दीदी यानी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दादा यानी सौरव गांगुली पर BJP संग सिसासी जंग तेज कर चुकी हैं. अपने गढ़ बंगाल से ममता बनर्जी ने सोमवार को साफतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील कर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.
मुद्दा यह है: 50 वर्षीय सौरव गांगुली को सुपर-शक्तिशाली BCCI या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के बॉस के रूप में दूसरा कार्यकाल देने से इनकार कर दिया गया है. ममता बनर्जी का कहना है कि "बंगाल के गौरव" को इस पद से हटाया जाना "शर्म की बात" है. वह कहती हैं, 'सौरव गांगुली को खेल के लिए विश्व की शीर्ष शासी निकाय, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. ऐसा करने के लिए बीसीसीआई को गांगुली का समर्थन करना होगा. ममता ने कहा कि जबतक प्रधानमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे बीसीसीआई उनका समर्थन करने वाला नहीं है.
इस प्रकरण में खेल तो सिर्फ एक बहाना है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच की नवीनतम छद्म लड़ाई में अब दादा केंद्र बन गए हैं. पर्दे के पीछे यह क्रिकेट, शोहरत और वर्चस्व की लड़ाई का रसदार मिश्रण है.
व्यापक धारणा यह है कि सौरव गांगुली को बीजेपी द्वारा दंडित किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने पिछले साल बंगाल चुनाव में खुद को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किए जाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. वह चुनाव ममता बनर्जी ने शानदार ढंग से जीत लिया था. ममता और उनकी पार्टी दोनों यह बात कहते हैं कि सौरव गांगुली को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीसीसीआई के प्रमुख के रूप में तीन साल के सेवा विस्तार की अनुमति दी गई थी. उनका कार्यकाल 23 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष जय शाह, जो गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं, को भी यही विस्तार दिया गया था. तृणमूल पार्टी का तर्क है कि जब जय शाह पद पर बने रह सकते हैं, तो सौरव गांगुली क्यों नहीं? बीसीसीआई वर्तमान में काफी हद तक भाजपा द्वारा संचालित है, जिसमें पार्टी के कैबिनेट मंत्रियों के करीबी रिश्तेदार सचिव से लेकर आईपीएल प्रमुख के शीर्ष पद पर काबिज हैं.
इस कॉलम के लिए मुझसे बात करते हुए राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, "यह वंशवाद के विशेषाधिकार, या "परिवारवाद" का एक उत्कृष्ट मामला है." उन्होंने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर साझा किया था, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण सिंह धूमल के बारे में कमेंट था.
I am Jay Shah, once more becoming @BCCI secretary. My papa is Union Home Minister @AmitShah
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) October 12, 2022
I am Arun Singh Dhumal, new Chairman of IPL. My elder bhaiya is Union Sports Minister @ianuragthakur
We are examples👇of BJP's ParivarVaad mukt Bharat & @narendramodi ‘s DYNASTS CLUB pic.twitter.com/Lcgp69y6pn
डेरेक ओ' ब्रायन ने सौरव गांगुली को एक क्रिकेट लीजेंड कहा और आरोप लगाया कि भाजपा ने उनके साथ गलत व्यवहार किया है. अमित शाह, जो भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता रहे हैं, मुख्य रूप से भ्रष्टाचार के आरोपों पर तृणमूल कांग्रेस पर पर हमलावर रहे हैं लेकिन अब वह बीसीसीआई में अपने बेटे की स्थिति पर तृणमूल कांग्रेस के हमले का सामना कर रहे हैं.
इस कॉलम के लिए, मैंने बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं से क्रॉस-सेक्शन बातचीत की. ये सभी इस बात पर एकमत थे कि "हाल के दिनों में सौरव गांगुली और बीजेपी के बीच चीजें खराब हो चुकी हैं." यह टाइमलाइन से भी स्पष्ट है क्योंकि बीसीसीआई ने सिर्फ एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें शाह और गांगुली सहित अपने शीर्ष पदाधिकारियों को तीन साल की अनिवार्य कूलिंग ऑफ अवधि के बिना दूसरे कार्यकाल के लिए सेवा विस्तार की अनुमति दी गई थी लेकिन उनमें से सिर्फ सौरव गांगुली को हटाना बहुत ही कम समय में एक बड़ी घटना है.
