अगर आप भी मानते हैं कि राजनीति में आरोपों से मिलने वाला अपयश किसी ग्रह के कारण होता है तब आपको इस्तीफा उस ग्रह से मांगना चाहिए जिसके कारण यह सब हो रहा होता है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा में कहा कि ज़रूर मेरा कोई अपयश का ग्रह चल रहा होगा।
तभी तो मेरे साथी जो मुझे इतना स्नेह देते हैं, इतना आदर करते हैं, वो आज मेरी तीखी आलोचना कर रहे हैं। मेरा इस्तीफा मांग रहे हैं लेकिन मुझे ये भी विश्वास है कि ग्रह बहुत जल्दी टलेगा और मेरे साथियों का सदभाव लौटेगा। सुषमा जी ने उस ग्रह का नाम बता दिया होता तो कई चैनलों पर उसे शांत कराने वाले ज्योतिषियों ने मोर्चा संभाल लिया होता।
यही वो लोग हैं जो सुषमा जी से स्नेह रखते हैं मगर इन दिनों ग्रह के कारण इस्तीफा मांग रहे हैं। देखा जाए तो ये ग्रह जितना सुषमा विरोधी है उतना ही सोनिया विरोधी भी। इसके कारण सुषमा जी को अपयश मिल रहा है तो सोनिया जी की पार्टी की भी कम बदनामी नहीं हो रही है। पता लगाया जाना चाहिए ये शनिचरा है कि राहू केतु या फिर राहुल सोनिया। इस ग्रह से संसद भी परेशान है। क्या ऐसा हो सकता है कि इस्तीफे की मांग छोड़ कांग्रेस सदन में आ जाए और ग्रह पर ही चर्चा स्वीकार कर ले।
वैसे विदेश मंत्री ने कहा है कि अगर चर्चा हो तो वे बाकी सवालों का जवाब भी विस्तार से देंगी तो चर्चा से पहले इस बयान की क्या ज़रूरत थी। क्या चर्चा नहीं होने तक इस बयान को अंतिम माना जाए। क्या सरकार ने इस बयान के ज़रिये अंतिम संदेश दे दिया कि मानसून क्या शीतकालीन सत्र भी बर्बाद कर देख लीजिए हमने अपनी सफाई दे दी है। यह बात सही है कि सुषमा स्वराज मानसून सत्र के पहले दिन से आरोपों पर चर्चा और जवाब देने के लिए तैयार थीं।
गुरुवार को भी उन्होंने कहा कि लगभग 2 माह से मीडिया के माध्यम से मेरे ख़िलाफ़ कुप्रचार चल रहा है। मगर मैं शांती से बैठकर संसद के मानसून सत्र की प्रतीक्षा करती रही कि संसद का सत्र शुरू होगा, इस विषय पर चर्चा होगी और मैं हर प्रश्न का विस्तार से उत्तर दूंगी।
वैसे सुषमा स्वराज मानसून सत्र से पहले और इसके दौरान भी ट्वीटर के ज़रिये इस मसले में कुछ न कुछ बयान तो दे ही रही थीं। 2 अगस्त को ही ट्वीट किया कि मैंने ब्रिटिश सरकार से ललित मोदी के यात्रा दस्तावेज़ के लिए न तो गुज़ारिश की और न कभी प्रस्ताव किया। जबकि इस मामले के सामने आते ही उन्होंने 13 जून को 12 बार ट्वीट कर कहा था कि
मानवतावादी ख़्याल से मैंने ब्रिटिश उच्चायुक्त से कहा कि ब्रिटिश सरकार को ब्रिटिश नियमों के तहत ललित मोदी की प्रार्थना पर विचार करना चाहिए। अगर ब्रिटिश सरकार यात्रा दस्तावेज़ देने का फैसला करती है तो हमारे संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा।
खुद ही कहा है कि उन्होंने ब्रिटिश उच्चायुक्त से बात की ललित मोदी की अर्ज़ी पर विचार करना चाहिए। लेकिन लोकसभा में विदेश मंत्री कहती हैं कि मैं पूरी ज़िम्मेदारी के साथ कहना चाहती हूं कि ये आरोप सरासल गलत है असत्य है निराधार है। मैंने कभी भी ब्रिटिश सरकार से ललित जी को यात्रा दस्तावेज़ देने का अनुरोध नहीं किया।
आपको मालूम है कि अनुरोध और सिफारिश पत्रों की एक भाषा होती है। मैं चुनौती देती हूं कि एक कागज एक पर्ची एक चिट्ठी एक ईमेल मेरे पर आरोप लगाने वाले यहां पर प्रस्तुत कर दें जिसमें मैंने ऐसा कोई भी वाक्य लिखा हो कि ललित मोदी को ट्रेवल डाक्यूमेंट दे दीजिए या आपको देने चाहिए।
इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई से ललित मोदी ने भी माना है कि मैंने सुषमा जी को फोन किया था, मदद मांगी थी, उन्होंने मुझपर कृपा की थी। ललित मोदी ने यह भी कहा कि सुषमा स्वराज ने आउट आफ द वे जाकर मेरी मदद की। सुषमा जी खुद मान रही हैं कि ब्रिटिश उच्चायुक्त से कहा है कि तो फिर चिट्ठी या ईमेल का प्रमाण किससे और क्यों मांग रही हैं। खैर लोकसभा में विदेश मंत्री ने कहा कि मैंने ललित मोदी को कोई फायदा नहीं पहुंचाया। क्या ये फायदा था कि वे अपनी पत्नी की सर्जरी के लिए सहमति पत्र पर दस्तखत कर सके। वे लंदन में थे। सर्जरी के बाद लंदन आ गए। बदला क्या।
