मृत्यु देह का ही अवसान है, स्मृतियों का नहीं. राष्ट्र सदा कोमल विचारों से ही परिचालित नहीं होता. वक्त आने पर वह अपने कर्म-योद्धाओं को कठोर निर्णयों की कसौटी पर परखता है. तब राष्ट्र की ही उदार और कोमल रूह को बचाने के लोहे का अभेध्य कवच भी बनाना होता है. यदि ऐसा न होता तो विस्मार्क को भला कौन याद रखता! गैरीबाल्डी को कब का भुला दिया गया होता! गिल सर को भी ये देश कैसे भुला सकेगा! इस राष्ट्र का आत्म-तत्व समन्वय है. जब भी यह समन्वय दरकता है तो गिल सर जैसा कोई कर्म-योद्धा सामने आ जाता है. ललकारते हुए घोषित करता है...
"अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा
देखो,
मैंने कंधे चौड़े कर लिए हैं
मुट्ठियां मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एड़ियां जमाकर
खड़ा होना मैंने सीख लिया है.
घबराओ मत
मैं क्षितिज पे जा रहा हूं
सूरज ठीक जब पहाड़ी से लुढ़कने लगेगा
मैं कंधे अड़ा दूंगा
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा.
रथ के घोड़े
आग उगलते रहें
अब पहिये टस से मस नहीं होंगे
मैंने अपने कंधे चौड़े कर लिए हैं.
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा"
(सर्वेश्वर दयाल सक्सेना)
यही किया था गिल सर ने. कंधे चौड़े कर लिए थे. मुट्ठियां बांध ली थीं और ढलान पर एड़ियां जमाकर खड़े हो गए. उन्होंने उम्मीदों के सूरज को डूबने नहीं दिया.
गिल सर को अक्सर उन घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में याद किया जाता है, जिन्होंने एक दौर में पंजाब की धरती को लहूलुहान कर दिया था. यह सही भी है.
लेकिन गिल सर को यह देश उन व्यापक संदर्भों में याद रखेगा, जिन संदर्भों को हम एक राष्ट्र के रूप में अपने साझा सामाजिक जीवन मूल्य कहते हैं. आखिरकार पुलिस का सांगठनिक उद्देश्य भी इन साझा मूल्यों की रक्षा करना ही है. इन साझा जीवन मूल्यों का सृजन इस राष्ट्र की सुदीर्घ सामाजिक ऐतिहासिक परम्पराओं और रिवायतों का परिणाम है. उन्हें एक झटके में नहीं गंवाया जा सकता.
गिल सर की प्रशासनिक दृढ़ता का स्रोत इन जीवन मूल्यों में उनकी अगाध आस्था थी. किसी भी पुलिस अधिकारी का इन जीवन-मूल्यों में विश्वास उसे दृढ़ बनाकर ही छोड़ेगा. गिल सर सदा याद आएंगे. सिर्फ पंजाब को बचाने के प्रसंग में नहीं.. यह उनके कद की लघुतर करने जैसा होगा. उनका स्मरण तो इससे कहीं अधिक गहरे प्रसंगों में किया जाएगा. जब भी पुलिस लीडरशिप के पैर जन-सरोकारों के विपरीत किसी निर्णय को लेने में डगमगाएंगे, तो गिल सर याद आएंगे. जब-जब पुलिस लीडरशिप इस राष्ट्र के बृहद सामाजिक मूल्यों की रक्षा के लिए हर तरह के जोखिम से जा भिड़ेगी, गिल सर याद आएंगे. जब भी पुलिस इस राष्ट्र के आंतरिक ढांचे को अनाहत रखने के लिए अपना लहू देगी, सब कुछ दांव पे लगा देगी, गिल सर याद आएंगे.
हम आपको याद रखेंगे, गिल सर.
This Article is From May 26, 2017
केपीएस गिल को एक आईपीएस अफसर की श्रद्धांजलि...
Dharmendra Singh
- ब्लॉग,
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Updated:मई 26, 2017 22:27 pm IST
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Published On मई 26, 2017 22:19 pm IST
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Last Updated On मई 26, 2017 22:27 pm IST
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