दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार आने के बाद सरकारी स्कूलों में काफी सुधार देखने को मिले हैं और विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है. आखिर किस तरह से दिल्ली के सरकारी स्कूलों के हालात सुधारे और क्यों अब अभिभावक सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला करने के लिए उत्सुक रहते हैं, आइए जानते हैं.
राजधानी शहर में सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली की बात करें तो, दिल्ली के कुछ सरकारी स्कूल हमेशा से ही दूसरों की तुलना में डिमांड में रहे हैं. इसके पीछे कई कारण रहे हैं, जैसे मेहनती प्रिंसिपल, बेहतर बुनियादी ढांचा और शायद अच्छे बोर्ड परिणाम. नतीजतन, यह देखा गया कि माता-पिता केवल उन्हीं स्कूलों में प्रवेश चाहते थे. जिन्हें प्रवेश प्रक्रिया के दौरान अच्छा माना जाता था, जिससे उसी इलाके के स्कूलों में दाखिले असंतुलन हो जाते थे.
प्रवेश प्रक्रिया हुई आसान
साल 2016 की शुरुआत में, जब अरविंद केजरीवाल सरकार ने पहली बार कार्यभार संभाला, तो कुछ अभिभावकों ने उपमुख्यमंत्री से प्रवेश प्रक्रिया में खामियों के बारे में शिकायत की थी. तब, प्रवेश का मुद्दा पहली बार ध्यान में लाया गया था. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जटिल प्रवेश प्रक्रिया को समझने के लिए हस्तक्षेप किया और इस तरह प्रवेश की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और सुचारू बनाने के काम पर लग गए.
साल 2019 से, हर साल हज़ारों बच्चे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं. जबकि दिल्ली में साल दर साल प्रवेश की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है और अभिभावकों भी अपने बच्चों के दाखिले सरकारी स्कूल में करवाने के लिए उत रहे हैं. ये स्थिति भारतीय के अन्य राज्यों के विपरीत है. जहां सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं और सरकारी स्कूलों में अभिभावकों का भरोसा कम हो रहा है.
प्रवेश प्रक्रिया में उल्लेखनीय सुधार-
शिक्षा हमेशा से केजरीवाल सरकार की पहली प्राथमिकता रही है और इसलिए प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाने और सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. हालाँकि बहुत सारे काम किए गए और चल रहे हैं, प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में कुछ उल्लेखनीय सुधार सराहनीय हैं, जो कि इस प्रकार है.
1.क्लस्टर से स्कूल आवंटित प्रक्रिया हुई सरल
दिल्ली में सरकारी स्कूलों को पहले से ही जोन, जिला और क्षेत्र के आधार पर वर्गीकृत किया गया था. बाद में 2016 में शिक्षा विभाग द्वारा क्लस्टर बनाए गए. सरल शब्दों में कहें तो क्लस्टर, जनसांख्यिकी के आधार पर आस-पास के कुछ स्कूलों का एक समूह है. बच्चों के लिए स्कूल आवंटित करने के लिए प्रत्येक क्लस्टर स्तर और ज़ोन स्तर पर कुछ स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सदस्यों और कुछ स्कूलों के प्रमुखों से मिलकर एक समिति भी गठित की गई थी.
अब जब कोई अभिभावक किसी सरकारी स्कूल में छठी से 12वीं कक्षा में दाखिले के लिए आवेदन करता है, तो उसका स्कूल फॉर्म उस विशेष क्लस्टर कमेटी या जोनल कमेटी के पास जाता है. ये कमेटियाँ स्कूल में खाली सीटों, छात्रों के घरों से दूरी आदि के आधार पर स्कूल आवंटित करती हैं. इस कदम से दो समस्याएं खत्म हो गई हैं; पहली: किसी खास स्कूल पर निर्भरता और दूसरी: बिना कोई कारण बताए स्कूल द्वारा दाखिला देने से मना करना.
2.ऑनलाइन मोड
जो दूसरा सबसे बड़ा सुधार किया गया वो 6वीं से 12वीं कक्षा की प्रवेश प्रक्रिया को ऑनलाइन मोड करना था. अगर किसी को आवेदन प्रक्रिया में कोई समस्या आती है, तो वह नजदीकी सरकारी स्कूल में जा सकता है. स्कूल ने अभिभावकों के लिए ऑनलाइन आवेदन करने में मदद के लिए एक हेल्प डेस्क स्थापित भी किया है. इस कदम से स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया आसान हो गई है. इसके अलावा, विभाग बहुत सारा कागज़ बचा रहा है.
3.प्रवेश समितियों में एसएमसी सदस्यों को शामिल करना
वर्ष 2016 में जब समितियों का गठन किया गया था, तब एक और बड़ा निर्णय लिया गया था. यह एसएमसी सदस्यों को समितियों में रखने का था. इस निर्णय के जबरदस्त परिणाम सामने आए हैं. प्रवेश प्रक्रिया के समय, एसएमसी अपने इलाकों में हेल्पडेस्क स्थापित करती है, ताकि अभिभावकों को ऑनलाइन फॉर्म भरने में मदद मिल सके, प्रवेश प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी दी जा सके और अपने इलाकों में घर-घर जाकर जागरूकता पैदा की जा सके.
एसएमसी प्रवेश प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. स्कूलों का आवंटन सुनिश्चित करने, शिकायतों का समाधान करने और छात्रों के स्थानांतरण को संभालने से यह सुनिश्चित हुआ है कि दिल्ली में हर बच्चे को उसके इलाके और खाली सीटों के आधार पर एक उपयुक्त स्कूल आवंटित किया जाए.
उपरोक्त तीन प्रमुख कदमों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया को मजबूत, पारदर्शी और समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जिस तरह से दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में प्रेवश प्रक्रिया को बेहतर बनाया है, वो हर राज्य सरकार के लिए प्रवेश प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और मजबूत बनाने के लिए एक मिसाल है.
शैलेश श्रीवास्तव- शिक्षा टास्क फोर्स के सदस्य, शिक्षा मंत्री कार्यालय, एनसीटी दिल्ली
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