जन्नत से कम नहीं है देव भूमि पर बसा मैक्लोडगंज

मैक्लोडगंज में 14वें दलाई लामा का निवास है. देवभूमि हिमाचल पर बसी ये जगह जन्नत से कम नहीं है.

जन्नत से कम नहीं है देव भूमि पर बसा मैक्लोडगंज

भाग्सू वॉटरफॉल

नई दिल्ली:

छुट्टी के दिन कमरे में पड़े रहने की आदत सी पड़ गई थी. लेकिन इस बार दिल और दिमाग को शांत करने के लिए घर से निकलना ही पड़ा. रफ्तार से दौड़ रही दिल्ली से दूर अकेले देव भूमि हिमाचल निकलने का प्लान बनाना आसान काम नहीं था. जब मां से पर्मीशन मांगी तो उन्होंने साफ कहा किसी दोस्त के साथ चले जाओ, अकेले कौन जाता है? मां को सोलो ट्रिप का मतलब समझाया और छोटी-मोटी नोक-झोंक के बाद उन्हें मना ही लिया. जिसके बाद शुरू हुआ देव भूमि हिमाचल पर बसे मैक्लोडगंज का सफर. हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर बसे मैक्लोडगंज  में एक अलग ही सुकून महसूस हुआ. शिवालिक पर्वतों पर बसी ये जगह मुझे जन्नत से कम नहीं लगी. मैक्लोडगंज में 14वें दलाई लामा का निवास है. इस समय यहां दलाई लामा के दर्शन के लिए तिब्बत से हजारों बौद्ध भिक्षु आएं हुए हैं. दलाई लामा मंदिर (Tsuglag Khang Complex) तिबत्तियों के लिए भारत के पवित्र स्थलों में से एक है. मैक्लोडगंज पहुंचने के बाद पहले दिन मैं भाग्सू वॉटरफॉल के लिए निकला. 7112 फीट की ऊंचाई पर मौजूद भाग्सू वॉटरफॉल बेहद ही खूबसूरत है. वॉटरफॉल के पास घंटों बैठे रहने के बाद भी वहां से हिलने का मन नहीं कर रहा था. लेकिन उसके और भी ऊपर करीब 7500 फीट की ऊंचाई पर बने शिवा कैफे भी जाना था. शिवा कैफे बेहद ही शानादार जगह है. इतनी ऊंचाई पर बने इस कैफे से पहाड़ों का खूबसूरत नजारा देखने के बाद यहां के खाने का स्वाद लिया. इस कैफे में इंडियन से लेकर इजराइली हर तरह का फूड मिलता है. 

mndvfic7500 फीट की ऊंचाई पर बना शिवा कैफे

भाग्सू के बाद मेरा प्लान त्रियुंड की पैदल यात्रा (ट्रैकिंग) थी. जो कि शायद फरवरी तक बंद है. खैर त्रियुंड न सही उसके आधे रास्ते तक तो जा ही सकते थे. इसीलिए धर्मकोट से गल्लू देवी की पैदल यात्रा पर निकला. धर्मकोट से गल्लू देवी 2-3 किलोमीटर है, जो कि पैदल चलने के लिए सही है. धर्मकोट से गल्लू देवी के लिए टैक्सी जाती है, लेकिन इस मौसम में टैक्सी का कीचड़ में फंसने का डर रहता है.  बर्फ से ढके हुए और करीब 7000 फीट की ऊंचाई पर बने गल्लू देवी में शांति ही शांति थी और बर्फबारी का मजा भी. गल्लू देवी से वापस मैक्लोडगंज की मेन स्क्वायर मार्केट आया जहां तिब्बत किचन नाम के रेस्ट्रा में पेट पूजा की. इसके बाद शाम को दलाई लामा मंदिर जाने का मौका मिला जहां रूस, अमेरिका, तिब्बत और कई देशों से लोग दलाई लामा के दर्शन करने के लिए आए हुए थे. 

अगले दिन की सुबह डल झील जाने का के लिए निकला. इसका नाम कश्मीर की डल झील से लिया गया है.  डल झील मैकलोडगंज से 2 किलोमीटर दूर नड्डी रोड पर तोता रानी गांव में स्थित है. ये झील बेहद खूबसूरत और शांत है. झील देवदार के हरे-भरे पैड़ों के बीच घिरी हुई है. इस झील के किनारे भगवान शिव का मंदिर स्थित है, जिसे बहुत पवित्र माना जाता है और यह 200 साल पुराना है.