कांग्रेस सदन में हिस्सा लेती तो कई सवालों पर बात साफ होती लेकिन आनंद शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस के ज़रिये ज़रूर चर्चा में हिस्सा लिया। ललित मोदी की बहुत सारी तस्वीरें भी ले आए और कहा कि 4 अगस्त 2014 को अगर ये वहां गए हैं तो 6 अगस्त को पर्यटन के लिए मशहूर शहर है..Ibiza resorts में पाये जाते हैं। उसके बाद हवाना उसके बाद vanice। पूरी दुनिया में वो भ्रमण कर रहे थे।
उनको उस देश के कागज़ दे दिए गए जिनपे कोई रोक नहीं है। कितने लोगों का भारत के कानून को जिनकी तलाश है, एजेंसिज़ को जिसकी तलाश है, उनके परिवार में भी कोई ना कोई लोग बीमार होते होंगे, कौनसे ऐसे केस हैं जो मंत्रीपद ग्रहण करने के बाद सुषमा जी ने उन लोगों की ऐसी मदद की है। कितने ऐसे मामले हैं, कितनी ऐसी याचनाएं आई जिन पर इन्होंने ये निर्णय लिया।
मानसून सत्र के पहले दिन यानी 21 जुलाई को सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मुझ पर दबाव बनाया था कि मैं कोयला घोटाले में आरोपी संतोष बागरोडियो को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट दिलवा दूं। मैं उस नेता का नाम सदन में भी बताऊंगी। यह सुनते ही संतोष बागरोडिया सामने आए और स्वीकार किया कि हां मैंने सुषमा जी से अक्तूबर 2014 में अपने डिप्लोमेटिक पासपोर्ट के विस्तार के लिए मिला था लेकिन सुषमा जी ने मंज़ूरी नहीं दी।
मेरे पास पासपोर्ट है और किसी कोर्ट ने या सीबीआई ने विदेश जाने पर रोक नहीं लगाई है। मैं मई जून में अपनी पत्नी के इलाज के लिए अमरीका गया था। मेरी पत्नी भी कैंसर की मरीज़ है। वाजपेयी सरकार में स्वास्थ मंत्री रहते हुए सुषमा जी ने मेरी पत्नी के इलाज के लिए सरकारी खर्च पर अमरीका जाने की मंज़ूरी दी थी ।
सुषमा स्वराज ने इकोनोमिक टाइम्स की खबर का भी हवाला दिया जिसमें इंगलैंड के गृह विभाग ने माना है कि ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज़ देने में नियमों का उल्लघंन नहीं हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि ब्रिटेन की सरकार तो नियम से ही दस्तावेज़ बनाएगी लेकिन उसे बनाने के लिए विदेश नीति के स्तर पर सुषमा ने छूट क्यों दी।
खैर सुषमा स्वराज ने कहा कि कैसे किया, क्यों किया से पहले ये तो बता दो क्या किया। आनंद शर्मा ने बताते हुए कहा कि 3 जुलाई 2014 को जब लंदन के अधिकारी ने लिखित में बता दिया कि ललित मोदी की अर्ज़ी रिजेक्ट हो गई है तो दोबारा प्रयास होता है।
ललित मोदी ने सुषमा जी से बात की और उसके बाद कीथ वाज़ को कहा कि भारत के विदेश मंत्री ये कहने को तैयार हैं कि भारत की सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। कागज़ दे दिए जाए। कीथ वाज़ ने पत्र के द्वारा वहां की सबसे बड़ी border authority अधिकारी जिनका काम पासपोर्ट, वीज़ा, travel document देना है, उन्हें इसकी सूचना दी। उन्होंने उस पर लिखित में दिया कि सुषमा जी को इससे कोई आपत्ति नहीं है, वो इसका समर्थन करती है, मेरी उनसे बात हुई है।
आनंद शर्मा का सवाल है कि सुषमा स्वराज ने ब्रिटेन की सरकार के किसी अधिकारी के बिना पूछे अपनी प्रतिक्रिया क्यों दी थी। ब्रिटिश उच्चायुक्त से कहना कि यात्रा दस्तावेज़ दे दीजिए हमारे संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा इससे बड़ी कोई सिफारिश हो सकती है। इस पूरे मामले कि भारत के विदेश मंत्रालय वित्त मंत्रालय ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त को जानकारी तक नहीं थी।
सुषमा स्वराज कहती हैं कि पत्नी के इलाज के लिए मानवता के आधार पर मदद की। आनंद शर्मा कहते हैं कि ललित मोदी ने यात्रा दस्तावेज़ के लिए जो अर्ज़ी लगाई थी उसमें तीन कारण लिखे कि एक सिशेल्स के राष्ट्रपति से मिलने जाना है, बहन की शादी है, पत्नी का इलाज भी है। इलाज तीसरे नंबर पर है। तो सुषमा स्वराज के इस बयान से मामला खत्म होता है या एक बार फिर से शुरू हो जाता है।
This Article is From Aug 06, 2015
क्या सुषमा स्वराज ने नहीं की ललित मोदी की मदद?
Ravish Kumar
- Blogs,
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Updated:अगस्त 06, 2015 22:09 pm IST
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Published On अगस्त 06, 2015 21:16 pm IST
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Last Updated On अगस्त 06, 2015 22:09 pm IST
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