अपने स्वास्थ्य के बारे में किसी नेता की ऐसी ईमानदारी पहले कभी न देखी, न सुनी

अपने स्वास्थ्य के बारे में किसी नेता की ऐसी ईमानदारी पहले कभी न देखी, न सुनी

सुषमा स्वराज (फाइल फोटो)

किसी भारतीय नेता के बारे में ये अकल्पनीय है कि वो सार्वजनिक रूप से अपनी गंभीर बीमारी का खुलासा करे. अमूमन नेताओं की आदत अपनी हर वो बात छुपाने की होती है जिससे उसकी छवि और व्यक्तित्व पर उल्टा असर पड़े. नेता चुनाव आयोग को दिए जाने वाले हलफनामों में अपनी संपत्ति की मौजूदा कीमत तक के बारे में भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं होते.

बीमार होने पर निजी अस्पतालों में भर्ती होना पसंद करते हैं ताकि बीमारी से जुड़ी बात बाहर लीक न हो सके. बीमारी से जुड़ी हर बात को छुपाना चाहते हैं. इलाज के लिए विदेश यात्रा पर जाना और जनप्रतिनिधि होने के बावजूद इसका ब्योरा सार्वजनिक करने के लिए तैयार न होना, भारतीय नेताओं की फितरत है. ऐसे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का अपनी किडनी खराब होने की जानकारीसार्वजनिक करना, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की नई मिसाल कायम करना है.

देश में जब नोटबंदी की खबरों को लेकर सड़क से संसद और नेता से प्रजा तक हर जगह चर्चा हो रही थी ठीक उसी समय सुषमा स्वराज ने 16 नवंबर को ट्वीट कर अपनी बीमारी की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वो एम्स में हैं. उनकी किडनी खराब हो चुकी है. किडनी के प्रत्यारोपण के लिए उनके चिकित्सीय परीक्षण चल रहे हैं. भगवान कृष्ण का आशीर्वाद रहेगा. सुषमा स्वराज के इस ट्वीट ने न सिर्फ लोगों को चिंतित कर दिया बल्कि राजनीतिक व्यवस्था और नेताओं को एक नई नजर से देखने के लिए भी प्रेरित कर दिया. इसके बाद कई लोगों ने सुषमा स्वराज को अपनी किडनी दान करने की पेशकश की. जिससे अभिभूत होकर उन्होंने अपना आभार व्यक्त किया.

ताजा मामला टीडीपी के लोक सभा सांसद आरएस राव का है. राव ने सुषमा स्वराज को पत्र लिखकर उनके स्वास्थ्य के बारे में अपनी चिंता प्रकट की. उन्होंने ये भी कहा कि वो प्रत्यारोपण के लिए अपनी किडनी देने को तैयार हैं. किसी नेता की ओर से दूसरे नेता के लिए इस तरह की पेशकश भी अकल्पनीय है. ये सुषमा स्वराज की लोकप्रियता तो बताता ही है. ये भी दिखाता है कि अपने स्वास्थ्य के प्रति उनकी ईमानदारी को किस तरह से आम लोगों के साथ- साथ राजनीतिक वर्ग ने भी हाथों-हाथ लिया है.

सुषमा स्वराज की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह बतौर विदेश मंत्री आम लोगों के दुख-दर्द और तकलीफों को ट्विटर के माध्यम से हल करना है. पिछले ढाई साल में सुषमा स्वराज ने रूखे-सूखे, अंग्रेजियत से भरे और जनता से दूर विदेश मंत्रालय को एक नई परिभाषा दी है. उन्होंने इसे आम लोगों की तकलीफों को दूर करने का माध्यम बना लिया. लोग वीज़ा, पासपोर्ट जैसी समस्याओं के लिए उन्हें ट्वीट करते और सुषमा स्वराज दुनिया भर में फैले भारत के दूतावासों और उच्यायोगों के माध्यम से उन्हें हल करतीं. उनकी छवि जनता की विदेश मंत्री के तौर पर बन गई है. विपक्षी सांसद भी उनके मुरीद बन गए हैं. संसद में ऐसा कई बार हुआ जब विपक्ष के सांसदों ने खुल कर सुषमा स्वराज की तारीफ की.

