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देशभक्ति में भी फिसड्डी हैं पाकिस्तानी?

  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 11, 2025 19:35 pm IST
    • Published On मार्च 11, 2025 18:03 pm IST
    • Last Updated On मार्च 11, 2025 19:35 pm IST
देशभक्ति में भी फिसड्डी हैं पाकिस्तानी?

भारत और पाकिस्तान पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी हैं. युद्ध का मैदान हो या फिर खेल का मैदान, भारत और पाकिस्तान के बीच जंग चलती आई है. हाल ही में आईसीसी चैंपिंयस ट्रॉफी में भारत के हाथों हार का पाकिस्तान में मातम मनाया गया और भारत में इस जीत का जबर्दस्त जश्न. लेकिन एक और मैदान है जहां भारत और पाकिस्तान आमने-सामने होते हैं. यहां भी नारे लगते हैं और आंखों में आंखें डाल कर एक-दूसरे को डराया जाता है. मैं बात कर रहा हूँ पंजाब के अटारी बॉर्डर पर हर शाम होने वाली बीटिंग द रिट्रीट समारोह की.

बीटिंग द रिट्रीट दरअसल, सूर्यास्त के समय झंडे उतारने के समारोह को कहा जाता है. भारत पाकिस्तान की अटारी सीमा पर हर शाम दोनों देशों के जवान अपने-अपने झंडे उतारते हैं. धीरे-धीरे इस कार्यक्रम ने एक उत्सव का रूप ले लिया है. यह है देशभक्ति का उत्सव.

भारत-पाकिस्तान और अटारी बॉर्डर

इस रविवार जब भारत और न्यूजीलैंड आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी के फाइनल में दुबई में एक-दूसरे के आमने-सामने थे, ठीक उसी समय मैं अपने परिवार के साथ अटारी बॉर्डर पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के लिए मौजूद था. हालांकि इसी मैच के कारण दर्शकों की संख्या शुरुआत में थोड़ी कम दिखी लेकिन धीरे-धीरे यह पूरा भरता चला गया. यह घोड़े की नाल के आकार का एक विशाल स्टैंड है जो स्टेडियम जैसा दिखता है जिसमें ऊपर भी दर्शकों को बैठाया जाता है. एक विशालकाय तिरंगा यहां आते ही आपका स्वागत करता है. अमृतसर से अटारी करीब आधे घंटे का रास्ता है. टोल आते ही तिरंगे झंडे और सैनिक टोपियां बेचने वाले आपको घेर लेते हैं. अटारी पहुंचते ही इनकी संख्या बढ़ती चली जाती है. स्टेडियम में एंट्री बिल्कुल मुफ्त है और बीएसएफ की ओर से बार-बार इसका ऐलान भी होता है. बीएसएफ की ओर से यह उद्घोषणा भी होती है कि अंदर बेचे जाने वाले खाने-पीने के सामान का मूल्य एमआरपी पर ही दें और कोई भी वेंडर अधिक पैसा नहीं ले सकता है.

अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तान की सीमा में होता निर्माण कार्य.

अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तान की सीमा में होता निर्माण कार्य.



यह किसी खेल के मुकाबले की ही तरह है. दर्शक पॉपकॉर्न, चिप्स के पैकेट, कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम वगैरह लेकर अपनी-अपनी जगहों पर बैठ जाते हैं. विशाल स्पीकरों पर बजते तेज संगीत से माहौल तैयार होता है. बीएसएफ का एक जवान दर्शकों में जोश भरने के लिए उन्हें उत्साहित करता है. नजरें गेट के उस ओर पाकिस्तान की तरफ जाती हैं. वहां भारत की ओर बनाए गए ऊंचे स्टेडियम और सीढ़ियों की ही तरह निर्माण कार्य चल रहा है. यह काम अभी पूरा नहीं हुआ है. वहां बड़ी संख्या में मजदूर हैं जो इन सीढ़ियों पर काम कर रहे हैं. सीमेंट की धूल छाई हुई है. दर्शकों की संख्या नगण्य है.

