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This Article is From Aug 06, 2018

अब पिछड़ों पर बीजेपी का बड़ा दांव

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 06, 2018 22:54 pm IST
    • Published On अगस्त 06, 2018 22:54 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 06, 2018 22:54 pm IST
पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संविधान संशोधन बिल को संसद ने मंजूरी दे दी है. महत्वपूर्ण बात है कि इस बिल के विरोध में एक भी वोट नहीं डाला गया. यानी सारी पार्टियां पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के पक्ष में एक राय रहीं. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पांच सदस्यीय आयोग को संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा.

आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और एक महिला समेत तीन अन्य सदस्य होंगे. यह आयोग राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के समकक्ष हो जाएगा.

पांच सदस्यीय इस आयोग का काम केंद्रीय सूची में पिछड़े वर्ग की जातियों के समावेश का फैसला करना होगा. सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की शिकायतों का समाधान और जांच भी यह आयोग करेगा. पिछड़े वर्ग से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले करने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों को आयोग की राय लेनी होगी. इस आयोग को सिविल कोर्ट के अधिकार मिल जाएंगे और यह लोगों को बुला सकेगा और उनकी गवाही ले सकेगा.

बीजेपी इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करेगी. तीन राज्यों और लोकसभा चुनावों से ठीक पहले उठाए गए इस कदम को पिछड़े वर्ग को लुभाने की दृष्टि से देखा जा रहा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे ऐतिहासिक क्षण भी बताया.

हालांकि विपक्ष का दावा है कि उसके दबाव के बाद ही सरकार बिल में जरूरी संशोधन करने को तैयार हुई है. राज्यों के अधिकारों को सुरक्षित रखना भी विपक्ष के दबाव के बाद ही मुमकिन हो पाया.

अब बीजेपी की दूसरी बड़ी कोशिश पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण में ही अति पिछड़ों को अलग से आरक्षण देने की है. इसके लिए जस्टिस रोहिणी की अध्यक्षता में बनाए गए आयोग की रिपोर्ट का इंतजार है जिसका कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया गया है. अभी 11 राज्यों में कोटा विदिन कोटा या उपश्रेणी है. बीजेपी इसे पूरे देश में लागू करना चाहती है.

गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के पिछड़े वर्ग से आने की बात को उछाला था जिसके चलते बड़ी संख्या में गैर यादव पिछड़ा वर्ग बीजेपी के साथ खासतौर से यूपी जैसे राज्यों में जुड़ा था. अब 27 फीसदी आरक्षण में अति पिछड़े वर्ग को अलग से आरक्षण देने की बात कहकर बीजेपी इस वर्ग को मजबूती से अपने साथ रखना चाह रही है.

लोक सभा में ही दलित और आदिवासी अत्याचार निवारण बिल को मंजूरी दे दी गई है जिसे लेकर पिछले दिनों तीखी आवाज़ उठी थी. तो दलित-आदिवासियों के बाद अब पिछड़े वर्ग को लेकर बीजेपी के इन कदमों का क्या असर होगा? क्या बीजेपी के मिशन 2019 में इन वर्गों को दिया गया संदेश काम कर पाएगा? इन महत्वपूर्ण चुनावों में बीजेपी का प्रशन काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि दलित-आदिवासियों और पिछड़े वर्ग को लुभाने की उसकी कोशिशें किस हद तक कामयाब होती हैं.

(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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