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This Article is From Oct 18, 2016

उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में आते दिख रहे ब्राह्मण

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 18, 2016 20:17 pm IST
    • Published On अक्टूबर 18, 2016 20:17 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 18, 2016 20:17 pm IST
उत्तर प्रदेश की सियासत में अभी ब्राह्मण बतौर जाति के तौर पर टॉप पर चल रही है. कारण साफ है चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों की ब्राह्मणों के 14 फीसदी वोटों पर नजर है, तो 27 सालों से सत्ता से बाहर इस जाति को किसी राजनैतिक दल पर. उत्तर प्रदेश के अंतिम ब्राह्मण मुख्यमंत्री एनडी तिवारी थे जो बाद में उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री बने.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस शासन के बाद पिछले 27 सालों में ब्राह्मण वोट बीजेपी, बीएसपी और बाकी दलों में बंटते रहे हैं. मगर इस चुनाव के बाद जिस ढंग से कांग्रेस ने दिल्ली की तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश में पार्टी का चेहरा बनाया, सभी दल और यहां तक कि राजनैतिक समीक्षक भी चौंक गए. कांग्रेस की तरफ से यह कहा जाने लगा कि जब से कांग्रेस सत्ता से बाहर है यूपी के ब्राह्मण भी सत्ता से दूर हैं. यही वजह है कि कांग्रेस ने राहुल गांधी के एक महीने की यात्रा की शुरुआत गोरखपुर से करवाई. जैसे ही कांग्रेस ने ब्राह्मणों को लेकर एक ताना-बाना बुनना शुरू किया, बाकी दल भी चौकन्ने होने लगे.

अभी तक जो बीजेपी बहुजन समाज पार्टी के दलित और पिछड़े नेताओं पर फोकस कर रही थी, एकाएक उन्होंने भी ब्राह्मण नेताओं की ओर देखना शुरू कर दिया. आजकल यह चर्चा जोरों पर है कि रीता बहुगुणा बीजेपी में जा सकती हैं...वहीं अभी तक बीएसपी, जो अभी यह मान कर चल रही थी कि ब्राह्मण तो उनके अपने हैं, आजकल सतीश मिश्रा की खूब रैलियां करवा रही है. वैसे कुछ नेताओं के बीजेपी में चले जाने की वजह से मायावती को खूब मेहनत करना पड़ेगी

इस सबके बीच समाजवादी पार्टी, जो अखिलेश सरकार की उपलब्धियों का प्रचार कर सुर्खियां बटोरती दिखती है, यादव परिवार की आपसी कलह की वजहों से मीडिया में छाई हुई है. मुलायम सिंह यादव परिवार में क्या चल रहा है, किसी को कुछ नहीं पता. मगर राजनीति के अखाड़े के माहिर पहलवान मुलायम सिंह ने इस बीच पूर्वांचल में अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी को टिकट देने की घोषणा कर पूर्वांचल के ब्राह्मणों को संकेत देने की कोशिश की है उनके लिए सपा भी एक विकल्प है. यानी बरसों बाद ब्राह्मण उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में आते दिख रहे हैं, जहां अभी तक यादव,मुस्लिम और दलित मतदाताओं का दबदबा रहा है.

(मनोरंजन भारती एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल, न्यूज हैं.)

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