देशभक्ति के नारों की गूंज

इसके उलट भारतीय खेमे में किसी उत्सव जैसा माहौल है. दर्शक लगातार 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगा रहे हैं. यहां इन दो-तीन नारों के अलावा कोई अन्य नारा लगाने की अनुमति नहीं है. जैसे-जैसे समारोह का समय पास आ रहा है, दर्शकों में उत्साह बढ़ता जाता है. देशभक्ति के गीत अब तेज आवाज में बज रहे हैं. बीएसएफ का जवान आग्रह करता है कि जो महिलाएं इन धुनों पर थिरकना चाहती हैं, वे नीचे आ जाएं. देखते ही देखते सैंकड़ों महिलाएं पहुंच जाती हैं और देशभक्ति के तरानों पर झूमने लगती हैं. पाकिस्तान की साइड पर नजर जाती है तो वहां का फीका माहौल दूर से ही दिखाई देता है. वहां दर्शकों की संख्या अब बढ़ने लगी है लेकिन उनमें भी अधिकांश विदेशी हैं. कुछ बच्चे हैं जिनके हाथों में पाकिस्तान का झंडा है और जिन्हें वे लहरा रहे हैं. पाकिस्तानी साइड पर भी तेज आवाज में संगीत गूंजने लगा है और वहां ढोल लिए पंजाबी वेशभूषा में एक व्यक्ति तेजी से बजा रहा है.

अटारी सीमा पर बीटिंग द रिट्रीट के समय मौजूद भारतीय दर्शक.

अटारी सीमा पर बीटिंग द रिट्रीट के समय मौजूद भारतीय दर्शक.



अब तक भारतीय साइड में महिला दर्शकों का जोश हाई हो चुका है. उन्हें रोकने के लिए सड़क पर एक रस्सी लगा दी गई है ताकि वे दौड़ कर भारत और पाकिस्तान की सीमा पर लगे गेट तक न पहुंच जाएं. दर्शक भी तालियों की गडगडाहट से उनका जोश बढ़ाने में जुटे हैं. धीरे-धीरे संगीत की आवाज कम होती है और अब औपचारिक कार्यक्रम की शुरुआत होती है. बीएसएफ के जवान अपने अधिकारी से इसे शुरू करने के लिए आज्ञा मांगते हैं. इसके बाद औपचारिक कार्यक्रम शुरू हो जाता है.

बीएसएफ की महिला टुकड़ी हाथ में बंदूकें लिए मार्च कर रही हैं. वे एक कतार बना कर बंदूकों के साथ अपने हौंसलों का प्रदर्शन करती हैं. वे जिस चपलता और फुर्ती के साथ बंदूकों को हवा में घुमा रही हैं और उन्हें उछाल कर पकड़ रही हैं, एक-दूसरे को दे रही हैं, वह हैरान कर रहा है. दर्शक तालियां बजा कर और नारे लगा कर उनका हौंसला बढ़ाते हैं. फिर एक के बाद एक सभी क्रमानुसार सीमा पर बने गेट की ओर कूच कर अपनी जगह ले लेते हैं. पाकिस्तानी साइड भी कुछ इसी तरह की कवायद चलती है.

इसके बाद दर्शकों को सूचित किया जाता है कि बीटिंग द रिट्रीट समारोह अपने समापन की ओर है. लंबे, ऊंचे कद का बीएसएफ जवान तिरंगा उतारता है और ठीक उसी डीलडौल का पाकिस्तान रेंजर अपने देश का झंडा उतारता है. दोनों की टाइमिंग एक जैसी होती है. दोनों हाथ मिलाते हैं और एक-दूसरे की ओर मुस्कराते हैं. फिर तिरंगा लेकर बीएसएफ की टुकड़ी वापस आती है और दर्शक पूरे जोश में 'भारत माता की जय', 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' के नारे लगाते हैं. पाकिस्तानी साइड में भी नारे लग रहे होते हैं पर भारतीय दर्शकों के जोश और शोर में उनकी आवाज दब जाती है.

