विज्ञापन
This Article is From Jan 15, 2019

क्या लोकसभा चुनाव में डिजिटल प्रचार से मिलेगी जीत?

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 15, 2019 20:17 pm IST
    • Published On जनवरी 15, 2019 20:17 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 15, 2019 20:17 pm IST

वैसे तो कहा जा रहा है कि 2019 का चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी होने जा रहा है. इन दोनों शख्सियतों की एक लड़ाई डिजिटल दुनिया में चल रही है जिसने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के नेताओं और सांसदों की नींद उड़ा दी है. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जनता से नमो ऐप के जरिए बीजेपी सांसदों के कामकाज के बारे में राय मांगी है. खबर है कि बीजेपी बड़ी संख्या में मौजूदा सांसदों के टिकट काटेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि मौजूदा सांसदों को दोबारा टिकट मिलेगा या नहीं, इसमें इस फीडबैक की एक बड़ी भूमिका होगी.

'पीपल्स पल्स' या 'जनता की नब्ज' नाम के इस सर्वे में लोगों के उनके राज्य, संसदीय क्षेत्र के बारे में पूछा जा रहा है. इसके बाद पूछा जाता है कि अलग-अलग क्षेत्रों में केंद्र सरकार की उपलब्धियों के बारे में उनकी क्या राय है. इनमें स्वास्थ्य क्षेत्र, किसानों की समृद्धि, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, स्वच्छ भारत, राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, गरीबों का उत्थान, इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, रोजगार के अवसर पैदा करने और ग्रामीण विद्युतीकरण के बारे में लोगों से पूछा गया है. उन्हें बहुत खराब से बहुत अच्छे का विकल्प दिया गया है. इसके बाद मोदी सरकार के प्रदर्शन के बारे में सवाल है. फिर लोगों से पूछा गया है कि वे वोट देते समय किन मुद्दों का ध्यान रखते हैं. इनमें स्वच्छता, रोजगार, शिक्षा, कानून व्यवस्था, महंगाई और भ्रष्टाचार को शामिल किया गया. फिर आता है वह सवाल जो बीजेपी सांसदों की धड़कने बढ़ा रहा है. इसमें जनता से अपने संसदीय क्षेत्र के बीजेपी के तीन लोकप्रिय नेताओं के नाम पूछे गए हैं.

फिर राज्य के तीन सबसे लोकप्रिय नेताओं के बारे में सवाल है. लोगों से सांसद के बारे में पूछा गया कि क्या वे आसानी से मिल लेते हैं? क्या आप उनके काम के बारे में जानते हैं. क्या आप उनके काम से संतुष्ट हैं? क्या वे लोकप्रिय हैं? सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा की स्थिति के बारे में पूछा गया है. कुछ सवाल केंद्र सरकार के बारे में हैं. यह भी पूछा गया है कि महागठबंधन का आपके इलाके पर क्या असर पड़ेगा. मोदी सरकार इससे पहले 'मायगव' जैसे प्लेटफॉर्म पर भी सरकार की योजनाओं के बारे में प्रचार कर चुकी है.

दूसरी तरफ कांग्रेस का 'शक्ति ऐप' है जो पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले शुरू किया गया. कांग्रेस ने इसके जरिए न सिर्फ उम्मीदवारों का चुनाव किया, बल्कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीतने के बाद मंत्रियों और यहां तक कि मुख्यमंत्रियों के चयन में भी 'शक्ति प्लेटफॉर्म' से आए फीडबैक का इस्तेमाल किया. राजनीतिक दलों की ओर से खुद ही सर्वे कराने से शायद सर्वे कंपनियों की दुकानें बंद हो गई हों, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या विरोधी पार्टियां इनके नतीजों को तोड़ मरोड़ तो नहीं देगीं. हालांकि कांग्रेस का शक्ति प्लेटफॉर्म सिर्फ कार्यकर्ताओं के लिए है. यह आम लोगों को डाउनलोड के लिए ऐप स्टोर या प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं है. वहीं बीजेपी की कोशिश नमो ऐप के जरिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं और पन्ना प्रमुखों तक पहुंचने की है. इसके अभी तक एक करोड़ से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं.

बीजेपी बड़ी संख्या में युवाओं तक भी पहुंचना चाह रही है. ऑनलाइन सर्वे के साथ ही ज़मीनी स्तर पर भी इस हफ़्ते कैंपेन की शुरुआत होगी. जहां 2014 का अभियान श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में टाउनहाल से शुरू हुआ था, तो इस बार भी यहां 23 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाउनहॉल करेंगे. बीजेपी की नज़र नज़र पहली बार वोट दे रहे 15 करोड़ युवा मतदाताओं पर है, जिनकी उम्र 18 से 23 साल के बीच है. बीजेपी को उम्मीद है कि उनका स्लोगन पहला वोट मोदी को युवाओं को खींच सकेगा.

बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पिछली बार ये संख्या 12 करोड़ थी और उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए वोट किया. बीजेपी को उम्मीद है कि वो करीब 50 लाख वॉलेंटियर को अगले महीने तक संगठित कर लेगी, वहीं हर विधानसभा क्षेत्र में बाइक रैलियां भी होंगी. बीजेपी टीशर्ट और टोपियां भी ऐप और वेबसाइट पर बेच रही हैं. कई सांसद और मंत्री इन कपड़ों में संसद में नज़र आए और उन्होंने उसे ट्वीट भी किया है. पर सवाल बड़ा है. क्या राजनीतिक दलों के भीतर उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी बन रही है? क्या डिजिटल माध्यम से चुने जाने पर सफलता की संभावना बढ़ जाती है?

 

(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
नवरात्रों की शुरुआत में आधुनिक नारी शक्ति की कहानी
क्या लोकसभा चुनाव में डिजिटल प्रचार से मिलेगी जीत?
मेडिकल कॉलेजों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई की जरूरत क्यों है, इसकी चुनौतियां क्या हैं?
Next Article
मेडिकल कॉलेजों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई की जरूरत क्यों है, इसकी चुनौतियां क्या हैं?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com