेस्ट मैच को कराने की जिम्मेदारी रिटायर्ड जज जस्टिस मुकुल मुद्गल के जिम्मे है और इसका असर टेस्ट मैच पर साफ देखा जा रहा है। जस्टिस मुद्गल ने इस टेस्ट मैच में स्कूल के बच्चों की फ्री एन्ट्री का आदेश दिया है। खासकर सरकारी स्कूलों को जिनके छात्र शायद कोटला की मंहगी टिकटें न खरीद सकें।
(रिटायर्ड जज जस्टिस मुकुल मुद्गल)
गेट से लेकर स्टैंड्स तक, स्कूल के बच्चों ने इस टेस्ट को जिंदा कर दिया। इनकी न केवल एन्ट्री फ्री थी, बल्कि खाने पीने की भी व्यवस्था की गई थी। हर रोज़ दिल्ली के अलग अलग स्कूलों के बच्चे इस अनोखे अनुभव को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे। एक वक्त था जब दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में होने वाले मैच सिर्फ़ एलीट क्लब के कुछ लोगों के लिए ही होते थे।
कुछ ऐसे स्टैंड्स थे जिनके पास कभी बिकते भी नहीं थे। वो केवल दिल्ली के रसूखदारों को बतौर 'गिफ्ट' दिए जाते थे। लेकिन आज स्टेडिय में सबसे अच्छी सीट के लिए आपको बस रु।800 ही खर्च करने होंगे। ये तो रही बात थोडे संपन्न क्रिकेट फैंस की। लेकिन इस टेस्ट मैच के लिए रु। 20, रु। 50 और रु। 100 की भी टिकटें उपलब्ध हैं जिनकी वजह से कई लोग आज दिल्ली के टेस्ट मैच का हिस्सा बन रहे हैं।
बात सिर्फ़ टिकटों की ही नहीं, बल्की खाने-पीने और साफ़-सफ़ाई के टेंडर भी जस्टिस मुकुल मुद्गल के देखरेख में दिए गए और हैरानी की बात नहीं सब कुछ पिछले मूल्यों से आधे पर गए। यानी शायद पहली बार शायद ऐसा होगा कि दिल्ली में होने वाला टेस्ट मैच डीडीसीए को नफा करा जाए।
जब लोगों ने इंटरनेट पर टिकट न मिलने की शिकायत की तो जस्टिस मुद्गल ने उस वेबसाइट को बुलाया जो टिकट बेच रही थी। सवाल किया गया कि आखिर कैसे मैदान पर सीटें खाली हैं और वेबसाइट पर टिकट उपलब्ध नहीं हैं। वेबसाइट को अपनी गलती माननी पड़ी। इतना ही नहीं पूरे मैच का जिम्मा जस्टिस मुद्गल के हाथों में है और उन्होंने अपनी टिकट भी खुद पैसे देकर खरीदी।
पहली बार दिल्ली में होने वाले टेस्ट मैच में दिल्ली का आम आदमी इस कदर मज़ा उठा रहा है। मेरे लिए मैच का मज़ा किरकिरा कर दिया द. अफ्रीका की बहद खराब बल्लेबाजी ने। सवाल ये भी है कि एक इंसान एक टेस्ट मैच में इतना बदलाव कर सकता है तो आखिर पूरी डीडीसीए क्यों नहीं कर पाती? शायद सवाल नीयत का है।
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