चैंपियंस ट्राफी में भारत-पाकित्सान मैच वाले दिन अटारी सीमा पर मौजूद अखिलेश शर्मा.

चैंपियंस ट्राफी में भारत-पाकित्सान मैच वाले दिन अटारी सीमा पर मौजूद अखिलेश शर्मा.

दर्शकों की बाट जोहता पाकिस्तान

पूछने पर पता चला कि पाकिस्तानी साइड ज्यादा दर्शक नहीं आते. अधिकांश विदेशी पर्यटक होते हैं और भारत और पाकिस्तान के बीच हर रोज होने वाले इस समारोह को देखने आते हैं. पाकिस्तान की तरफ भी भारत की ही तर्ज पर स्टेडियम बनाया जा रहा है और ऊंचा झंडा लगाया जा रहा है.

सेरेमनी खत्म होने के बाद दर्शकों में यहां की यादगार ले जाने की होड़ लग जाती है. कुछ दर्शकों को गेट तक आने की अनुमति मिलती है. वे वहां मौजूद बीएसएफ के जवानों के साथ फोटो खिंचवाते हैं. मैं भारत और पाकिस्तान के बीच लगे कंटीले तारों के पास चला जाता हूं. यहां पर सीमेंट का एक स्लैब लगा है जिस पर भारत और पाकिस्तान की सीमाएं अंकित हैं. दाईं ओर गेहूं के खेत लहलहा रहे हैं. बताया गया कि ये सारे भारतीय खेत हैं. दूर तक फैले इन खेतों में आने-जाने और काम करने के लिए स्थानीय लोगों को कोई परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाता है. भारत और पाकिस्तान की सीमा पर कंटीले तारों में हजारों वोल्ट का बिजली का करंट छोड़ा जाता है ताकि कोई घुसपैठ न कर सके. हालांकि कई बार इनमें फंस कर जंगली जानवरों की मौत हो जाती है.

अटारी बॉर्डर पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह देखने के लिए पहुंचे भारतीय.

अटारी बॉर्डर पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह देखने के लिए पहुंचे भारतीय.

भारत की नई पीढ़ी के लिए सीख

वापसी में हम चाय पीने के लिए मितरां दा ढाबा पर रुकते हैं. इसके मालिक एक हंसमुख व्यक्ति हैं. हमने अटारी बॉर्डर जाने से पहले यहीं रुक कर मक्के की रोटी और सरसों की साग खाई थी जो बहुत ही स्वादिष्ट थी. मितरां दा ढाबा की टैगलाइन है भारत का आखिरी ढाबा क्योंकि इसके बाद कोई और ढाबा नहीं. मैं उन्हें याद दिलाता हूँ कि अब यह नाम बदल गया है, अब सीमा के गांवों को अंतिम नहीं बल्कि पहला गांव कहा जाता है. इस लिहाज से उनका ढाबा भारत का अंतिम नहीं बल्कि पहला ढाबा है. यह सुनकर वे बहुत खुश हुए.

इस पूरे कार्यक्रम की खास बात यह लगी कि इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में नौजवान मौजूद थे. बच्चों और युवाओं के लिए दर्दनाक इतिहास और सुनहरे भविष्य से परिचय कराने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं हो सकता. देश क्यों बंटा, पाकिस्तान क्यों बना, लोग क्यों बिछड़े ऐसे सवाल उनके मन में उठते हैं. यहां आकर तिरंगे के प्रति सम्मान और देश के लिए प्रेम कुचाले भरने लगता है. इस समारोह में आदर है, सम्मान है, अनुशासन है, देशप्रेम है. बीएसएफ ने इसे बहुत ही अच्छी तरह से तैयार किया है. हर भारतीय को इसे देखने के लिए जरूर जाना चाहिए.

अखिलेश शर्मा, एनडीटीवी में एक्जीक्यूटिव एडिटर (पोलिटिकल) हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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