1980 के एक इंटरव्यू में थिएटर और फिल्म निर्देशक / अभिनेता गिरीश कर्नाड ने फीयरलेस नाडिया उर्फ मैरी से बातचीत की थी. रंगून फिल्म के रिलीज़ होने के बाद यह इंटरव्यू एक बार फिर चर्चा में है. इस शानदार लेख में कर्नाड लिखते हैं कि '40 के दशक में स्कूल जाने वाले हम बच्चों के लिए फीयरलेस नाडिया का मतलब होता था निडर, मजबूत और आदर्शवाद.'
अगर हम आज की फिल्मों के दर्शकों की बात करें तो कगंना रनौत भी ऐसा ही कुछ साबित करती दिखाई दे रही हैं - निडर, मजबूत और आदर्शवाद. निडर, अपने निजी और पेशेवर जीवन में लिए गए फैसलों की वजह से - ज्यादातर लोग बॉलीवुड में कंगना की आपबीती को जान चुके हैं जिसे बार बार बताया और सुनाया जा चुका है. मजबूत इसलिए क्योंकि वह मुबंई के मूवी माफिया से दबी नहीं और अपनी बात सबके सामने रखने के लिए डटी रहीं. आदर्शवादी इसलिए क्योंकि उन्होंने कुछ ज्यादा ही जल्दी यह बात कह दी कि - मैं कुछ उसूलों का पालन करना पसंद करती हूं, मैंने अवॉर्ड फंक्शन को हाथ से जाने दिया और मैं अपने मूल्यों पर टिकी रही, तो कुछ ब्रांड ऐसे थे जिन्हें इन उसूलों की जरूरत थी, जिन्हें मेरी भी जरूरत थी और वे मुझे तीन गुना दाम देने के लिए तैयार थे'
रंगून को जो शुरूआती प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं उससे लगता नहीं कि यह फिल्म कंगना की पिछली हिट तनू वेड्स मनु 2 के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की बराबरी कर पाएगी. इसी बॉक्स ऑफिस हिट की बदौलत कंगना ने रंगून में अपने पुरुष साथी कलाकार से एक रुपये ज्यादा की मांग करने की हिम्मत दिखाई थी. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गहरी जड़ जमा चुके भाई-भतीजावाद की राष्ट्रीय टेलीविज़न पर, सबसे ताकतवर स्टूडियो मालिकों में से एक के सामने बिना डर के बात करना और अवॉर्ड शो को तब मना कर देना जब वह उन्हें सम्मानित करना चाह रहे हैं, इन सबकी हिम्मत पिछली बॉक्स ऑफिस सफलता से कंगना को मिली है.
लेकिन क्या होगा अगर रंगून ने बॉक्स ऑफिस पर काम नहीं किया? आलोचक तो उनकी बहुत प्रशंसा कर रहे हैं - एक आलोचक के मुताबिक कंगना ने जो काम किया है, उसके बाद इस रोल में किसी और अभिनेत्री की कल्पना भी नहीं की जा सकती. वैसे तो कंगना ने 2007 की 'लाइफ इन ए मेट्रो' में भी शानदार काम किया था लेकिन बॉलीवुड ने उन्हें असली मौका क्वीन और तनु वेड्स मनु की सफलता के बाद ही दिया.
बॉलीवुड में ज्यादातर लोग कहते हैं कि वह बहुत जल्दी, बहुत कुछ कह गईं. उनके साथी कलाकार जो अभी तक चुप थे, अब वह 'सूत्रों' के हवाले से कहानियां गढ़ने में लगने वाले हैं कि कंगना कितनी मुंहफट हैं, वगैरह, वगैरह. क्या रंगून के बाद ए-लिस्ट निर्देशक उनके साथ काम करना पसंद करेंगे, वो भी तब जब वह सार्वजनिक रूप से कह चुकी हैं कि वह किसी भी 'खान' के साथ कोई नगण्य रोल नहीं करना चाहेंगी? रिपोर्ट तो ऐसी भी आ रही हैं कि शाहरुख खान की एक आने वाली फिल्म से कंगना को हटा दिया गया है, हालांकि सच तो यह है कि उनके नाम की अभी तक घोषणा ही नहीं की गई थी. तो रंगून के बाद कंगना रनौत और उनकी बेबाकी से बॉलीवुड कैसे निपटने वाला है?
कंगना को लेकर ये सब मेरी चिंताएं हैं. हालांकि मुझे नहीं लगता कि कंगना को इन सब बातों की कोई परवाह है.
(सोनल जोशी, NDTV 24x7 के साथ कन्सल्टेंट हैं)
अनुवाद : कल्पना
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This Article is From Feb 25, 2017
‘रंगून’ के बाद कंगना और उनकी बेबाकी से बॉलीवुड कैसे निपटेगा?
Sonal Joshi
- ब्लॉग,
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Updated:फ़रवरी 25, 2017 15:12 pm IST
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Published On फ़रवरी 25, 2017 12:09 pm IST
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Last Updated On फ़रवरी 25, 2017 15:12 pm IST
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