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This Article is From Aug 22, 2018

तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीलरों से मांगी जाति, धर्म, से जुड़ी जानकारियां

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 22, 2018 23:42 pm IST
    • Published On अगस्त 22, 2018 23:40 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 22, 2018 23:42 pm IST
एक ऐसे दौर में जब हमारी निजता, हमारे निजी आंकड़ों की प्राइवेसी को लेकर ख़तरा बढ़ रहा है एक नया विवाद खड़ा हो गया है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने अपने डीलरों से कहा है कि वे अपना यहां काम करने वाले करीब दस लाख कर्मचारियों का डेटा दें. कुल 24 प्रकार की जानकारी मांगी गई है. इसमें जाति पूछी गई है. धर्म और चुनाव क्षेत्र की भी जानकारी मांगी गई है. जाति और धर्म और चुनाव क्षेत्र की जानकारी हासिल करने का क्या मकसद हो सकता है, क्या ऐसी जानकारी सिर्फ पेट्रोल पंप के डीलर्स से मांगी गई है. सरकार का दावा है कि वो ये आंकड़े अपनी डेवलपमेंट स्कीम यानी कौशल विकास योजना के लिए मांग रही है. लेकिन पेट्रोलियम डीलर्स ने इस मांग पर कोर्ट जाने की धमकी दी है. उनका कहना है कि ये उनके निजी आंकड़े हैं और इन्हें मांगा जाना ग़लत है. पेट्रोलियम डीलरों का कहना है कि इस विरोध पर तेल कंपनियां उन्हें धमका रही हैं.

सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल कंपनियों हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने छह जून को देश भर के अपने 59 हज़ार पेट्रोलियम डीलर्स को पत्र लिखा. इस पत्र में डीलर्स से कहा गया है कि वो अपने सभी कर्मचारियों का डेटा भेजें. खत के मुताबिक ये आंकड़े प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत Recognition of Prior Learning (RPL) स्कीम के लिए मांगे गए हैं.  पत्र के मुताबिक डेटा मिलने के बाद कर्मचारियों को एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा जो औपचारिक योग्यता की मान्यता की तरह होगा और जिसका इस्तेमाल ये कर्मचारी भविष्य में अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए कर सकते हैं.

लेकिन ये साफ़ नहीं है कि इन आंकड़ों की ज़रूरत क्यों है. मसलन आधार नंबर, जाति, धर्म और विधानसभा और संसदीय क्षेत्र, देश भर में पेट्रोलियम डीलर्स इसी बात का विरोध कर रहे हैं. इसी सिलसिले में कंसोर्शियम ऑफ़ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स ने तीनों तेल कंपनियों को एक पत्र लिखा है. इसमें सरकार के आंकड़े मांगने की मुहिम को मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है. लेकिन उनका दावा है कि सरकार इस मसले पर झुकने को तैयार नहीं दिख रही, उलटा धमका रही है कि अगर डेटा नहीं भेजा गया तो पेट्रोलियम डीलर्स की सप्लाई रोक दी जाएगी. पंजाब में इंडियन ऑयल के पेट्रोलियम डीलर्स के मुताबिक राज्य में इंडियन ऑयल के सेल्स ऑफ़िसर आशीष जैन की तरफ़ से जो मैसेज उन्हें मिला है उसके मुताबिक ''कई रिटेल आउटलेट्स की ओर से RPL यानी Recognition of Prior Learning का डेटा अब तक नहीं मिला है. अगर रिटेल आउटलेट कल शाम 7 बजे तक तक ये डेटा नहीं भेजेंगे तो मैं उनकी सप्लाई रोक दूंगा...''

हमने मैसेज भेजने वाले के नंबर पर कॉल किया. जिस आदमी ने फोन उठाया उसने कहा कि वो आशीष जैन ही है और पंजाब में इंडियन ऑयल का सेल्स ऑफ़िसर है. लेकिन उसने इस बात की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया कि मैसेज उसने ही भेजा था. पंजाब पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की इन धमकियों के ख़िलाफ़ एक लीगल नोटिस भेजा है.

इस मसले पर कई राज्यों के पेट्रोल डीलर्स बोलने से बच रहे हैं लेकिन ये दावा कर रहे हैं कि उन पर सरकार का दबाव है. हमने बीजेपी शासित पांच राज्यों में पेट्रोल डीलर्स से बात की. उन्होंने बताया कि वो डेटा भेजना नहीं चाहते लेकिन तेल कंपनियां ये कहकर उन्हें धमका रही हैं कि अगर डेटा भेजने का विरोध किया गया तो मंत्री नाराज़ हो जाएंगे. 23 जुलाई को सबसे पहले द ट्रिब्यून ने पंजाब के डीलर्स के विरोध की ख़बर रिपोर्ट की. इस पर पेट्रोलियम मंत्री ने अपने मंत्रालय के एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान ऐसी प्रतिक्रिया दी. यही नहीं इसी कार्यक्रम में धरमेंद्र प्रधान डीलर्स से कह रहे हैं कि आप लोग प्रेस के पास क्यों गए. क्या प्रेस के पास जाना, किसी विषय का पब्लिक में चर्चा होना ग़लत है.

हमने इस सिलसिले में पेट्रोलियम मंत्री से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बताया गया कि वो अभी उपलब्ध नहीं हैं. हम उन्हें मैसेज पर अपने सवाल भेज सकते हैं. हमने मैसेज भेजे लेकिन ना ही मंत्री और ना ही तीनों तेल कंपनियों की ओर से हमें कोई जवाब आया.

आंकड़े बता रहे हैं कि कौशल विकास योजना के तहत अब तक 29 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है लेकिन इनमें से सिर्फ़ छह लाख लोगों को ही नौकरी मिल पाई है यानी सिर्फ़ 21 फीसदी लोगों को. तो क्या पेट्रोलियम क्षेत्र से जुड़े दस लाख कर्मचारियों को कहीं सरकार इस योजना का लाभार्थी बताकर कौशल विकास योजना के आंकड़े बढ़ाने की फ़िराक़ में तो नहीं है. ताकि सियासी फ़ायदे के लिए इस योजना को कामयाब बताया जा सके. कंर्सोटियम ऑफ इंडियन पेट्रोल पंप डीलर्स का झगड़ा एक और बात पर हो रहा है. डीलरों का समूह रोज़ रोज पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ाए जाने की नई व्यवस्था से परेशान है. उनका मानना है कि यह उनके हितों के खिलाफ है और इसमें कुछ गड़बड़ी की आशंका है. मई महीने में इसके अध्यक्ष शमशेर सिंह ने मांग की थी कि नई मूल्य निर्धारण नीति की न्यायिक जांच होनी चाहिए.

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