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This Article is From Feb 25, 2014

चुनाव डायरी : नरेंद्र मोदी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है 'मिशन 26'

Akhilesh Sharma
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 13:18 pm IST
    • Published On फ़रवरी 25, 2014 10:25 am IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 13:18 pm IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव 2014 के लिए 272+ के मिशन के साथ मैदान में उतरी है... यानि, खुद के बूते लोकसभा में बहुमत पाने का लक्ष्य... वैसे, उल्लेखनीय है कि वर्ष 1984 के बाद से किसी भी एक दल को लोकसभा में कभी बहुमत नहीं मिला है, इसीलिए इस लक्ष्य को भले ही असंभव न माना जा रहा हो, बेहद कठिन तो यह है ही... अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भी बीजेपी 182 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई थी, सो, ऐसे में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने एक बेहद कठिन लक्ष्य निर्धारित किया है...

लेकिन मोदी इस बड़े लक्ष्य के साथ एक छोटे, मगर महत्वपूर्ण लक्ष्य के लिए भी काम कर रहे हैं... वह है 'मिशन 26', यानि उनके राज्य गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों को बीजेपी के खाते में डालना... अगर सितंबर, 1996 से मार्च, 1998 के बीच की अवधि को छोड़ दें, तो गुजरात में मार्च, 1995 से ही बीजेपी सत्ता में है... उत्तर भारत की पार्टी मानी जाने वाली बीजेपी के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है... मौजूदा मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी 7 अक्टूबर, 2001 से ही लगातार पद पर हैं...

वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों के बाद से नरेंद्र मोदी गुजराती अस्मिता की बात करते रहे हैं... उनका कोई भी बयान पहले पांच करोड़ गुजराती और अब छह करोड़ गुजरातियों का जिक्र किए बिना पूरा नहीं होता... अब इसी गुजराती अस्मिता को मोदी नए ढंग से परिभाषित करने में लगे हैं... यानि, किसी गुजराती का देश का प्रधानमंत्री बनना...

इसी गुजराती अस्मिता को राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ पेश किया है... वह कहते रहे हैं कि सरदार पटेल के साथ अन्याय हुआ, क्योंकि भारत के स्वतंत्र होने के बाद सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनना था, लेकिन उनकी जगह पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया गया... मोरारजी देसाई ज़रूर ऐसे गुजराती थे, जो दो साल तक प्रधानमंत्री रहे, लेकिन जनता पार्टी के अंदरूनी मतभेदों के चलते उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका नहीं मिला...

वर्ष 2007 के गुजरात विधानसभा चुनावों के वक्त बीजेपी ने आनन-फानन लालकृष्ण आडवाणी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया... इस दलील के साथ कि लोकसभा में गुजरात का प्रतिनिधित्व करने वाले एक नेता को पीएम उम्मीदवार घोषित करने से विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा होगा... हालांकि कुछ पार्टी नेता दबी जुबान में कहते हैं कि असली मकसद यह था कि कहीं वर्ष 2007 के चुनाव में जीतने के बाद नरेंद्र मोदी पीएम पद के दावेदार न हो जाएं... इसके बावजूद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में गुजरात में बीजेपी 26 में से सिर्फ 15 सीटें जीत पाई थी...

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन के हिसाब से बीजेपी 22 लोकसभा सीटें जीतने की स्थिति में है... थोड़ा और ज़ोर लगाने से बीजेपी पाटन, दाहोद और बनासकांठा सीटें भी जीतकर यह आंकड़ा 25 तक पहुंचा सकती है... पार्टी अब इन्हीं कोशिशों में लगी है... नरेंद्र मोदी से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले केशूभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी का बीजेपी में विलय हो गया है... सोमवार को ही दो और कांग्रेसी विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है... पिछले एक साल में सात कांग्रेस विधायक और एक सांसद बीजेपी में शामिल हो चुके हैं...

व्यक्तिगत तौर पर नरेंद्र मोदी के लिए यह जरूरी है कि बीजेपी गुजरात में अब तक का बेहतरीन प्रदर्शन करे... वह खुद भी गुजरात से ही लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं... संभावना है कि वह अहमदाबाद पूर्व या फिर वडोदरा से लोकसभा चुनाव लड़ें... ज़ाहिर है, नरेंद्र मोदी के लिए मिशन 272+ की ही तरह गुजरात का 'मिशन 26' भी बेहद महत्वपूर्ण है...

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