भाजपा नेता इस बात की पुष्टि करते हैं कि अमित शाह ने सौरव गांगुली को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ लड़ने के लिए एक प्रमुख चेहरे को तौर पर देखा था या विधान सभा चुनावों में उन्हें आइकॉन के रूप में देखा था लेकिन जैसे ही उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा हुई, सौरव गांगुली को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
सीपीआई (एम) के एक वरिष्ठ नेता अशोक भट्टाचार्य, जो लंबे समय से गांगुली के मित्र रहे हैं, ने उस समय कहा था कि भाजपा गांगुली पर पार्टी में शामिल होने का दबाव बना रही थी. निश्चित रूप से उन पर तनाव था, जिसने दादा को बहुत बीमार कर दिया था.
हाल ही में कोलकाता की यात्रा पर, पहुंचे अमित शाह ने अन्य भाजपा नेताओं के साथ सौरव गांगुली के घर पर डिनर किया था. सौरव गांगुली के करीबी सूत्रों का कहना है कि बंगाल में बीजेपी के नेताओं ने उनसे बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा की निंदा करने की कोशिश की थी लेकिन ऐसा करने से गांगुली ने इनकार कर दिया, यह स्पष्ट करते हुए कि उन्हें इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं है. अमित शाह संस्करण वाले भाजपा नेताओं को राजनीतिक पत्थरबाजी की आदत नहीं है और सौरव गांगुली के इनकार करने से उनके कुछ नेता नाराज हो गए. एक भाजपा नेता, जिन्होंने बंगाल में काम किया है, ने कहा, “बीसीसीआई अध्यक्ष बनना गांगुली का सपना था और अगर बीजेपी ने उनका समर्थन नहीं किया होता, तो यह कभी पूरा नहीं हुआ होता. वह हमारे साथ तब तक खेले जब तक उन्हें नौकरी नहीं मिल गई, लेकिन उन्होंने कुछ भी राजनीतिक नहीं किया. इससे हमारे वरिष्ठ नेता परेशान हैं."
सूत्रों का कहना है कि पिछले हफ्ते अमित शाह के दिल्ली स्थित घर पर आधी रात को हुई बैठक तब ब्रेकिंग पॉइंट पर पहुंच गई, जब बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने सौरव गांगुली के "गैर-प्रदर्शन" के बारे में शिकायत की और उस पर गंभीर सुनवाई हुई.
जाहिर तौर पर इस मीटिंग में ही सौरव गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला ले लिया गया था. देश में क्रिकेट की स्थिति को देखते हुए- (जिस तरह का धन बल इसमें है) ही इसे राजनीतिक आधार माना जाता है. इस सूची पर एक नजर डालें. जय शाह बीसीसीआई सचिव हैं; कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष के पद पर बने रहेंगे; मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार खेल मंत्री के भाई की जगह कोषाध्यक्ष बनेंगे, जो अब आईपीएल का नेतृत्व करेंगे; असम क्रिकेट संघ के सचिव देवजीत सैकिया, जो मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बेहद करीबी हैं, बीसीसीआई के नए संयुक्त सचिव होंगे.
बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि अगर ममता बनर्जी सौरव गांगुली के बारे में इतनी चिंतित हैं, तो उन्हें उन्हें पश्चिम बंगाल का ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहिए, जो सुपरस्टार शाहरुख खान द्वारा वर्षों से निभाई गई भूमिका है. इस पर डेरेक ओ' ब्रायन ने प्रतिक्रिया दी है: "हमारे पास दो ब्रांड एंबेसडर हो सकते हैं. इसमें बड़ी बात क्या है?"
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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