इस झील के बगल से जाता है नड्डी गांव का रास्ता. नड्डी गांव वो जगह है जहां जाने के बाद बस पहाड़ ही पहाड़ नजर आते हैं. बर्फ से ढके इन पहाड़ों को देखने के बाद यहां से हिलने का मन नहीं करता. यहां आकर पहाड़ों की चोटियों को नजदीक से देखा जा सकता है. यहां से आप सूर्यास्त होते हुए देख सकते हैं. सुरमई शाम और चिड़ियों की मीठी चहचहाहट का आनंद लेने के बाद यहां बने सहजयोग के अंतरराष्ट्रीय केंद्र गया. सहजयोग के केंद्र में 10 मिनट के मेडिटेशन के बाद एक अलग ही शांति का अनुभव हुआ. सहज के हर केंद्र की तरह यहां भी फ्री में ही ध्यान करने की कला सिखाई जाती है. पहाड़ों पर घूमने के अलावा आप यहां मेडिटेशन कर सकते हैं. 

dvp7b578नड्डी गांव

इस सोलो ट्रिप के पहले दिन 20 किलोमीटर और दूसरे दिन 10 किलोमीटर चला. पहाड़ों पर पैदल चलने का मजा ही कुछ और हैं. खैर पैदल चलने का मजा गाड़ी वाले नहीं समझेंगे. एक बार एक तिब्बती भाईसाहब से लिफ्ट ली, जिन्होंने मुझे मेन स्क्वायर तक ड्राप किया.  यहां के लोग बेहद ही अच्छे स्वभाव के हैं और किसी की मदद करने में पीछे नहीं हटते. 2-3 बार ऑटो भी करना पड़ा था. सबसे अच्छी बात ये है कि यहां सभी ऑटो और टैक्सी दोनों के रेट फिक्स हैं. ये रेट यूनियन द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. यहां मोलभाव नहीं चलता और कोई गलत पैसे भी नहीं लेता.


मैक्लोडगंज  के मुख्य आकर्षण

1. त्रियुंड 
त्रियुंड बहुत ही लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थान है. त्रियुंड के एक तरफ से धौलाधार के पहाड़ और दूसरी तरफ कांगड़ा घाटी नजर आती है. ये करीब 9500 फीट की ऊंचाई पर है.
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2. भाग्सू वॉटरफॉल
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3. नड्डी व्यू प्वाइंटcfrd0mo

 
4. दलाई लामा मंदिर

5. नामग्याल मोनेस्ट्री

6. डल झील
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7. गल्लू देवी

8. धर्मकोट

मैक्लोडगंज  में फूड लवर्स के लिए हैं कई अच्छे रेस्टोरेंट और कैफे...

- तिब्बती खाने के लिए - 'तिब्बत किचन' और 'कैलाश कुंगा'
- इटेलियन के लिए-  'द ओवन क्ले' (यहां आप चॉको चिप केक ट्राई कर सकते हैं.)
- हर तरह का फूड- 'मैक्लो रेस्टोरेंट'
-मेन स्क्वायर में मौजूद बेकरी से 'भाग्सू केक' का स्वाद ले सकते हैं.
- मैक्लोडगंज की नाइटलाइफ के मजे लेने के लिए आप ब्लैक मैजिक क्लब जा सकते हैं. 

मैक्लोडगंज  कैसे जाएं?

बस
दिल्ली से मैक्लोडगंज के लिए सीधी बस जाती है. हिमाचल ट्रांसपोर्ट या कोई 4-5 स्टार रेटिंग वाली प्राइवेट बस पकड़े जो आपको 11 घंटे में मैक्लोडगंज पहुंचा देगी.
(किराया- 700 से 1400 तक)

ट्रेन
दिल्ली से मैक्लोडगंज तक सीधी ट्रेन नहीं है. आप दिल्ली से पठानकोट तक ट्रेन से जा सकते हैं. ट्रेन से जाने में आपको 7-9 घंटे लग सकते हैं, जिसके बाद आपको पठानकोट से धर्मशाला या मैक्लोडगंज गंज के लिए बस मिल जाएगी. पठानकोट से मैक्लोडगंज करीब 90 किलोमीटर है और 2-3 घंटे यहां पहुंचने में लग सकते हैं.

40tjtsl8पहाड़ों पर बसा मैक्लोडगंज
 

अपनी गाड़ी
दिल्ली से मैक्लोडगंज अपनी गांडी से जाने की सोच रहे हैं तो अच्छा ही है. दिल्ली से चंडीगढ़ के रास्ते आप मैक्लोडगंज जा सकते हैं. आपको करीब 10-11 घंटे का समय जाने में लग सकता है.

मैक्लोडगंज  जाने की सोच रहें हैं तो इन बातों का रखें ध्यान
1. मैक्लोडगंज जाने का सही समय गर्मियों का है, गर्मी में यहां का मौसम बेहद शानदार होता है और ठीक ठाक ठंड होती है. इस मौसम में आप ट्रैंकिंग कर सकते हैं. आप मार्च से दिसंबर के बीच यहां जा सकते हैं. 
2. अगर आप सर्दियों के मौसम में यहां जाने की सोच रहें हैं तो अपने साथ गर्म कपड़े जरूर रखें. सर्दियों में यहां अच्छी बारिश होती है इसीलिए आप छाता लेकर जा सकते हैं.
3.मैक्लोडगंज में होटल दिलाने वाले दलालों से सावधान रहें. यहां पहुंचने के बाद मेन मार्केट में होटल लें क्योंकि यहां से आप पूरी तरह से कनेक्टेड रहेंगे. मेन मार्केट बस स्टाप के बगल में ही है. ऑनलाइन बुकिंग के समय होटल की रेटिंग और रिव्यू जरूर चेक करें.

(अर्चित गुप्ता Khabar.NDTV.com में सब एडिटर हैं)

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