विज्ञापन
This Article is From Dec 11, 2014

उमाशंकर की कलम से : 'हे राम' ये क्या कह डाला… गोडसे देशभक्त थे!

Umashankar Singh, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    दिसंबर 11, 2014 18:45 pm IST
    • Published On दिसंबर 11, 2014 18:38 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 11, 2014 18:45 pm IST

“बीजेपी की सरकार हर समय गांधी गांधी करती है। टीवी के विज्ञापनों में गांधी की तस्वीर लगाती है। स्वच्छता अभियान में बापू का चश्मा दिखाती है। लेकिन उसकी सोच वही है जो साक्षी महाराज ने कहा है...” ये आरोप लगाया कांग्रेसी सांसद पीएल पूनिया ने।

असल में कांग्रेस सुबह से ही सरकार को गोडसे के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसे इच्छित क़ामयाबी नहीं मिल पा रही थी। साक्षी महाराज ने जब संसद में पत्रकारों से बात करते हुए कह डाला कि गोडसे देशभक्त थे, फिर तो हवा बन गई। कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष सरकार पर उलट पड़ा। संसद के बाहर और भीतर सरकार पर हमला तेज़ हो गया।

फिर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू को संसद में बयान देना पड़ा कि इस तरह के किसी व्यक्ति के महिमामंडन का सवाल ही नहीं। लेकिन कांग्रेस इससे संतुष्ट नहीं हुई है। मांग कर रही है कि साक्षी महाराज ने जो कहा प्रधानमंत्री उस पर अपनी स्थिति साफ करें। लेकिन इस बात की संभावना कम है क्योंकि सरकार ने अपनी तरफ से स्थिति स्पष्ट कर दी है।

इससे पहले कांग्रेस के सांसद हसन दलवई ने कुछ पर्चे और तस्वीरों के साथ राज्यसभा में ये मामला उठाया कि गोडसे को लेकर शौर्य दिवस कैसे मनाया गया। 15 नवंबर को एक अनजान संगठन ने महाराष्ट्र के पनवेल में शौर्य दिवस मनाया था।

हसन दलवई ने आरोप लगाया कि ये आरएसएस से जुड़ा संगठन है। महाराष्ट्र सरकार और मुख्यमंत्री को इस बाबत उन्होंने चिट्ठी लिख देशद्रोह का मुकद्दमा दर्ज कर समारोह में शामिल होने वालों की ग़िरफ्तारी की मांग की, लेकिन उनका कहना है कि कोई कार्रवाई नहीं हुई।

महाराष्ट्र सरकार के बचाव में शिवसेना के संजय राऊत ने कहा कि कहीं छोटी सी जगह पर कोई ऐसी बात हो गई तो इसे पूरे महाराष्ट्र से जोड़ने की ज़रूरत नहीं। राऊत ने कहा, “ऐसा शौर्य दिवस कांग्रेस के राज में भी मनाया जाता रहा, लेकिन तब कांग्रेसी चुप रहे। अब क्यों बोल रहे हैं। राऊत ने ये भी कहा कि गांधी जी की हत्या बहुत बड़ा अपराध था। वे राष्ट्रपिता थे ये हम मानते हैं। हमारे विचार अलग हो सकते हैं पर हम ये भी मानते हैं कि गोडसे के बाद एक सोच थी जो अखंड भारत की सोच थी। पाकिस्तान के खिलाफ सोच थी। भारत के विभाजन के खिलाफ की सोच थी। ये सोच हमारे समाज में आज भी है भले उसका कोई हीरो हो न हो”।

ख़ैर। अंत में यही कि संसद में गेट नंबर एक के सामने 1989 में लगी गांधी की प्रतिमा ने तमाम आती जाती सरकारों को देखा है। हर बहस और विवाद को सुना है। पर गोडसे पर दिए गए बयान को इन्होंने नहीं सुना होगा क्योंकि इनका कहना रहा है, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
नाथूराम गोडसे, बीजेपी सरकार, नरेंद्र मोदी सरकार, देशभक्त गोडसे, पीएल पूनिया, संसद, Nathuram Godse, BJP Government, Narendra Modi Government, Patriot Godse, PL Punia, Parliament, Sakshi Maharaj, साक्षी महाराज
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com