मेरा स्वयं का इस बारे में एक अनुभव है. मेरे एक सहकर्मी ने मुझे कहा कि उसकी एक परिचित जो कि अमेरिकी नागरिक हैं, सिंगापुर में यात्रा पर हैं. लेकिन चेन्नई में उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा है और वो तुरंत भारत आना चाहती हैं. मैंने इस महिला का ब्योरा लेकर सुषमा स्वराज के सहयोगी सतीश गुप्ता को एसएमएस किया. इस पर तुरंत कार्रवाई की गई. अमेरिका और सिंगापुर में भारत के कूटनीतिक स्टाफ से संपर्क किया गया. वो महिला अगले कुछ घंटों में भारतीय वीजा लेकर चेन्नई में अस्पताल में अपने पिता के पास उनका हाल-चाल पूछने पहुंच गईं.

अपनी बीमारी को सार्वजनिक कर सुषमा स्वराज ने एक नई मिसाल कायम की है. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता अब भी अस्पताल में हैं. उनकी बीमारी के बारे में काफी समय तक जानकारी नहीं दी गई थी. राज्य में उनके स्वास्थ्य के बारे में अफवाह फैलाने वाले कई लोगों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की. इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बनारस में रोड शो के दौरान बीमार हुईं. लेकिन उनकी हालत के बारे में जानकारी धीरे-धीरे ही बाहर आ सकी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का खांसी दूर करने के लिए गले का बैंगलुरू में ऑपरेशन हुआ. पर ये किस तरह का ऑपरेशन था इसके बारे में खुलकर जानकारी नहीं मिल सकी. दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में कई बड़े नेताओं के स्वास्थ्य के बारे में अफवाहें और अटकलें चलती हैं. कोई पुख्ता जानकारी न होने से इन अफवाहों को और बल मिलता है.

ये हालात अमेरिका के उलट हैं जहां अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य के बारे में नियमित तौर पर विस्तृत बुलेटिन जारी होता है. अन्य पश्चिमी देशों में भी राजनेताओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं होती. भारत में अस्पतालों में भर्ती प्रमुख नेताओं के मेडिकल बुलेटिन जारी करने की परंपरा है. लेकिन उसमें भी बीमारी का ब्योरा देने से बचा जाता है. प्रधानमंत्री रहते हुए डॉक्टर मनमोहन सिंह की एम्स में बायपास सर्जरी हुई थी. इसके
बारे में भी समय-समय पर मेडिकल बुलेटिन जारी किया गया था.

सुषमा स्वराज के ट्वीट के बाद जिस तरह से लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें अपने किडनी देने की पेशकश की है, ये भी उनकी लोकप्रियता को दिखाता है. नेताओं के प्रति ऐसा स्नेह अमूमन उत्तर भारत में कम देखने को मिलता है. ऐसा दक्षिण भारत में अधिक होता है जहां नेताओं पर ऐसी विपदा आने पर समर्थकों की ओर से कई तरह की प्रतिक्रियाएं होती हैं. उत्तर भारतीय जनता को नेता की ही तरह कम भावुक माना जाता है. लेकिन सुषमा स्वराज का मामला अलग ही तरह का है.

सुषमा स्वराज का भगवान कृष्ण पर अटूट विश्वास है. नेता विपक्ष रहते हुए संसद में उनके कमरे में भगवान कृष्ण का अत्यंत सुंदर चित्र दीवार पर नजर आता था. अपनी बीमारी की जानकारी देने वाले ट्वीट में भी उन्होंने भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से सब कुछ ठीक होने की आशा जताई है. ऐसे ही भगवान कृष्ण से प्रार्थना कि वो अपनी इस मीरा को जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ दिलाए ताकि वो पहले की ही तरह आम लोगों की मदद करती रहें.  

अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं...

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