दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और देश के मशहूर पेशेवर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाथ मिला लिया है. यानी दिल्ली चुनाव में प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे. आम आदमी पार्टी की तरफ से बताया गया है कि प्रशांत किशोर वॉलिंटियर यानी स्वैच्छिक रूप से पार्टी का प्रचार करेंगे इसका सीधा मतलब यह है कि आम आदमी पार्टी/दिल्ली की केजरीवाल सरकार और प्रशांत किशोर में कोई आर्थिक डील नहीं हुई है.
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के दूसरे नेता सभी यह दावा करते हैं कि बीते पांच साल में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में जितने और जिस तरह के काम किए हैं उसके बाद उन्हें इस बात में कोई शक नहीं है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 वह जीतने जा रहे हैं. यह केवल कहने की बात नहीं है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की बॉडी लैंग्वेज और आत्मविश्वास देखकर यह लगता है कि वे केवल कहने के लिए नहीं कह रहे बल्कि खुद भीतर से भी आश्वस्त हैं.
ऐसे में 2 सवाल उठते हैं-
पहला सवाल
प्रशांत किशोर एक पेशेवर राजनीतिक रणनीतिकार हैं. उनकी एजेंसी इंडियन पॉलीटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) अपने क्लाइंट के लिए पैसा लेकर प्रचार करती है तो आम आदमी पार्टी के लिए वो स्वैच्छिक प्रचार क्यों करेगी?
दूसरा सवाल
जब आम आदमी पार्टी आश्वस्त है कि वह केजरीवाल सरकार के बीते पांच साल के कामों और पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत के दम पर ही यह चुनाव जीत लेगी तो फिर वह प्रशांत किशोर से हाथ क्यों मिला रही है?
आम आदमी पार्टी सूत्रों से बात करने के बाद ये 3 बात निकली हैं-
1. एक से भले दो- आम आदमी पार्टी सूत्र बताते हैं कि वैसे तो अरविंद केजरीवाल पूरी तरह आश्वस्त हैं कि दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत देगी जिससे केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन अगर विरोधी बीजेपी से लड़ाई में कोई प्रशांत किशोर जैसा शानदार ट्रैक रिकॉर्ड वाला व्यक्ति जुड़ जाए तो एक से भले दो तो अच्छा ही है. प्रशांत किशोर ने 2014 में नरेंद्र मोदी, 2015 में नीतीश कुमार, 2017 में पंजाब में कांग्रेस और 2019 में आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी के लिए चुनाव प्रचार किया और 100 फीसदी सफलता मिली. हालांकि 2017 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए भी चुनाव प्रचार किया था लेकिन वहां कामयाबी नहीं मिल सकी.
2. सिर्फ़ दिल्ली 'दिल्ली' नहीं- इसका मतलब सिर्फ दिल्ली ही आम आदमी पार्टी की मंजिल नहीं है. बेशक आम आदमी पार्टी इस समय एक दिल्ली आधारित क्षेत्रीय पार्टी है लेकिन उसकी चाहत है कि वह दिल्ली से बाहर भी फैले. दिल्ली से बाहर फैलने की आम आदमी पार्टी कोशिश कर चुकी है लेकिन 2017 में पंजाब चुनाव में अपेक्षित सफलता ना मिलने के बाद आम आदमी पार्टी फिलहाल दिल्ली पर ही फोकस करने को मजबूर है.
पंजाब में भी प्रशांत किशोर उस समय कांग्रेस के साथ थे इस वजह से भी आम आदमी पार्टी वहां सत्ता में नहीं आ पाई. इसलिए अब प्रशांत किशोर के आम आदमी पार्टी के साथ आ जाने पर अटकलें लग रही हैं कि हो सकता है पंजाब चुनाव में भी दोनों साथ रहें. साथ ही चर्चा है कि पार्टी देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में पैर पसारना चाहती है जहां पंजाब के साथ ही 2022 में विधानसभा चुनाव होंगे.
इसके अलावा राष्ट्रीय राजनीति में आम आदमी पार्टी का दखल तब तक नहीं हो सकता जब तक वह लोकसभा चुनावों में सीटें न जीते. फिलहाल लोकसभा में आम आदमी पार्टी का एक ही सांसद है.
आम आदमी पार्टी सूत्र दिल्ली से आगे की बात पर खुलकर तो कुछ नहीं कह रहे लेकिन यह इशारा जरूर कर रहे हैं कि 'प्रशांत किशोर से लंबे समय से बातचीत चल रही थी तो वो केवल दिल्ली के लिए तो नहीं होगी!'
3. क्या AAP में आएंगे प्रशांत किशोर- क्या प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे? वैसे यह जरूरी नहीं क्योंकि वो एक पेशेवर रणनीतिकार हैं जो अलग-अलग पार्टियों के लिए प्रचार संभालते रहे हैं. इस समय प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का भी प्रचार संभाले हुए हैं.
लेकिन प्रशांत किशोर इस समय औपचारिक रूप से जनता दल यूनाइटेड में हैं. लेकिन नागरिकता संशोधन बिल पर जिस तरह से उन्होंने अपनी पार्टी के स्टैंड की आलोचना की और उसके बाद पार्टी के नेताओं ने प्रशांत किशोर पर सवाल उठाए उससे अटकलें लग रही हैं कि प्रशांत किशोर क्या अब भी जनता दल यूनाइटेड में ही रहेंगे?
ऐसे समय में अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर के हाथ मिलाने की खबर आना अपने आप में बहुत सी अटकलों को हवा देता है. अटकल यह कि क्या जनता दल यूनाइटेड छोड़कर प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे?
आम आदमी पार्टी सूत्र फ़िलहाल सिर्फ़ इतना कह रहे हैं कि 'प्रशांत किशोर के साथ हमारा संबंध शार्ट टर्म के लिए नहीं लॉन्ग टर्म के लिए है.'
शरद शर्मा एनडीटीवी इंडिया में वरिष्ठ संवाददाता हैं.
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